ऑनलाइन राष्ट्रीय सेमिनार में भूवैज्ञानिकों और प्रोफेसरों ने साझा किए बहुमूल्य अनुभव।



 जीवाश्म विज्ञान को पढ़ें, आंकें और आत्मसात कर आस-पास की शैलों से खोज निकालें जीवाश्म:प्रख्यात भू-वैज्ञानिक श्री एन. के. दत्ता।

 मदन साहू,छतरपुर (मध्यप्रदेश)

अंतर्राष्ट्रीय जीवाश्म दिवस सेलेब्रेशन-2021 के उपलक्ष्य में ऑनलाइन राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय छतरपुर, शासकीय जटाशंकर त्रिवेदी स्नातकोत्तर महाविद्यालय बालाघाट‌ और शासकीय आदर्श महाविद्यालय शाहपुरा डिंडोरी के संयुक्त तत्वावधान में 21 व 22 अक्टूबर को "फाॅसिल्स,फाॅसिलाइजेशन, इट्स एप्लिकेशन एण्ड इंडियन फाॅसिल रिकॉर्ड्स थ्रोआउट द जियोलॉजिकल टाईम स्केल" विषय पर  ऑनलाइन आयोजित किया गया।

          इस कार्यक्रम में मुख्य संरक्षक के रूप में प्रोफेसर टी. आर. थापक, वाइस चांसलर महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी छतरपुर, डॉ. लीला भलावी अतिरिक्त संचालक, जबलपुर संभाग, उच्च शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश; संरक्षक के रूप में

डॉ. जे. पी. मिश्रा, महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी छतरपुर; डॉ गोविंद सिरसटे, प्राचार्य शासकीय जटाशंकर त्रिवेदी स्नातकोत्तर महाविद्यालय बालाघाट; श्री सी. एस. परस्ते, शासकीय आदर्श महाविद्यालय डिंडोरी; समन्वयक के रूप में डॉ. पी. के. जैन, प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष, स्कूल ऑफ स्टडीज इन जियोलॉजी, महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर, मध्यप्रदेश; ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री के रूप में डॉ. ओम प्रकाश साहू, विभागाध्यक्ष, भूगर्भशास्त्र विभाग, शासकीय आदर्श महाविद्यालय शाहपुरा डिंडोरी; संयोजक के रूप में श्री अरविंद पटले, विभागाध्यक्ष,भूगर्भशास्त्र विभाग, शासकीय जटाशंकर त्रिवेदी स्नातकोत्तर महाविद्यालय बालाघाट उपस्थित रहे।

       कार्यक्रम के पहले दिन कार्यक्रम का शुभारंभ डाॅ. पी. के. जैन  के द्वारा स्वागत उद्बोधन से किया गया। जिसमें रिसोर्स पर्सन के रुप में आमंत्रित श्री आर के चतुर्वेदी, भूतपूर्व डिप्टी डायरेक्टर जनरल, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण,भोपाल द्वारा "नर्मदा-एक भूवैज्ञानिक यात्रा" विषय पर सारगर्भित व्याख्यान पीपीटी प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।वहीं प्रोफेसर एस आर जाखर, प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष, भूगर्भशास्त्र विभाग,जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर, राजस्थान द्वारा "जीवाश्म :प्रकार, प्रजर्वेशन, उसका महत्व और जियोलाॅजिकल टाइम स्केल के अनुसार भारतीय जीवाश्म रिकॉर्ड्स" विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।

         कार्यक्रम के दूसरे दिन प्रोफेसर डाॅ पी के कठल, डिपार्टमेंट ऑफ एप्लाइड जियोलॉजी, डॉ. हरिसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय सागर द्वारा "जीवाश्मों की उपयोगिता" विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। डॉ मोहन आत्माराम सोनार, भूगर्भशास्त्र विभाग, गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, औरंगाबाद, महाराष्ट्र द्वारा "जीवाश्म विज्ञान का परिचय और वर्गीकरण" विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया गया।तत्पश्चात विद्यार्थियों के सवालों और जिज्ञासाओं का समाधान ओपन डिस्कशन के माध्यम से किया गया। कार्यक्रम के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. एल.पी. चौरसिया,इमेरिटस प्रोफेसर, व्यवहारिक भूगर्भशास्त्र विभाग, डॉ. हरि सिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर उपस्थित रहे।कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ.जे.एस. परिहार,डीन फैकल्टी ऑफ  साइंस,महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी ने की। दो दिवसीय ऑनलाइन सेमीनार को प्रख्यात भू-वैज्ञानिक व भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के भूतपूर्व महानिदेशक श्री एन. के. दत्ता द्वारा कन्क्लूड किया गया।जिस दौरान उन्होंने कार्यक्रम के सफल रहने पर बधाई देते हुए, विद्यार्थियों में विषय के प्रति रुचि बनाए रखने हेतु  इस तरह के कार्यक्रमों को अति आवश्यक बताया। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि जीवाश्म विज्ञान को पढ़ें, आंकें और आत्मसात करते हुए अपने आस-पास की शैलों में भी जीवाश्म खोजने की कोशिश करें। क्योंकि जिंदगी पत्थरों में नहीं जीवों में है।कार्यक्रम का समापन श्री अरविन्द पटले के आभारीय भाषण के साथ किया गया।

        कार्यक्रम को सफल बनाने में आयोजन समिति डॉ उषा सिंह, रसायनशास्त्र विभाग, शासकीय जटाशंकर त्रिवेदी स्नातकोत्तर महाविद्यालय बालाघाट; श्रीमती स्वीटी यादव, इतिहास विभाग, शासकीय आदर्श महाविद्यालय शाहपुरा डिंडोरी; डॉ रश्मि बुनकर, राजनीतिक विज्ञान विभाग, शासकीय आदर्श महाविद्यालय शाहपुरा डिंडोरी; श्री खिलाशवर ठाकरे, रसायन शास्त्र विभाग, शासकीय जटाशंकर त्रिवेदी स्नातकोत्तर महाविद्यालय बालाघाट; श्रीमती सरिता कुशवाहा, रसायनशास्त्र विभाग, शासकीय आदर्श महाविद्यालय शाहपुरा डिंडोरी, कुमारी रूपाली गुप्ता, भौतिक शास्त्र विभाग, शासकीय आदर्श महाविद्यालय शाहपुरा डिंडोरी का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से विद्यार्थियों और प्रोफेसरों ने बड़ी संख्या में शामिल होकर लाभ प्राप्त उठाया।