एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा नैनोतकनीकी पर पांच दिवसीय ऑनलाइन शिक्षक विकास कार्यक्रम का शुभारंभ

 




हिन्दुस्तान वार्ता,नोएडा।

एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ नैनोटेक्नोलॉजी द्वारा शिक्षकों और शोधार्थियों को नैनोतकनीकी में वर्तमान आधुनिकता और भविष्य के परिपेक्ष्य की जानकारी प्रदान करने के लिए पांच दिवसीय ऑनलाइन शिक्षक विकास कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। 18 से 22 जनवरी तक चलने वाले इस पांच दिवसीय ऑनलाइन शिक्षक विकास कार्यक्रम का शुभारंभ एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला, एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एडवांस रिसर्च एंड स्टडीज (मैटेरियल एंड डिवाइसेस) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा वी के जैन, एमिटी विश्वविद्यालय की साइंस एंड टेक्नोलॉजी की डीन डा सुनिता रतन और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ नैनोटेक्नोलॉजी के निदेशक डा ओ पी सिन्हा द्वारा किया गया। इस अवसर पर सीएसआईआर के प्रगत पदार्थ तथा प्रक्रम अनुसंधान संस्थान (एएमपीआरआई) भोपाल के निदेशक डा अवनीश कुमार श्रीवास्तव ने ‘‘ आत्मनिर्भर भारत - मैटेरियल के परिपेक्ष्य में’’ पर व्याख्यान दिया। इस कार्यक्रम में देश विदेश से शिक्षकों, शोधार्थियों, वैज्ञानिको, विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।

सीएसआईआर के प्रगत पदार्थ तथा प्रक्रम अनुसंधान संस्थान (एएमपीआरआई) भोपाल के निदेशक डा अवनीश कुमार श्रीवास्तव ने ‘‘ आत्मनिर्भर भारत - मैटेरियल के परिपेक्ष्य में’’ पर व्याख्यान देते हुए कहा कि उद्योगों का विकास 1ण्0 से 4ण्0 तक हुआ है। जिसमें प्रथम चरण में 18 वी शताब्दी में मैकेनिकल उत्पादन और द्वितीय चरण में 20 वी शताब्दी के प्रारंभ में बृहद उत्पादन, ततृीय चरण में 1970 से 2000 के मध्य ऑटोमेटेड उत्पादन और चतुर्थ चरण में 2010 के उपरांत डिजिटल परिवर्तन आया है। उन्होनें कहा कि आत्मनिर्भर भारत में मैटेरियल अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है। हमें स्थायी मैटेरियल की रणनिती को अपनाना होगा। डा श्रीवास्तव ने सीएसआईआर के प्रगत पदार्थ तथा प्रक्रम अनुसंधान संस्थान (एएमपीआरआई) के एडवांस मैटेरियल की जानकारी देते हुए मैटेरियल एंड पॉलीमर, सिविल इंन्फ्रास्ट्रक्चर, एनवांयरमेंट और नेक्स्ट जेनेरेशन मैटेरियल के बारे में बताया। इस दौरान उन्होने सीएसआईआर के प्रगत पदार्थ तथा प्रक्रम अनुसंधान संस्थान (एएमपीआरआई) द्वारा विकसित किये गये एडवांस फ्लाई एश आधारित जियोपॉलीमर, हाईब्रीड ग्रीन कंपोस्टि मैटेरियल, बहुउपयोगी बांस का मूल्यवर्धन करके बांस चारकोल, वंशलोचल आदि का निर्माण आदि की जानकारी प्रदान की। उन्होनें कहा कि भविष्य की पीढ़ी को तकनीकी कौशल से युक्त बनाने पर भारत आत्मनिर्भर बनेगा।


पांच दिवसीय ऑनलाइन शिक्षक विकास कार्यक्रम का शुभारंभ एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला ने संबोधित करते हुए इस कार्यक्रम के दो प्रमुख उददेश्य है जहां एक ओर यह नैनोतकनीकी के क्षेत्र में आधुनिक जानकारी प्रदान करेगा वही दूसरी ओर शोध और नवाचार के नये अवसर प्रदान करने के साथ आपसी सहयोग के अवसर भी उपलब्ध करायेगा। नैनोतकनीकी एक बहु विषयक दृष्टिकोण प्रदान करता है। हमारा उददेश्य उद्योगों के मैटेरियल एंड डिवाइस के नये एप्लीकेशन एवं उत्पाद विकसित करना है जिसे विकसित करके उसका लाभ समाज को प्राप्त हो। आपसी सहयोग शोध वर्तमान समय में अत्यंत महत्वपूर्ण है। भविष्य के अधिकतर शोध नैनोतकनीकी आधारित होगें जिसमें कई भिन्न भिन्न विषयों ओर क्षेत्रों का सहयोग होगा। उन्होनें कहा कि इस कार्यक्रम का लाभ प्राप्त करें और आपसी सिनर्जी को विकसित करें।

एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एडवांस रिसर्च एंड स्टडीज (मैटेरियल एंड डिवाइसेस) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा वी के जैन, ने कहा कि एमिटी द्वारा उत्पाद विकास से अंत विषयक तक  नैनोतकनीकी के क्षेत्र में बृहद स्तर पर सहयोग किया जा रहा है। बहुविषयक शोध नैनोतकनीकी का एक महत्वपूर्ण भाग है। यह कार्यक्रम अत्यंत प्रभावी ओर परिणाम दायक होगा।

एमिटी विश्वविद्यालय की साइंस एंड टेक्नोलॉजी की डीन डा सुनिता रतन ने कहा कि आज स्वास्थय, रक्षा, औद्योगिक उत्पाद, कृषि आदि क्षेत्रों में नैनोतकनीकी का उपयोग हो रहा है। शोध और नवाचार के क्षेत्र में नैनोतकनीकी अत्यंत आवश्यक है और इसी कारण आज लगभग हर क्षेत्र के शोधार्थी इस कार्यक्रम में उपस्थित है।

एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ नैनोटेक्नोलॉजी के निदेशक डा ओ पी सिन्हा ने सभी अतिथियों और प्रतिभागीयों का स्वागत करते हुए कहा कि इस पांच दिवसीय कार्यशाला में देश विदेश से वैज्ञानिक और विशेषज्ञ जानकारी प्रदान करेगें। 21वी सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए नैनोतकनीकी का उपयोग आवश्यक है। आज नैनोतकनीक जीवन के हर क्षेत्र से जुड़ा है।

इस अवसर आईआईटी दिल्ली के भौतिकी विभाग के डा नीरज खरे ने ‘‘ फ्लेसिबल नैनोकम्पोजिट फिल्म फॉर एनर्जी हारवेस्टिंग’’पर सहित कई विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किये।

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