विदेश सचिव ने लेख के जरिए बताया कि महामारी के बाद कैसे वैश्विक जमात में बढ़ी भारत की साख।







हिन्दुस्तान वार्ता।

वर्ष 2019 में आई माहमारी कोविड-19 से पूरी दुनिया की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई। इस महामारी ने वैश्विक अर्थव्यस्था को भी घुटनों के बल ला दिया। कोविड के घटते और बढ़ते प्रकोप के बीच महामारी के बाद की जो वास्तविकताएं दुनिया के सामने आईं है, वह विश्व व्यवस्था का आधार बन रही हैं। पोस्ट कोविड के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में कैसे उछाल आया और वैश्विक जमात में भारत की साख किस तरह से बढ़ी है, इस बारे में भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने एक लेख के माध्यम से बताया है।

अपने लेख में हर्षवर्धन श्रृंगला लिखते हैं कि अनुभव बताते हैं कि मंदी के बाद रिकवरी होती है। भारत में भी आर्थिक गतिविधियों में तेजी आना शुरू हो गई है और अर्थव्यवस्था में उछाल देखने को मिल रहा है।'भारत के टीकाकरण अभियान के बारे में वह बताते हैं बेहद जटिल टीकाकरण अभियान को रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया जो अभूतपूर्व है और जिसने स्वास्थ्य सुरक्षा में सुधार करने के साथ कमजोरियों को कम किया है। श्रृंगला लिखते हैं भारत की तैयारी ऐसी है कि वह सामान्य से बेहतर की ओर बढ़ रहा है। इसलिए, यह अवसर का क्षण है। इस समय भारत जो विकल्प चुनता है, वह इस बात का संकेत है कि वह एक बेहतर कल के वादे को कहां देखता है।


विदेश सचिव श्रृंगला ने अपने लेख में बताया है कि महामारी ने यह प्रदर्शित किया है कि हमें और अधिक परस्पर जुड़ी हुई दुनिया की आवश्यकता है। वह सामान्य समस्याओं का समाधान सामान्य तरीके से करने की बात कहते हैं। वह पिछले कुछ महीनों में वैश्विक मंचों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से भारत को मिली उपलब्धियों के बारे में बताते हुए लिखते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले कुछ महीनों में जी7, जी20, कॉप26, पहले क्वाड शिखर सम्मेलन, संयुक्त राष्ट्र महासभा एवं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन परिषद की अध्यक्षता की है। इस दौरान उन्होंने विश्व के तमाम राष्ट्राध्यक्षों के समक्ष एक नई विश्व व्यवस्था की दृष्टि व्यक्त की जो महामारी के बाद की दुनिया की चुनौतियों के लिए प्रासंगिक है।


अपने लेख में विदेश सचिव श्रृंगला लिखते हैं कि ''प्रधानमंत्री मोदी ने विभिन्न प्रकार के घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मंचों के माध्यम से रणनीतियों और उद्देश्यों का एक सेट निर्धारित किया है जिसमें भारतीय प्राथमिकताओं के साथ सभी के बेहतर कल का दृष्टिकोण निहित है।'जलवायु परिवर्तन के संबंध में भारत की प्रतिबद्धता के बारे में बताते हुए श्रृंगला लिखते हैं, एक प्रमुख वैश्विक चुनौती जिस पर भारत ने नेतृत्व और दिशा प्रदान की है, वह है जलवायु परिवर्तन। अपनी विकास संबंधी जरूरतों के बावजूद  हमने जलवायु कार्रवाई के प्रति एक मजबूत प्रतिबद्धता दिखाई है। हाल ही में ग्लासगो में कॉप26 शिखर सम्मेलन में बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने पंचामृत के माध्यम से भारत की जलवायु महत्वाकांक्षा को रेखांकित किया, जो भारत के गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता को 500GW तक बढ़ाने और 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा से हमारी 50% ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने का लक्ष्य है।

विदेश सचिव श्रृंगला ने अपने लेख में बताया है कि भारत द्वारा शुरू किए गए दो अंतरराष्ट्रीय संगठनों, इंटरनेशनल सोलर एलायंस एंड कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर ने वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी शुरू कर दी है। उन्होंने लिखा कॉप26 में, प्रधानमंत्री ने वैश्विक स्तर पर परस्पर सौर ऊर्जा के बुनियादी ढांचे के लिए 'वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड की बात कही' और इन संगठनों के तहत छोटे द्वीप एवं विकासशील देशों के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर रेजिलिएंट आइलैंड स्टेट्स शुभारंभ किया।

(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी)