विद्यार्थी अपने विषय से संबंधित सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में लें भाग-परिहार



हि.वार्ता।मदन साहू

एमसीबीयू की भू-गर्भ शास्त्र अध्ययन शाला द्वारा किया गया व्याख्यान का आयोजन।

      छतरपुर।महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की भू-गर्भ शास्त्र अध्ययन शाला द्वारा रूसा एवं विश्व बैंक की गुणवत्ता उन्नयन परियोजना अंतर्गत 6 दिसंबर को भू-विज्ञान एवं नाभिकीय ऊर्जा में कॅरियर के अवसर विषय पर एक दिवसीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित मुख्य वक्ता परमाणु खनिज निदेशालय हैदराबाद के सेवानिवृत्त डायरेक्टर श्री प्रताप सिंह परिहार द्वारा बहुपयोगी सारगर्भित व्याख्यान दिया गया।

          कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों के द्वारा मां सरस्वती की पूजा-अर्चना से किया गया। कार्यक्रम में प्रोफ़ेसर जे एस परिहार डीन भौतिकीय विज्ञान, प्रोफ़ेसर एच एन खरे डीन लाइफ साइंस, प्रोफेसर ए के सक्सेना डीन गणितीय विज्ञान तथा प्रोफेसर पी के जैन विभागाध्यक्ष भूगर्भ शास्त्र अध्ययन शाला मंचासीन रहे। श्री प्रताप सिंह परिहार का स्वागत पुष्प -मालाओं द्वारा क्रमशः प्रोफ़ेसर परिहार, प्रोफेसर खरे, प्रोफेसर सक्सेना, प्रोफेसर जैन, प्रोफ़ेसर मंजूषा सक्सेना एवं प्रोफेसर एच डी चतुर्वेदी द्वारा किया गया। कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर पी के जैन ने मुख्य वक्ता श्री प्रताप सिंह परिहार का परिचय सभी उपस्थित अतिथियों एवं विद्यार्थियों को कराते हुए बताया कि श्री परिहार ने छतरपुर नगर से हायर सेकेंडरी पूर्ण करने के बाद रीवा विज्ञान महाविद्यालय से स्नातक एवं सागर विश्वविद्यालय से 1975 में भूगर्भ शास्त्र में एमटेक किया। उन्होंने परमाणु खनिज निदेशालय में वैज्ञानिक के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत कर विभिन्न पदों पर रहते हुए,चार वर्षों तक उसी विभाग के सर्वोच्च पद संचालक के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने लगभग 40 वर्ष केंद्र शासन की सेवाएं भी दीं। विषय का प्रवर्तन करते हुए  प्रोफ़ेसर जैन ने विद्यार्थियों को भूगर्भ शास्त्र में कैरियर कैसे प्राप्त करें बतलाया।

       श्री प्रताप सिंह परिहार ने अपने लगभग डेढ़ घंटे के व्याख्यान में पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से भूगर्भ शास्त्र में स्नातक एवं स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शासकीय, अशासकीय एवं निजी कंपनियों में रोजगार के अवसरों के बारे में विस्तार से बताया।इस दौरान उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में विद्यार्थियों को अंग्रेजी भाषा से नहीं डरना चाहिए, बल्कि उसको बोलने और लिखने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से अनुरोध किया कि अंग्रेजी विषय की स्पोकिंग स्किल एवं राइटिंग स्किल के डिप्लोमा कोर्स चलाए जाने की पहल की जानी चाहिए। जिससे विद्यार्थी स्नातक एवं स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के साथ अंग्रेजी भाषा में भी निपुण हो सकें। उन्होंने भूगर्भ शास्त्र के विद्यार्थियों से कहा कि वह विषय से संबंधित सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठें,तैयारी करें। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में गणित, अंग्रेजी इंटरमीडिएट या स्नातक स्तर की पूछी जाती हैं। केवल मूल विषय ही स्नातकोत्तर स्तर का पूछा जाता है। वहीं श्री परिहार द्वारा परमाणुविक ऊर्जा के बारे में भी विश्वस्तर पर भारत के स्थान, परमाणु खनिजों के उत्पादन एवं उपस्थिति की संभावनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया।

        व्याख्यान के अंत में ऑनलाइन माध्यम से जुड़े श्री एन के दत्ता, भूतपूर्व डायरेक्टर जनरल, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, कोलकाता द्वारा भी सभी विद्यार्थियों से तैयारी कर प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने का आव्हान किया गया। वहीं श्री परिहार एवं श्री दत्ता द्वारा विद्यार्थियों के सभी प्रश्नों एवं जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे, विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ जे पी मिश्रा द्वारा व्यस्तता के कारण ऑनलाइन माध्यम से जुड़कर,भू-वैज्ञानिकों के सुझावों को विद्यार्थियों से आत्मसात करने को कहा। कार्यक्रम के अंत में मुख्य वक्ता श्री प्रताप सिंह परिहार का शॉल एवं श्रीफल के द्वारा सम्मान किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में विभाग के इमरान सिद्दीकी, कुमारी आशी जैन तथा लक्ष्मण लोधी का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम का आयोजन ऑफलाइन होने के साथ ही विभिन्न प्लेटफार्म पर ऑनलाइन भी किया गया। जिसमें विश्वविद्यालय एवं देश के कई हिस्सों से विद्यार्थी शामिल होकर लाभान्वित हुए।