निनाद महोत्सव में पं केशव जी की रचनाओं एवं पं राजेन्द्र प्रसन्ना के वेणु वादन की दिव्य रसधार बही।



हिन्दुस्तान वार्ता।

पं रघुनाथ तलेगांवकर फ़ॉउंडेशन ट्रस्ट आगरा एवं संगीत कला केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में प्राचीन कला केन्द्र, चंडीगढ़ के सहयोग से 57वें  निनाद महोत्सव का वृहद डिजिटल आयोजन संस्था के डिटल पटल फेसबुक एवं यूट्यूब पर किया जा रहा है। महोत्सव के अंतर्गत सबरस संगीत संध्या का शुभारम्भ संस्था अध्यक्ष रानी सरोज गौरिहार, सदस्य श्रीमती वत्सला अरस्तु प्रभाकर, उपाध्यक्ष श्री अनिल वर्मा एवं प्रबन्धन्यासी श्रीमती प्रतिभा केशव तलेगांवकर जी ने प्रथम पूज्य श्री गणेश, माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं महर्षि पं विष्णु दिगम्बर पलुस्कर जी, पं रघुनाथ तलेगांवकर, श्रीमती सुलभा तलेगांवकर, पं  केशव रघुनाथ तलेगांवकर एवं गुरु श्री मदन लाल कौसर जी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। कार्यक्रम का प्रारम्भ पं रघुनाथ जी द्वारा पंचम मालकौंस एवं ताल झपताल में निबद्ध विष्णु स्तवन - विष्णु दिगम्बर भू लोक गन्धर्व से हुआ।  इसके उपरांत निनाद शीर्षक गीत - सुरमयी निनाद है आया, प्रस्तुत किया गया जिसकी रचना एवं निर्देशन श्रीमती प्रतिभा जी ने किया तथा स्वर संगीत कला केन्द्र के स्वर साधक - कल्पना ठाकुर, ऋचा आर्य, डॉ मेघा तलेगांवकर राव, हर्षित आर्य, गौरव गोस्वामी एवं गोपाल मिश्रा ने दिए।संवादिनी पर पं रविन्द्र तलेगांवकर एवं शुभ्रा तलेगांवकर तथा तबले पर डॉ लोकेन्द्र तलेगांवकर एवं हर्ष कुमार ने कुशल संगति दी। सांगीतिक संध्या की प्रथम प्रस्तुति के रूप में संस्था के मेरुदंड संगीत नक्षत्र पं केशव रघुनाथ तलेगांवकर जी द्वारा रचित सुगम रचनाओं के प्रस्तुतीकरण से उनकी दोनों पुत्रियां एवं शिष्याएं डॉ मेघा तलेगांवकर राव एवं शुभ्रा केशव तलेगांवकर ने अपने पिता को उनके 66 वें जन्मदिवस के सुअवसर पर स्वर श्रद्धा के रूप में अर्पित की। प्रथम रचना के रूप में राग कल्याण में निबद्ध सरस्वती वंदना - सर्वेश्वरी जगदेश्वरी , उसके उपरांत राग जोग पर आधारित मीराबाई जी का प्रचलित भजन मेरे तो गिरधर गोपाल, सुविख्यात कवि श्री सोम ठाकुर जी द्वारा रचित सुर्ख़ सुबह चम्पई दुपहरी मोरपंखिया शाम तत्पश्चात राग यमन कल्याण में ठुमरी नुमा बंदिश सैयां मिलन की आस, राग मिश्र काफ़ी में आजा आजा आजा मोरे पिया दरस दिखा जा और अंतिम रचना जाओ रे जाओ मेघा जिसकी शब्द एवं स्वर रचना पंडित जी द्वारा ही की गयी थी, प्रस्तुति दी। सभी रचनाओं में पंडित जी के एक अलग पक्ष सुगम संगीत के रस भाव का बहुत ही सुन्दर ढंग से डॉ मेघा एवं शुभ्रा ने प्रस्तुति कर सबरस संगीत संध्या का सुरमयी शुभारम्भ किया।  सह कलाकारों में डॉ लोकेन्द्र तलेगांवकर ने तबले, पं रविंद्र तलेगांवकर ने संवादिनी, उस्ताद सलीम खां ने ढोलक एवं श्री शुभम शर्मा ने एकॉस्टिक गिटार पर अद्भुत साथ निभाया और पंडित जी की रचनाधर्मिता के अलौकिक दर्शन करवाए।कार्यकम के अगले चरण में पं राजेन्द्र गंगानी जी के सुविख्यात एवं लोकप्रिय शिष्य प्रीती- पियूष ने युगल कथक नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों की वाह वाही बटोरी। आप दोनों ने जयपुर घराने पारम्परिक रचनायें प्रस्तुत कर तैयारी एवं भाव का कुशलतापूर्वक प्रस्तुतीकरण किया। इस अवसर पर संस्था द्वारा आपको संगीत कला गौरव का सम्मान प्रदान किया गया। प्रथम सत्र की अंतिम प्रस्तुति के रूप में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बांसुरी वादक पं राजेन्द्र प्रसन्ना जी ने वेणु वादन प्रस्तुत किया। आपने बांसुरी पर राग मालकौंस में विलम्बित, मध्यलय एवं द्रुत रचना प्रस्तुत की।  स्वर लगाव, भाव, तानों की तैयारी आपके वादन में सारे ही गुणों का समावेश अनुभव करने को मिला। बांसुरी पर सह कलाकार के रूप में आपके सुपुत्र एवं शिष्य श्री रितेश प्रसन्ना ने अत्यंत सुरीले अंदाज़ में आपका साथ दिया। तबले की लाजवाब संगति की वाराणसी के युवा कलाकार श्री श्रुतिशील उद्धव ने। इस अवसर पर आपको संस्था के सर्वोच्च सम्मान संगीत कला रत्न का मानद सम्मान प्रदान किया गया। 

दिनांक 12 दिसम्बर 2021 को नाद साधना प्रातःकालीन सभा में उज्जैन की सुश्री संस्कृति - प्रकृति वाहने सितार-संतूर युगलबंदी एवं मुंबई के पं कालीनाथ मिश्रा एवं श्री सत्यप्रकाश मिश्रा तबला युगलबंदी प्रस्तुत करेंगे। समापन सभा दिनांक 12 दिसम्बर 2021 को सायं 6 बजे से आरम्भ होगी यह सभा प्राचीन कला केन्द्र, चंडीगढ़ के संस्थापक गुरु श्री मदन लाल कौसर जी को समर्पित की जाएगी। समापन सभा में वाराणसी के श्री अमृत मिश्रा अपना कथक नृत्य प्रस्तुत करेंगे तदोपरांत संस्था द्वारा संगीत मनीषियों को संगीत सेवी, संगीत कला संवर्धक, संस्कृति संवाहक एवं संगीत कलानुरागी के सम्मान प्रदान किये जायेंगे।अंतिम प्रस्तुति के रूप में पुणे से पधारीं भेंडी बज़ार घराने की सुविख्यात शास्त्रीय गायिका विदुषी अनुराधा कुबेर अपने शास्त्रीय गायन से करेंगी। 

-रिपोर्ट-असलम सलीमी।