भारतीयता और हिन्दुत्व की पुनरस्थापना।इं.रवीन्द्र कु.सिन्हा"रंजन"



हिन्दुस्तान वार्ता।

 स्वतन्त्र भारत में भी सोंचें कि हमें कितना गलत पढाया गया।

इसका जिम्मेवार कौन है ?

भारतीय इतिहास के नाम पर बाबर से लेकर औरंगजेब के बारे में ही विस्तृत पढाया गया, बाकी सब गौंण किया गया, यह एक साजिश की ओर इंगित करता है। 

मुगल-अंग्रेजो द्वारा,भारतीय संस्कृति को बुरी तरह दमित किया गया।लॉर्ड मैकॉले गुरुकुल की परम्परागत भाषा संस्कृत पर प्रहार करते हुए अंग्रेज़ी माषा को अनिवार्य किया और इस प्रकार हम से हमारी संस्कृति-संस्कार ही छीन  लिया गया,क्योंकि हमारे साहित्य संस्कृत भाषा मे ही था।हमारा साहित्य अनेकानेक विषयों मे विश्व के हर क्षेत्र मेअग्रणी था।हमारे ऋषि मुनियों द्वारा विज्ञान/गणित के प्रत्येक क्षेत्र में संस्कृत के श्लोकों के माध्यम से अविष्कारों का वर्णन था,जो संस्कृत से अन्जान होते क्रम मे विलुप्त होते चले गए। 

इस प्रकार गुरुकुल संस्कृति को साजिशन नष्ट किया गया ताकि भारतीयों को मानसिक गुलामी में स्थाई तौर पर रखा जाय। 

समस्त सांस्कृतिक बिरासत को नष्ट किया गया, नालंदा बिश्व विद्यालय को जला दिया गया।

 स्वतंत्रता प्राप्ति पश्चात भारतीय संस्कृति को यदि संयोजा गया होता तो, सामाजिक संरचना  विकृत की जगह सुसंस्कृत हो गई होता।

हम आह्वान करते हैं कि आगे आइये.. संस्कृत पठन-पाठन ( वेद-पुराण, गीता,रमायण,महाभारत)शुरु करे!भारतीय महापुरुषो को इतिहास से निकाल वर्तमान मे प्रेरणास्रोत बनाए।एक नया भारत सृजित करे..

संस्कृत से संस्कृति का सृजन,संस्कृति से संस्कार सृजन और संस्कार से आचार-विचार, व्यवहार का पुनर्निर्माण ।

अंतत्ह देश की संस्कृति "वसुधैव कुटुम्बकम", विश्व गुरु के रूप मे पुनर्स्थापना।

इतिहास और संस्कृति दोनो एक दुसरे के पूरक एवं आने वाले संतती के मार्ग दर्शक होने के साथ आने वाले भविष्य के दिशा निदेशक भी होते हैं।

सावधान. बदल डालो छद्म इतिहास को, ताकि तुम्हारा वर्तमान सुधर सके, भविष्य अपनी पुरानी बिरासत को पाकर पुनः इठला सके।

मो:8477877770/9557403957