एमिटी विश्वविद्यालय में “बालिकाओं के प्रति भेदभाव रोकने और समानता के अवसर उपलब्ध कराने विषय” पर विशेषज्ञों ने व्यक्त किये विचार






हिन्दुस्तान वार्ता,नोयडा।अनिल दूबे।


एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एजुकेशन, एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा आज यूनिसेफ डे मनाया गया और यूनिसेफ के इस वर्ष के विषय ‘‘ अंर्तराष्ट्रीय बालिका दिवस 2021 - डिजिटल पीढ़ी: हमारी पीढ़ी’’ पर विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किये। इस कार्यक्रम का शुभारंभ भारत में यूनिसेफ के शिक्षा विशेषज्ञ श्री दानिश अज़ीज द्वारा किया गया। परिचर्चा सत्र में यूनिसेफ और यूनेस्को के कंसलटेंट श्री रविंद्र कुमार, दिल्ली स्टेट लीगल सर्विस ऑथारिटी के सचिव श्री हरजीत सिंह जसपाल, यूनिसेफ पेरिस की फेलिसिटेटर सुश्री हजर अल क्वाफा, एबी टूटोरियल्स के जनरल मैनेजर श्री दीपक चावला और दूरदर्शन की प्रोग्राम ऑफीसर सुश्री नीरजा गुप्ता ने अपने विचार व्यक्त किये। इस कार्यक्रम में एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एजुकेशन की प्रमुख डा अलका मुद्गल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।


 


कार्यक्रम का शुभारंभ भारत में यूनिसेफ के शिक्षा विशेषज्ञ श्री दानिश अज़ीज ने कहा कि वर्तमान समय में यह परिचर्चा बेहद आवश्यक है। हमे छात्रों को लैगिक समानता और बालक बालिकाओं सभी को समान अवसर प्रदान करने के लिए जागरूक करना जरूरी है और यह जागरूकता ही समाज, देश और विश्व में बदलाव लायेगा। इस असामनता के मध्य के रिक्त स्थान को भरने के लिए प्रयास किया जा रहा है लेकिन अभी भी काफी कार्य शेष है। महिला और पुरषों में भेदभाव के क्षेत्र मे भेदभाव को रोकने के लिए हमें चुनौतीयों को समझना होगा और हर क्षेत्र में हर स्तर पर समानता के अवसर उपलब्ध करना होगा। हमें महिलाओं और कन्याओं की भागीदारी का डाटा बनाना होगा और उनकी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी।


 


एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एजुकेशन की प्रमुख डा अलका मुद्गल ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि एमिटी विश्वविद्यालय मे ंहम छात्रों को समाजिक कार्य करने और कुरितियों को दूर करने के लिए लोगो को जागरूक करने के लिए प्रोत्साहित करते है। शिक्षा समाज और देश के हर परिपेक्ष्य में निर्माण के लिए सहायक है इस प्रकार के कार्यक्रमों द्वारा छात्रों को समानता के भाव को समझने और इस दिशा में कार्य करने का मार्गदर्शन प्राप्त होता है।


 


यूनिसेफ डे पर आयोजित विषय ‘‘ अंर्तराष्ट्रीय बालिका दिवस 2021 - डिजिटल पीढ़ी: हमारी पीढ़ी’’ की परिचर्चा में यूनिसेफ और यूनेस्को के कंसलटेंट श्री रविंद्र कुमार ने कहा कि समाज महिलाओं और पुरूषो दोनो के लिए बना है। आज बालिकाओे और महिलाओं ं के स्वास्थय विकास, शिक्षा, आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए काफी प्रयास किये जा रहे है लेकिन अभी भी इस दिशा में काफी प्रयास करना है। बहुगुणित दृष्टिकोण आवश्यक है। बालिकाओं की डिजिटल क्षेत्र में प्रगति एवं सहभागीता भी आवश्यक है।


 


दिल्ली स्टेट लीगल सर्विस ऑथारिटी के सचिव श्री हरजीत सिंह जसपाल ने संबोधित करते हुए कहा कि हमें समानता के साथ न्याय संगतता के बारे में विचार करना चाहिए। जहंा समानता मे ंहम किसी भी चीज को दो बराबर भागों में विभाजित करते है वही न्याय संगतता मे ंहम देखते है कि सही और न्याय क्या है।


 


यूनिसेफ पेरिस की फेलिसिटेटर सुश्री हजर अल क्वाफा ने कहा कि यूनिसेफ, दिव्यांग बच्चों, संर्घष और युद्ध के दौरान बच्चों की सुरक्षा, बाल श्रम के विरूद्ध आदि पर कार्य करता है। बालिकाओं और महिलाओं के शिक्षित होने से जीवन की उत्पादकता बढ़ेगी और उनकी आमदनी भी बढ़ेगी जिससे वे सही और उपयुक्त निर्णय ले सकेगी और उनका भविष्य बेहतर बन सकेगा। यूनिसेफ, बालिकाओं को शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करता है।


 


इस अवसर पर एबी टूटोरियल्स के जनरल मैनेजर श्री दीपक चावला और दूरदर्शन की प्रोग्राम ऑफीसर सुश्री नीरजा गुप्ता ने अपने विचार साझा किये। कार्यक्रम में एमिटी विश्वविद्यालय के डीन - स्टूडेंट वेलफेयर डा मार्शल साहनी, एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एजुकेशन की डा रसना सेहरावत सहित कई शिक्षक एवं छात्र उपस्थित थे।


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