आगरा में खण्डपीठ की स्थापना में अब और देरी नहीं: नेशनल चेंबर।




                        मनीष अग्रवाल :अध्यक्ष


-जस्टिस जसवंत सिंह आयोग की रिपोर्ट को शीघ्र लागू किया जाये। 

-केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री श्रीमान बघेल जी से आगरा वासियों  को  बहुत  आशायें। 

-निर्णायक आंदोलन किए जाने पर की गयी चर्चा ।

-लड़ाई हो आर पार की

साथ  साथ एनएलयू की  भी  स्थापना  हो। 

-लोगों को नहीं लगाने होंगे  इलाहाबाद के चक्कर। 

-आगरा मे खण्डपीठ  से लोगों  को  मिल  सकेगा  त्वरित  न्याय। 

-आगरा  का  आर्थिक विकास  होगा। 

-आगरा  के  अलावा  समीपस्थ क्षेत्रों का  भी  होगा  फायदा। 

-एनएलयू  से  प्रतिभा  पलायन  रुकेगा। 

-केंद्रीय विधि मंत्रालय  ने  भी  अपनी  स्ट्रॉन्ग रिकमेंडेशन भेजी है उत्तर प्रदेश सरकार को ।

-अब बारी है हमारे जनप्रतिनिधियों की 

अब इसे बनाया जाएगा जन आंदोलन -मिलेंगे प्रधानमंत्री से

डबल इंजन की सरकार में संभव है आगरा में खंडपीठ।

हिन्दुस्तान वार्ता।

दिनांक 7 जनवरी 2022 को चेंबर भवन में चैम्बर के उपाध्यक्ष अनिल अग्रवाल की अध्यक्षता में उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापना संघर्ष समिति के साथ की एक बैठक आयोजित की गई जिसमें आगरा में उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापना के संबंध में विस्तृत चर्चाएं हुई।  बैठक का संचालन पूर्व अध्यक्ष सीताराम अग्रवाल द्वारा किया गया तथा बैठक का आयोजन नेशनल चेंबर की कार्यकारिणी के  सदस्य रविंद्र अग्रवाल द्वारा किया गया। 

चेंबर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि आगरा में उच्च न्यायालय की खंडपीठ की स्थापना की मांग वर्षो पुरानी है। पूर्व में भी चेंबर खंडपीठ की स्थापना के संबंध में अपनी सक्रिय भूमिका निभा चुका है।  दशकों पूर्व आगरा में उच्च न्यायालय खंडपीठ की स्थापना के संबंध में राय प्रकट करने के लिए जस्टिस जसवंत सिंह आयोग का गठन किया गया था। 900 पृष्ठ की इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय के  खंडपीठ की स्थापना की आवश्यकता है और इसके लिए सबसे उपयुक्त स्थान आगरा ही है।  इस आयोग की रिपोर्ट में नेशनल चैम्बर का नाम लिखा हुआ है। मेरठ से आगरा में खंडपीठ की स्थापना का विरोध किया गया था और यह बहाना लगाया गया था कि यह आयोग राजनैतिक है। 

बार काउंसिल के अध्यक्ष अधिवक्ता प्रमोद शर्मा ने बताया कि आगरा में खंडपीठ की स्थापना की मांग 55 वर्ष से लंबित हो रही है यह आंदोलन बीच में कुछ ठंडा पड़ गया था।  इसे अब आगे बढ़ाया जा रहा है. न्यायमूर्ति जसवंत सिंह आयोग की रिपोर्ट में आगरा का दावा बहुत ही प्रबल है। 

खंडपीठ संघर्ष समिति के संयोजक अधिवक्ता हेमंत भारद्वाज ने बताया कि इस आंदोलन को मिलकर आगे बढ़ाया जाये। इसे आगे बढ़ाने में हम चाहते हैं कि चेंबर से हमारे कार्यक्रम में भागीदारी की जाए और चेंबर  के कार्यक्रमों में संघर्ष समिति की भागीदारी हो। अब इस आंदोलन को जन आंदोलन के रूप में चलाने की जरूरत है। चेंबर पूर्व से ही इस आंदोलन में सक्रिय रहा है।  चेंबर की आवाज प्रदेश सरकार के गलियारों में गूजेंगी तो इस आंदोलन पर सक्रिय कार्रवाई हो सकेगी।  उन्होंने जानकारी दी कि आगरा में खंडपीठ की स्थापना न होने का एक कारण राजनैतिक भी रहा है आगरा में विधि मंत्री किरन रिजीजू आये थे।  हमने यह मांग की थी कि आगरा के प्रतिनिधिमंडल को प्रधानमंत्री से इस विषय में चर्चा के लिए समय दिलाया जाए .  उन्होंने दिल्ली पहुंच कर हम को कॉल करने की कही थी लेकिन अभी तक हमें  प्रतीक्षा हो रही है। 

