देश के पूर्व राष्ट्रपति डा अब्दुल कलाम की जयंती पर एमिटी विश्वविद्यालय में ‘‘नवाचार सप्ताह 2021’’ का शुभारंभ




हिन्दुस्तान वार्ता, नोयडा।अनिल दूबे।

महान वैज्ञानिक और देश के पूर्व राष्ट्रपति डा ए पी जे अब्दुल कलाम की जयंती पर उनके प्रति कृतज्ञता और सम्मान का भाव प्रकट करते हुए एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी इनोवेशन एंड डिजाइन सेंटर और शिक्षा मंत्रालय के इंस्टीटयूशन्स इनोवेशन कांउसिल के सहयोग से ‘‘ नवाचार सप्ताह 2021’’ का आयोजन किया गया। 11 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक चलने वाले इस ऑनलाइन नवाचार सप्ताह कार्यक्रम का शुभारंभ भारत सरकार के विज्ञान और तकनीकी विभाग के तकनीकी विकास एवं हस्तातंरण के प्रमुख एवं सलाहकार डा नीरज शर्मा, शिक्षा मंत्रालय के इनोवेशन सेल के इनोवेशन निदेशक डा मोहित गंभीर, टेलीकम्यूनिकेशन इंटरनेशनल एसोसिएशन के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर - इंडियाहब और एयरटेल के पूर्व उपाध्यक्ष श्री अरूण मलिक, एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला एवं एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में विभिन्न एमिटी संस्थानों के वैज्ञानिक, शोधार्थियों सहित शिक्षकों और छात्रों ने हिस्सा लिया।


भारत सरकार के विज्ञान और तकनीकी विभाग के तकनीकी विकास एवं हस्तातंरण के प्रमुख एवं सलाहकार डा नीरज शर्मा ने कहा कि नवाचार नेपथ्य में संभव नही है, विज्ञान, तकनीकी और नवाचार को एक साथ मिलकर चलना होगा। आज विश्व का हर विकसित देश विज्ञान, तकनीकी और नवाचार के तीन स्तंभो पर खड़ा है और विकासशील देश के रूप में हमें भी इन तीन स्तंभो पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। डा शर्मा ने कहा कि आज देश में लगभग 1 लाख 20000 करोड़ रूपयें विज्ञान, तकनीकी और नवाचार पर खर्च किये जा रहे है जिसमें सरकारी सहित निजी ़क्षेत्रों की भी भागीदारी है। आज हम विश्व में विज्ञान और तकनीकी में पीएचडी करने वालों की सूची में तृतीय नंबर पर है। वर्तमान मे ंहम जीडीपी का लगभग 0.7 प्रतिशत हिस्सा विज्ञान औरत तकनीकी शोध पर खर्च कर रहे है। डा शर्मा ने कहा कि हमारे देश में 1 मिलियन व्यक्तियों पर 255 शोधार्थी है जबकी विश्व के कई अन्य देशों में हमारी तुलना में काफी अधिक है। इस शोध पर्यावरण को समझे बगैर हम रिक्तता को नही समझ सकते। पेटेंट प्राप्ती और उसके व्यवसायिकरण के मध्य को समझें। वैश्विक व्यावसायिकता इंडेक्स मंे हम कहां है। नवाचार का व्यावसायीकरण आवश्यक है। हमें सही वक्त पर सही व्यक्ति को शोध और नवाचार के लिए प्रोत्साहित करना होगा जिसके लिए एकीकृत विज्ञान, तकनीकी और नवाचार पर ध्यान देना होगा।


