किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार : रवीन्द्र कु.सिन्हा"रंजन"


स्वामी विवेकानंद जी,जयन्ती पर विशेष :-

स्वामी विवेकानन्द जी के जन्मोत्सव पर हमें शैलेन्द्र जी का यह गाना"किसी के मुस्कराहटों पे हो निसार,किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार..(अनारी)

हमारे जहन में बारम्बार आ रहा है, और इन पंक्तियों को समय समय पर दिल से गुनगुनाता भी हूँ। हमारा cgतो यही मानना है कि उक्त गीत के स्वर ही स्वामी जी की सच्ची "श्रद्धांजलि है...।

ऐसे पुनीत अवसर पर स्वामी जी के तीन सिद्धांतों का जिक्र करना अति आवश्यक है। उनका पहला सिद्धान्त निर्भय बनो एवं दूसरा आत्मविश्वासी बनें तथा तीसरा अपने शब्दों पर विश्वास करें,दृढ़प्रतिज्ञ बने।

हमें उनके बताए सिद्धातों का पालन करना चाहिए। 

स्वामी जी का जन्म (12 जनवरी 1863) भारत की अत्यंत दैनिये स्थिति में हुआ,जब भारतीय संस्कृति एवं इतिहास को बुरी तरह से आक्रांताओं द्वारा रौंद दिया गया था। 

भारतीय संस्कृति पुनरस्थापना एवं भारतीयों की स्थिति सुधार हेतु स्वामी विवेकानंद विश्व धर्म संसद(11 सितंबर 1893) के मंच पर रखा और पूरे विश्व को भारतीय गरिमामयी संस्कृति से अवगत कराया ।

स्वामी जी के विश्व मंच पर उद्बोधन-'Sisters and Brothers of America' मात्र से ही पूरे विश्व के महान ज्ञानी हतप्रभ रह गए। उस दिन 'भारतीय संस्कृति' का परचम विश्व पटल पर लहराया,जो आज तक अटल और अचल है ।

श्री स्वामी जी पहले वो व्यक्ति बने, जिसने महिलाओं को पुरुषों के समकक्ष खड़ा किया एवं विश्व बंधुत्व का नारा  दिया। 

वेदांत सोसायटी, राम कृष्ण मिशन एवं बेलूर मठ की स्थापना के साथ साथ गीता के उपदेशों को सरल भाषा में- ज्ञानयोग, भक्तियोग, कर्मयोग एवं राजयोग पर पुस्तकें लिखी और विश्व को जीने का सही मार्ग दिखाया। 

गर्व से कहो हम हिन्दू हैं...।

ऐसा पढ़ कर लोगों को लगेगा कि उक्त वाक्य- स्लोगन में कट्टरता की बू है।जबकि ऐसा कदापि नहीं।

हिन्दू कोई पंथ नहीं ,एक जीवनशैली है।

कृपया इसे Religion ना कहें।हिंदू धर्म का अंग्रेजी अनुवाद ना करें, और भारत को भारत ही रहने दें India ना कहें। हिन्दुत्व को Hinduism ना कहें ।

यह radical नहीं है।

यहां तो सर्वधर्म समभाव है।

हम तो नर में राम और नारी में सीता को देखते है।

हम मानते हैं, रास्ता जो भी हो, मंजिल एक है, सभी को परम पिता परमात्मा में ही समाहित होना है।

कुछ शब्दों को अंग्रेजी अनुवाद से बख्श दें। संस्कृत के प्रचार प्रसार से ही संस्कृति सम्भव है और संस्कृति से संस्कार।

अपने शब्दों को भारतीय होकर समझें।

विष्णु पुराण को पढ़े, जिसमें कहा गया कि सागर के उत्तरी और हिमालय के दक्षिणी क्षेत्र भारत है, और वहां के निवासी भारतीय हैं।

यहां स्पष्ट है कि भारत में रहने वाला चाहे कोई भी धर्म या पंथ का हो वो भारतीय है।

यही विशालता है भारत की।

यही है हिन्दुत्व..।

स्वामी विवेकानंद जी को श्रद्धा सुमन..।

शत शत नमन।।

जय हिन्द🙏🏼

(लेखक- कोल इंडिया के पूर्व-महा प्रबन्धक हैं)