चैम्बर  के पूर्व अध्यक्ष अनिल वर्मा ने बताया कि इस आंदोलन में पूर्व में पर्याप्त संघर्ष किया जा चुका है।  आगरा में खंडपीठ की स्थापना से पुरे पश्चिम उत्तर प्रदेश को लाभ मिलेगा। इस संबंध में प्रधानमंत्री महोदय से मिला जाए और प्रतिनिधिमंडल में चैम्बर के पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, अधिवक्ताओं, हमारे सांसदों, मंत्रियों को भी सम्मिलित किया जाए। ईएसआई, ईपीएफ की रिटर्न दाखिल करने, श्रमिक विवादों आदि से संबंधित केस में आगरा के लोगों को इलाहाबाद के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इससे समय तो बर्बाद होता ही है साथ ही यह बहुत ही खर्चीला भी  होता है ।

पूर्व अध्यक्ष श्री किशन गोयल  ने कहा कि चेंबर सदैव से इस आंदोलन में सक्रीय भूमिका निभाता रहा है और अब भी नेशनल चैम्बर सक्रीय  रूप से इस आंदोलन में अपनी भूमिका निभाने को तत्पर है। 

श्री दुर्ग विजय सिंह भैया ने बताया कि नेशनल चैंबर सामाजिक कार्यों के लिए आगरा एवं आसपास के जनपदों में एक धुरी  है।  नेशनल चैंबर ने जन सरोकार के सभी आंदोलनों में सक्रीय भूमिका निभाई है। जब ब्रज प्रदेश बनाने की मांग में थी तब भी चैम्बर ने अपनी अहम भूमिका निभाई थी।  अब इस जनांदोलन को चैम्बर के आगे बढ़ाने की जरुरत है। जब जस्टिस जसवंत सिंह कमीशन अपनी रिपोर्ट में यह स्पष्ट कर चुका है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बेच की स्थापना की आवश्यकता है और आगरा ही उसके लिए एकमात्र उपयुक्त स्थान है तो इसमें कहां परेशानी है। उस आयोग की रिपोर्ट को क्यों नहीं लागू किया जा रह है। इस बार भी संसद भवन में राजस्थान के एमपी जो नागोड़ से हैं उनके द्वारा इस विषय पर चर्चा के लिए कहा गया था किंतु हमारे प्रतिनिधि इसमें शांत रहे। यह एक बहुत ही आश्चर्यजनक है।  जन आंदोलन में यदि आवश्यकता पड़ी तो आगरा बंद का भी आह्वान किया जाएगा। 

खंडपीठ स्थापना संघर्ष समिति के अन्य पदाधिकारियों एवं सक्रिय कार्यकर्ताओं द्वारा भी अपने विचार रखे गए।  सभी का कहना था कि इस बार कोई निर्णायक रणनीति तैयार की जाए।  अगर आवश्यकता पड़े तो हमें त्याग के लिए भी तैयार रहना चाहिए।  आगरा में टीटीजेड घोषित होने के बाद सरकार के पास आगरा को देने के लिए हाई कोर्ट बेंच के अलावा ही और क्या रह गया है। 

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए पूर्व अध्यक्ष सीताराम अग्रवाल ले व्यक्त किया के चुनाव का समय है। अतः हमारी इस मांग के संबंध में पूरे शहर में होर्डिंग्स लगाई जाएं।   ताकि हमारी आवाज जनप्रतिनिधियों एवं सरकार के तक जोरदारी से पहुंच सके।  इस बार लड़ाई आर-पार की होनी चाहिए। 

चेंबर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि आगरा में खंडपीठ की स्थापना हेतु न्यायमूर्ति जसवंत सिंह आयोग की रिपोर्ट को लागू किया जाए।  चैम्बर ने पूर्व में सक्रीय भूमिका निभाई है और अब भी इस आंदोलन में एक सक्रीय भूमिका निभाएगा।  इसके साथ ही एनएलयू की स्थापना की लड़ाई जारी रहेगी।

बैठक में चेंबर उपाध्यक्ष अनिल अग्रवाल, उपाध्यक्ष सुनील सिंघल, कोषाध्यक्ष गोपाल खंडेलवाल, पूर्व अध्यक्ष सीताराम अग्रवाल, अनिल वर्मा, श्रीकिशन गोयल, बैठक के संयोजक रविंद्र अग्रवाल, कार्यकारिणी सदस्य मनोज कुमार अग्रवाल, बार काउंसिल के अध्यक्ष प्रमोद शर्मा, दुर्ग विजय सिंह भैया, अधिवक्तागणों में हेमंत भारद्वाज, वीरेंद्र भारद्वाज, रामेंद्र पचौरी, राहुल शर्मा, अनुज गर्ग, सौरभ श्रीवास्तव, हरिओम शर्मा, अनूप कुमार सिंह, हरजीत अरोड़ा, विजय गुप्ता, रूपेश भारद्वाज, एस के पचौरी, वीरेंद्र फौजदार, चौधरी अजय सिंह, कार्यवाहक संयोजक हाई कोर्ट खंड पीठ स्थापना संघर्ष समिति, मुदित गोयल  आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।