वृन्दावन के रुक्मिणी विहार में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन।



वृन्दावन।रुक्मिणी विहार क्षेत्र स्थित कुंज बिहारी सेवा धाम में श्रीहित परमानंद शोध संस्थान के द्वारा सप्तदिवसीय दिव्य श्रीमद्भागवत रसोत्सव का आयोजन विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम के साथ प्रारम्भ हो गया है। 

रसोत्सव का शुभारंभ अखिल भारतीय श्रीहित बड़ा रासमण्डल के महंत लाड़िली शरण महाराज ने राधा-कृष्ण एवं श्रीहित हरिवंश महाप्रभु के चित्रपट के समक्ष दीप प्रज्वलित करके किया। महन्त श्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि कार्तिक मास अत्यंत दिव्य व महिमामयी मास है। इस मास को दामोदर मास भी कहा जाता है। सनातन धर्म में इस मास में कार्तिक नियम सेवा करना एवं विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान करना अत्यंत पावन व पुनीत माना गया है। 

व्यासपीठ पर आसीन भागवताचार्य श्रीहित ललित वल्लभ नागार्च ने कहा कि कार्तिक मास में श्रीमद्भागवत, सत्संग-प्रवचन एवं पूजा-पाठ आदि धार्मिक अनुष्ठान करने वालों को शतगुणा फल की प्राप्ति होती है। यदि यह अनुष्ठान श्रीधाम वृन्दावन में किये जायें तब इनका महत्व सहस्रगुणा बढ़ जाता है।

वरिष्ठ साहित्यकार एवं आध्यात्मिक पत्रकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि कार्तिक में ही समुद्र मंथन के दौरान लक्ष्मी जी ,कामधेनु गौमाता, कल्प वृक्ष, अमृत , ऐरावत हाथी आदि का प्राकट्य हुआ था। कार्तिक मास में ही  धन्वंतरि जयन्ती, दीपावली,देव दीपावली, तुलसी-शालिग्राम विवाह, अक्षय नवमी, करवा चौथ, अहोई अष्टमी, गौपाष्टमी  आदि जैसे अनेक पर्व हैं। इसीलिए कार्तिक मास को देवताओं का माह (दामोदर मास) कहा जाता है।  

इससे पूर्व प्रेम मन्दिर से श्रीमद्भागवत जी की शोभायात्रा अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम के साथ गाजे-बाजे सहित निकाली गयी। जिसमें सैकड़ों महिलाएं पीत वस्त्र पहने और सिर पर मंगल-कलश धारण किये भजन-कीर्तन करती हुई व मंगल गान करती हुईं साथ चल रही थीं। श्रीमद्भागवत जी की शोभायात्रा का जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया। 

इस अवसर पर मुख्य यजमान लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, रामनारायण अग्रवाल व हनुमान प्रसाद अग्रवाल (रायपुर) छत्तीसगढ़,श्रीहित परमानंद शोध संस्थान के अध्यक्ष आचार्य विष्णुमोहन नागार्च, पार्षद रसिक वल्लभ नागार्च,युवा साहित्यकार राधाकान्त शर्मा, हितवल्लभ नागार्च, तरुण मिश्रा, रासबिहारी मिश्रा, जुगलकिशोर शर्मा, भरत किशोर शर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। 

संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।

ज्ञात हो कि इस रसोत्सव के अंतर्गत 7 नवम्बर को प्रातः 10 बजे से श्री यमुना महारानी का भव्य व दिव्य चुनरी मनोरथ का आयोजन केशीघाट पर किया जाएगा।

रिपोर्ट-डॉ. गोपाल चतुर्वेदी