अरे ! अपने दुर्भाग्य को हटाओ आर्यों.., सत्संग में आओ।


हिन्दुस्तान वार्ता।आगरा

 आर्य समाज नाई की मण्डी के वार्षिकोत्सव* के दूसरे दिवस *आर्य समाज जयपुर हाउस* के श्रोताओं से खचाखच भरे सत्संग भवन में बिजनौर से पधारे आर्य जगत के सुप्रसिद्ध विद्वान आचार्य विष्णु मित्र वेदार्थी ने वेद ज्ञान की अमृत वर्षा करते हुए आर्यों को हवि का स्वरूप व प्रार्थना विज्ञान के बारे में विस्तार से समझाया हर वस्तु जो हम भगवान को अर्पण करते हैं उसमें तीन गुण होने चाहिए लेने का देने का व उपयोग का जिसमें भी ये तीनों गुण घटेंगे वो हवि होगी चाहें वो अग्नि में डाली गई आहुति हो या कोई सत्कर्म हो सब हवि का ही स्वरूप हैं .प्रार्थना हमें ईश्वर की ही करनी चाहिए लेकिन पूर्ण पुरुषार्थ के बाद ही और परमपिता परमात्मा हमारी हर प्रार्थना को अवश्य ही सुनता हैं क्योंकि वो सर्वज्ञ और पवित्र स्वभाव वाला हैं इसलिए हमारी हर पवित्र प्रार्थना वो सुनता भी हैं और पूर्ण भी करता हैं .फरीदाबाद से पधारे अपने ओजस्वी भजनों के लिए प्रसिद्ध श्री प्रदीप शास्त्री ने सोने पर सुहागा की कहावत को सिद्ध करते हुए समस्त श्रोताओं को आनंद के सागर में गोता लगवा दिया ।

आर्यों हमारा अतीव दुर्भाग्य होगा अगर हम ऐसे महान आचार्य को जो वैदिक सिद्धांतो की इतनी सरल व्याख्या करते हो ना सुन पाए तो इसलिए आज आखरी दिन रविवार को अवश्य ही समय निकाल कर आर्य समाज जयपुर हाउस पहुचे और इस ज्ञान गंगा में स्नान करें *रविवार 21/11 का समापन कार्यक्रम प्रातः 8 बजे से 1 बजे तक आर्य समाज जयपुर हाउस* में  चलेगा तत्पश्चात ऋषि लंगर की व्यवस्था हैं आप सभी से अनुरोध हैं की अवश्य परिवार सहित पधारें व अपने जीवन को धन्य करें ।