एमिटी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिको द्वारा विकसित किये गये चार तकनीकी का हुआ हस्ंतातरण





हिन्दुस्तान वार्ता, नोएडा। अनिल दूबे।

एमिटी विश्वविद्यालय मे शोध व नवाचार तक सीमीत नही रहते बल्कि उद्योगांें के माध्यम से उत्पादन बनने की प्रक्रिया की दिशा में भी सार्थक प्रयास करते है इसी क्रम में आज एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किये गये चार उत्पादों का पुणे के प्रवीन मसालेवाले - सुहाना मसाला को तकनीकी हस्तातरण किया गया। इस ऑनलाइन तकनीकी हस्तारण समारोह में प्रवीन मसालेवाले - सुहाना मसाला के तकनीकी और नवाचार निदेशक श्री आनंद चोरडिया, एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती, एमिटी फूड एंड एग्रीकल्चर फांउडेशन की महानिदेशिका डा नूतन कौशिक और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी के प्रमुख डा वी के मोदी ने अपने विचार व्यक्त किये।


इस तकनीकी हस्तांतरण के अंर्तगत एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी के प्रमुख डा वी के मोदी सहित एस्सीटेंट प्रोफेसर डा मोनिका ठाकुर और एस्सीटेंट प्रोफेसर लवलीन शर्मा द्वारा विकसित किये गई चार एमिटी तकनीकी - हिमाचली पिकल्स, राजस्थानी पिकल्स, ऑल परपस्ज सॉस और स्पाइस टैबलेट के तकनीकी हस्तांतरण किये गये।


पुणे के प्रवीन मसालेवाले - सुहाना मसाला के तकनीकी और नवाचार निदेशक श्री आनंद चोरडिया ने संबोधित करते हुए कहा कि आज फूड तकनीकी उद्योग को इस प्रकार के शोध और नवाचार की आवश्यकता है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में तेजी से बदलाव आ रहा है और हमने भारत के पांरपरिक स्वाद जो पोषण से युक्त और साधारण है उसे वैश्विक भोजन की थाली में पहुंचाने का जिम्मा उठाया है। हमारे देश में हर 100 किमी में उपलब्ध खाद्य विविधता हमें अन्य लोगों की तुलना में विशिष्ट बनाती है। हम उद्योग और अकादमिक मिलकर भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करते हुए देश के किसानों की आय को बढ़ाने की दिशा में सहयोग भी दे रहे है। हम भारतीय पांरपरिक स्वाद को विश्व के लोगों तक पहंुचाना चाहते है और यह उत्पाद अवश्य सफल होगेे। श्री चोरडिया ने कहा कि हम कई अन्य क्षेत्रों में भी एमिटी के साथ मिलकर कार्य करने पर विचार कर रहे है।


एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने संबोधित करते हुए कहा कि भारत को खाद्य तकनीकी के क्षेत्र में वैश्विक ब्रांड बनाने के लिए इस प्रकार के अकादमिक और उद्योगों का सहयोग आवश्यक है। एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान का शोध और नवाचार आधारित दो मुख्य ध्येय है प्रथम शोध के जरीए समाज की समस्या का निवारण करना और देश, समाज, संस्थान और वैज्ञानिकों के लिए धन उत्पादित करना है। शोध का अर्थ तभी सार्थक है जब वह उत्पाद बन कर उसका लाभ आमजन को प्राप्त हो। उन्होेंने कहा कि हम पोस्ट हार्वेस्ट तकनीकी और छात्रों के इंर्टनशिप आदि दिशा में कार्य कर सकते है।


एमिटी फूड एंड एग्रीकल्चर फांउडेशन की महानिदेशिका डा नूतन कौशिक ने कहा कि आज का यह कार्यक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण है जब तकनीकी खाद्य उत्पाद में बदलने की दिशा में है। एमिटी मे ंहम पूरी आपूर्ति श्रृखंला के क्षेत्र में कार्य करते है जिसके अंर्तगत शोध से उत्पाद बनने के हर स्तर पर कार्य किया जाता है।


एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी के प्रमुख डा वी के मोदी ने कहा कि आज चार एमिटी तकनीकी - हिमाचली पिकल्स, राजस्थानी पिकल्स, ऑल परपस्ज सॉस और स्पाइस टैबलेट अदिवितीय है। शोध के दौरान इस बात का ध्यान रखा गया है कि परंापरिक स्वाद बना रहे और किसी प्रिजरवेटिव का उपयोग नही किया गया है। इसमें प्राकृतिक रूप से उपलब्ध एंटीऑक्सीडेंट का उपयोग किया गया है। उन्होनें कहा कि बाजार में बिकने वाले टमाटर के सॉस काफी मंहगे होते है इसलिए ऑल परपस्ज सॉस का निर्माण किया गया जो कम कीमत में पांरपरिक स्वाद के साथ उपलब्ध होगा। उन्होेने अन्य क्षेत्रों में किये जा रहे शोध की जानकारी भी दी।


इस अवसर पर डायरेक्टोरेंट ऑफ इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की निदेशक डा दिलिप जे उपाध्याय, सहायक निदेशिका सुश्री मीनाक्षी कनौजिया, पुणे के प्रवीन मसालेवाले - सुहाना मसाला की सुश्री रोहिणी कुलकर्णी सहित एमिटी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक, शोधार्थी और छात्र भी उपस्थित थे।


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