शिक्षा मंत्रालय के इनोवेशन सेल के इनोवेशन निदेशक डा मोहित गंभीर ने संबोधित करते हुए कहा कि बौद्धिक संपदा इंडेक्स में भारत 40 वें स्थान पर है। यहां कई सारे मानक और विशेषतायें है, और हमें इस पृथ्वी को नवाचार के जरीए सभी के लिए बेहतर स्थान बनाना होगा। नवाचार कही से भी आ सकता है किंतु विज्ञान और तकनीकी नवाचार को आकार प्रदान करते है। परिवर्तन, रचनात्मकता और साहस के प्रति सकारात्मक भाव नवाचार को बढ़ावा देता है। हमें नवाचार के जरीए इस प्रकार की प्रणाली का निर्माण करना होगा। डा गंभीर ने  कहा कि पेटेंट के प्रति जागरूकता हेतु बौद्धिक संपदा साक्षरता और जागरूकता शिक्षा अभियान ‘ कपिला कलाम कार्यक्रम’ प्रारंभ किया गया है। हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी छात्रों में शोध और नवाचार के गुण पोषित करने पर जोर दिया गया। हमें इस तरह प्रणाली को विकसित करना होगा कि शिक्षक स्वंय एक शोधार्थि हो और छात्र उनके प्रोजेक्ट में सहायक बनें। हमें तरह का पर्यावरण बनाना है कि ंकंपनीयों के बोर्ड मेंबरों में शिक्षक भी शामिल हो।


टेलीकम्यूनिकेशन इंटरनेशनल एसोसिएशन के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर - इंडियाहब और एयरटेल के पूर्व उपाध्यक्ष श्री अरूण मलिक ने नवाचार की आवश्यकता और दृष्टिकोण पर संबोधित करते हुए कहा कि एमिटी द्वारा छात्रों के विकास में बेहतरीन कार्य किया जा रहर है। किसी भी संस्थान के बढ़त में विकास के साथ क्षमता का होना आवश्यक है। नये आयाम स्थापित करने के लिए मात्रा के साथ प्रतिक्रियाशील होना, नवचार के लिए मात्रा के साथ सक्रिय होना, समस्या के निवारण हेतु प्रतिक्रियाशील के साथ सवंर्द्धित और काइजेन में सवंर्द्धित सहित सक्रिय होना जरूरी है। श्री मलिक ने कहा कि नवाचार, पांच मुख्य सिद्धांतो संवेदनशीलता, प्रतिमान चुनौतियां, अंतिम मानव मित्र पर विश्वास, 4 मानव बंदोबस्ती का उपयोग जीवन का एक तरीका है और वर्तमान और भविष्य की नैतिकता है।


एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला ने अतिथियों को संबोधित करते हुए कहा कि नवाचार, संस्थानों और उद्योगों के विकास की मुख्य चाभी है जो देश को विकसित और आत्मनिर्भर बनने में सहायक होगी। नये विकास और सुरक्षा विज्ञान, तकनीकी और नवाचार पर आधारित है। ध्यान से अवलोकन करना किसी भी नवाचार का मुख्य हिस्सा है। समाज की आवश्यकता, उद्योगों की समस्याओं को समझें और नये उत्पाद या निराकरण उत्पन्न करें। नवीनता और पेटेंट फाइलिंग महत्वपूर्ण है और शोध पर्यावरण को बढ़ावा देना होगा। एमिटी द्वारा सदैव छात्रों, शोधार्थियों को प्रोत्साहित किया जाता है।


एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने एमिटी विश्वविद्यालय विकसित किये गये नवाचार के पर्यावरण और विभिन्न क्षेत्रों में किये जा रहे शोध और नवाचार की जानकारी दी।


एमिटी इनोवेशन एंड डिजाइन सेंटर की प्रमुख डा सुजाता पांडेय ने कहा कि देश के पूर्व राष्ट्रपति डा ए पी जे अब्दुल कलाम की जयंती पर नवाचार सप्ताह कार्यक्रम का आयोजन किया गया है जिसमें एक सप्ताह तक क्विज प्रतियोगिताओं, वाद विवाद प्रतियोगिता, व्याख्यान सत्र, आईडिया प्रस्तुती प्रतियोगिता, परिचर्चा सत्र आदि सहित कुल 55 कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा। इसका उददेश्य छात्रों को शोध के लिए प्रोत्साहित करना और उनके ज्ञान को बढ़ाना है।


इस अवसर पर ‘‘ आगे का रास्ता एवं भविष्य के लिए रोड मैप’ पर परिचर्चा सत्र का आयोजन भी किया गया जिसमें एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला, एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती, एमिटी विश्वविद्यालय के सलाहकार लेफ्ट जनरल डा अनिल कपूर, एमिटी आईपीआर सेल की एडिशनल डायरेक्टर डा स्मिता साहू, एमिटी पैसफिक फोरम के चेयरमैन डा अजित नागपाल आदि लोगों ने अपने विचार रखें।