ब्रज अकादमी का 43वाँ स्थापना दिवस महोत्सव का शुभारंभ।



वृन्दावन। मोतीझील स्थित श्रीराधा उपासना कुंज में प्रख्यात सन्त श्रीपाद बाबा महाराज द्वारा संस्थापित ब्रज अकादमी का 43 वां त्रिदिवसीय स्थापना दिवस महोत्सव अत्यंत श्रद्धा व धूम के साथ प्रारम्भ हो गया है। महोत्सव का शुभारंभ सन्तों, विप्रों एवं भक्तों के द्वारा बाबा महाराज के चित्रपट के समक्ष दीप प्रज्वलित करके किया गया। 

श्रीराधा उपासना कुंज के महन्त बाबा सन्तदास महाराज ने कहा कि श्रीपाद बाबा महाराज ब्रज की अमूल्य निधि थे।वह ब्रज संस्कृति के उन्नयन हेतु सदैव संकल्पित रहे। ब्रज वसुंधरा, ब्रज संस्कृति और ब्रज चेतना बाबा महाराज की प्राण थी। 

ब्रज अकादमी की सचिव साध्वी डॉ. राकेश हरिप्रिया ने कहा कि श्रीपाद बाबा महाराज शिक्षा,संस्कृति, पर्यावरण एवं आध्यात्मिक चेतना के प्रति पूर्णतः समर्पित थे। वस्तुतः उनका जन्म लोक कल्याण के लिए हुआ था। सभी राजनीतिक दलों के राजनेता उन्हें आदर व सम्मान देते थे।

वरिष्ठ साहित्यकार व आध्यात्मिक पत्रकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि श्रीपाद बाबा महाराज "सर्वजन हिताय" व "सर्वजन सुखाय" के पोषक थे। उन्होंने ब्रज संस्कृति के संरक्षण हेतु सन 1978 में दीपावली की पूर्व संध्या पर हनुमान जयंती के दिन वृन्दावन के जयपुर मन्दिर में ब्रज अकादमी की स्थापना की थी।

 ब्रज अकादमी के निदेशक डॉ. बी.बी. माहेश्वरी ने कहा कि ब्रज अकादमी के उद्देश्य ब्रज संस्कृति का सरंक्षण, संयोजन , अध्ययन, उन्नयन एवं प्रकाशन है। बाबा महाराज ब्रज अकादमी के द्वारा शाश्वत भारतीय विश्वविद्यालय एवं शाश्वत विद्यापीठ की स्थापना करना चाहते थे। जो कि सैकड़ों वर्षों पुराने आध्यात्मिक व दार्शनिक ज्ञान को सुरक्षा प्रदान करने वाला हो।

इस अवसर पर अखण्डानन्द आश्रम के अध्यक्ष महंत सच्चिदानंद सरस्वती महाराज, संत प्रवर महेशानंद सरस्वती, पुस्तकालयाध्यक्ष सेवानंद ब्रह्मचारी, युवा साहित्यकार राधाकांत शर्मा, डॉ. चन्द्रप्रकाश शर्मा, पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ,डॉ. रामदत्त मिश्रा एवं महन्त मधुमंगल शरण शुक्ल आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं धन्यवाद ज्ञापन ब्रज अकादमी की सचिव साध्वी डॉ. राकेश हरिप्रिया ने किया। 

इससे पूर्व सन्तों के द्वारा श्रीमद्भक्तमाल ग्रन्थ का संगीतमय सामूहिक गायन किया गया। रात्रि को रासलीला का अत्यंत नयनाभिराम व चित्ताकर्षक मंचन हुआ।

रिपोर्ट-डॉ. गोपाल चतुर्वेदी