जब संकल्प दृढ़ हो,तो मंज़िल मिल जाती है : समाज सेविका पिंकी पंवार।



हिन्दुस्तान वार्ता। 

जब अपने रास्ते की बाधा को ही प्रेरणा बना ले तो मंज़िल भी झुक जाती है। इसका उदाहरण है पिंकी पंवार। जब अपनी पढ़ाई में बाधा उत्पन्न हुई तो फिर शिक्षा क्षेत्र में ही कार्य करने के लिए पिंकी पंवार ने स्वयं को पूर्णतः समर्पित कर दिया ।

सहारनपुर जनपद की रामपुर मनिहारन तहसील के घसोती ग्राम में 1981 में जन्मी पिंकी पंवार की वर्ष 2004 में निकटवर्ती शामली जनपद के हथछोया गाँव में शादी हो गई।शादी के कारण पिंकी की पढ़ाई बीच में ही छूट गई। उस समय पिंकी स्नातक प्रथम वर्ष की छात्रा थी। पढ़ाई छूटने का दर्द लेकर पिंकी ससुराल आ गई। कुछ दिनों तक इस दर्द को अपने भीतर लिए पिंकी अपने दाम्पत्य जीवन में रमने लगी। एक दिन उसने अपने मन की बात अपने पति को कह डाली। पति ने पिंकी का हैसला बढ़ाया और उन्हें अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया।

पिंकी ने न केवल स्नातक पूरा किया वरन सन 2008 में झाँसी के बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से इतिहास विषय में एमए भी कर लिया। एमए के बाद पति की बेरोज़गारी और खराब आर्थिक स्थिति के कारण पिंकी आगे पढ़ाई नही कर पाई। सन 2011 तक पिंकी एक बेटे और एक बेटी की माँ बन गई लेकिन पति की बेरोज़गारी आगे बढ़ने में बड़ी बाधा के रूप में सामने आई। पिंकी ने संकल्प लिया कि अब वह शिक्षा के क्षेत्र में ही कार्य करेगी। अतः उन्होंने अपने घर पर ही वर्ष 2012 में निशुल्क पढ़ाना शुरू कर दिया।

 भाग्य ने साथ दिया तो पति का भी उत्तर प्रदेश पीसीएस में चयन हो गया। अब पिंकी के संकल्प को प्रबल शक्ति मिल गई। पिंकी ने संकल्प लिया कि वह अपनी ससुराल में शिक्षा की अलख जगाएगी। पहले तो पिंकी ने बीच में पढ़ाई अधूरी छूट जाने वाली लड़कियों को अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए प्रोत्साहित करना शुरू किया। उन्होंने ऐसी लड़कियों के अभिभावकों को समझाना शुरू किया जिसमें उन्हें सफलता मिली। बीच में पढ़ाई छोड़ देने वाली लड़कियों के अभिभावकों ने पिंकी के कहने पर अपनी बेटियों की शिक्षा पूरी करने में साथ दिया। कुछ निर्धन बच्चियों को पिंकी ने खुद अपनी बचत से आर्थिक मदद करके शिक्षा पूरी करने में मदद की।

 शिक्षा के अपने आंदोलन को संस्थागत रूप देने के लिए पिंकी ने वर्ष 2013 में सहारनपुर में प्रेमकुल मिशन ट्रस्ट की स्थापना की। इस ट्रस्ट का मुख्य उद्देश्य ही शिक्षा आंदोलन बन गया। 

 वर्ष 2016 में प्रेमकुल मिशन ट्रस्ट के अभियान को तब गति मिल गई जब हथछोया गाँव के ही श्री राकेश ने पिंकी के पति से मिलकर अपनी समस्त भूमि डिग्री कालेज की स्थापना के लिए दान करने का प्रस्ताव रखा। श्री राकेश के भूमिदान के प्रस्ताव को ट्रस्ट बोर्ड के सामने रखा गया जिसे स्वीकार कर लिया गया।तब प्रेमकुल मिशन ट्रस्ट की शामली जनपद में पुनर्स्थापना करके श्री राकेश को आजीवन ट्रस्टी तथा कोषाध्यक्ष बनाया गया। प्रस्तावित महिला डिग्री कालेज का नाम देवस्थली विद्यापीठ तय किया गया।

बसन्त पंचमी (माँ सरस्वती जयंती) माघ शुक्ल पंचमी दिनांक 1 फरवरी 2017 को हथछोया,जनपद शामली,उत्तर प्रदेश में देवस्थली विद्यापीठ (महिला डिग्री कालेज) की स्थापना के लिए विधिवत पूजन के पश्चात भूमि पूजन किया गया। इस अवसर पर असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्य कर सहारनपुर श्री सुनील सत्यम,संजय सिंह तोमर (लेखपाल),श्री प्रेमसिंह तोमर,अनिल त्रिपाठी,राकेश कश्मीर सिंह,महिपाल सिंह तोमर,सत्यपाल सिंह तोमर,लाला महेंद्र सिंह,तेजपाल गुर्जर,चरण सिंह दिलावरे,सुरेंद्र दिलावरे,विजयपाल सिंह दिलावरे,अमित भगत,अनिल खेवड़िया, आदि उपस्थित रहे।पूजन,हवन महावीर निखिल जी महाराज द्वारा किया गया।

7 फ़रवरी 2016 में डिग्री कालेज की निर्बाध स्थापना के लिए हवन का आयोजन किया गया। इसके पश्चात 7 मई 2017 को गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद जी महारज द्वारा देवस्थली विद्यापीठ (महिला डिग्री कालेज) की स्थापना की गई।

 पिंकी पंवार के पास प्रेमकुल मिशन ट्रस्ट के रूप में अब एक बड़ी टीम थी। सम्पूर्ण टीम ने जिसमें पिंकी के पति डिप्टी कमिश्नर श्री सुनील सत्यम भी शामिल है, प्रस्तावित देवस्थली विद्यापीठ की स्थापना के लिए लोगों से दिन रात लगाकर चंदा एकत्र किया।इस पवित्र कार्य के लिए लोगों ने ईंट, रोड़ी,सरिया, सीमेंट,रेत आदि के रूप में निर्माण सामग्री दान में दी। पिंकी की सास ने भी डेड बीघा ज़मीन ख़रीदकर प्रेमकुल मिशन ट्रस्ट को दान कर दी।

देखते ही देखते लगभग दो वर्ष में विद्यालय भवन तैयार हो गया।  15 जुलाई 2018 को चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय मेरठ ने देवस्थली विद्यापीठ को स्नातक कक्षाओं के लिए संबद्धता भी प्रदान कर दी।  इस प्रकार एक लम्बे संघर्ष ने संस्थागत रूप ले लिए। आज इस डिग्री कालेज में सैकड़ों निर्धन बालिकाएँ निशुल्क पढ़ रही है। सरकार द्वारा फ़ीस प्रतिपूर्ति की जाती है जिससे शिक्षकों का वेतन भुगतान किया जाता है।सच है संकल्प के आगे असमान भी झुकता है।पिंकी के संकल्प ने उन महिलाओं और लड़कियों के लिए आदर्श प्रस्तुत किया है जो छोटी सी बाधा सामने आने पर हिम्मत हार जाती हैं।