एमिटी में विशेषज्ञों ने छात्रों को बताया,जीवन में सफलता के लिए प्रसन्नता का महत्व।

 


हिन्दुस्तान वार्ता।नोयडा

प्रथम अंर्तराष्ट्रीय वैश्विक प्रसन्नता सम्मेलन का आयोजन

छात्रों को जीवन में सफलता के लिए प्रसन्नता के महत्व और अभ्यासों की जानकारी प्रदान करने के लिए एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ साइकोलॉजी एंड एलाइड सांइसेस द्वारा प्रथम अंर्तराष्ट्रीय प्रसन्नता सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कैलीफोर्निया के एकेडमी ऑफ माइंडफुलनेस स्टडीज के संस्थापक अध्यक्ष डा नील कॉरबिन, यूएसए के द लेवी सेंटर फॉर मांइड बॉडी मेडिसिन एंड हयुमन पोटेंशियल के संस्थापक डा रिक लेवी, राजस्थान के नून अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन के डा चेतन शारदा, ऋषीपथ इंटरनेशनल फाउंडेशन की डा प्रेमा एन मैसूर, पोलेंड के स्ज़ेसिन विश्वविद्यालय के इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट के प्रोफेसर डा उमा शंकर सिंह, सिक्कीम के नामग्या इंस्टीटयूट ऑफ तिब्बेतोलॉजी के रिसर्च एस्सीटेंट श्री टेंजिंग लॉंगसेल और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ साइकोलॉजी एंड एलाइड सांइसेस की निदेशक डा रंजना भाटिया ने सम्मेलन का शुभारंभ किया।

कैलीफोर्निया के एकेडमी ऑफ माइंडफुलनेस स्टडीज के संस्थापक अध्यक्ष डा नील कॉरबिन ने कहा कि हमारी मुस्कुराहट ही हमारी प्रसन्नता का प्रथम लक्षण है। जीवन को वर्तमान में जीये और मस्तिष्क को खुला रखें। अलग अलग लोगो के लिए खुशी के अलग अलग मायने होते है। जहां कुछ लोगों को भौतिक चीजों के माध्यम से खुशी मिलती है तो कुछ अन्य लोग पूर्ण कैरियर या संबंध चाहते है। जब हम कुछ ऐसा कार्य करते है जिसमे ंआनंद नही आता तो हम तनावग्रस्त और मानसिक रूप से बोझिल महसूस करते है। जीवन में सदैव सकारात्मक रवैया रखे और उददेश्य पूर्ण जीवन बनाये, जिस कार्य को करें उसमें आनंद का अनुभव करें।

यूएसए के द लेवी सेंटर फॉर मांइड बॉडी मेडिसिन एंड हयुमन पोटेंशियल के संस्थापक डा रिक लेवी ने संबोधित करते हुए कहा कि जीवन मे महत्वपूर्ण है कि हम बड़े सपने देखें और राजा की तरह जीवन जीये। जीवन के हर पल का आनंद ले और आने वाली चुनौतियों एवं असफलताओं को स्वीकार करे क्योकि वे हर किसी के जीवन का हिस्सा है। ध्यान, तनाव को दूर करने का सबसे बेहतरीन तरीका है यह हमारी चेतना के गहरे स्तर से निपटने में मदद करता है। डा लेवी ने कहा कि मन की तीन अवस्थाओं अवचेतन मन, चेतन मन और सुपर चेतन मन के बारे में बताया और कहा कि सुपर चेतन मन हमारे मन का अध्यात्मिक स्तर है और ध्यान करते समय अधिक सक्रिय हो जाता है और फील गुड हार्मोन जारी करता है।

राजस्थान के नून अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन के डा चेतन शारदा ने कहा कि आप कही भी रहे प्रसन्नता के तत्व एक जैसे होते है। आपका उददेश्य संतुलन की स्थिती बनाने की होनी चाहिए।

ऋषीपथ इंटरनेशनल फाउंडेशन की डा प्रेमा एन मैसूर ने सबोधित करते हुए कहा कि हमारे ़ऋषियों के अनुसार मन की पांच अवस्थाएं है प्रथम क्षिप्त जो मन की सबसे निचली अवस्था है जहंा व्यक्ति अत्यधिक उत्तेजित होता है और विचार करने, सुनने और चुप रहने में असमर्थ होता है, द्वितीय अवस्था मूढ़ है जहां मस्तिष्क तक कोई सूचना नही पहंुचती और मस्तिष्क रिक्त होता है। तृतीय अवस्था विक्षिप्त अवस्था है जिसमें मन सूचना प्राप्त करता है लेकिन संसाधित करने में असमर्थ लगता है। चतुर्थ अवस्था एकाग्रता है जो मन की एक केद्रित अवस्था है, अंतिम और पंचम अवस्था निरूद्ध है जो सभी विचारों और इच्छाओं से मुक्त है। उन्होनें कहा कि आसन, प्रणायाम, मुद्रा, जप, ध्यान और समाधि हमें चिरस्थायी सुख प्राप्त करने में मदद करते है जिससे मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है। 

पोलेंड के स्ज़ेसिन विश्वविद्यालय के इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट के प्रोफेसर डा उमा शंकर सिंह ने कहा कि अपने कार्य में आनंद प्राप्त करें। हम जीवन में क्या चाहते है हमेे खुद ही समझना होगा। हर रोज एक बेहतर इंसान बनने पर काम करने से हमें खुश रहने और संपूर्ण जीवन जीने में सहायता मिलती है। प्रसन्नता हमारे अंदर पहले से ही मौजूद है केवल उसे पहचानने की आवश्यकता है। किसी की सहायता करके, कुछ देकर, साझा करके हम प्रसन्नता को प्राप्त कर सकते है।

सिक्किम के नामग्या इंस्टीटयूट ऑफ तिब्बेतोलॉजी के रिसर्च एस्सीटेंट श्री टेंजिंग लॉंगसेल ने कहा कि बौद्ध धर्म में चार आर्य सत्य है जो की दुख का सत्य, दुख के कारण का सत्य, दुख की समाप्ती का सत्य और सत्य की ओर ले जाने वाले पथ का सत्य। प्रसन्नता केवल स्वंय की, परिवारजनों की, मित्रों की प्रसन्नता में निहित नही है बल्कि आप नेपथ्य में प्रसन्नचित्त नही हो सकते आपकों पूरे वातातवरण सहित सबके बारे में विचार करना होगा।

एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ साइकोलॉजी एंड एलाइड सांइसेस की निदेशक डा रंजना भाटिया ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कि किसी भी राष्ट्र के विकास में वहां के लोगो ंकी व्रसन्नता निहित होती है और एमिटी मे ंहम सुनिश्चित करते है कि छात्र, शिक्षक और कर्मचारी सभी प्रसन्न रहे। 

सम्मेलन के समापन पर प्रश्नोत्तर आयोजित किया गया जिसमें लोागो ने अतिथियो ंसे सवाल भी किये। इस कार्यक्रम में एमिटी विश्वविद्यालय के छात्र, शिक्षक, शोध्णार्थि आदी लोग उपस्थित थे।