एमिटी विश्वविद्यालय में विशेषज्ञों ने छात्रों को बताये, लिवर को स्वस्थ रखने के तरीके।





हिन्दुस्तान वार्ता।

-एमिटी में मनाया गया विश्व यकृत दिवस।

नोयडा:एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ मॉलेक्युलर मेडिसन एंड स्टेम सेल रिसर्च द्वारा विश्व यकृत दिवस पर लिवर शोध के क्षेत्र में हो रहे शोध नवाचार और लिवर को स्वस्थ रखने की जानकारी प्रदान करने के लिए सम्मेलन का आयोजन एफ 1 सभागार, एमिटी विश्वविद्यालय में किया गया। इस सम्मेलन के में नीदरलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ द्वेंटे की एसोसिएट प्रोफेसर डा रूचि बंसल, एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ मॉलेक्युलर मेडिसन एंड स्टेम सेल रिसर्च के डिप्टी डायरेक्टर डा शुभ्राजीत बिश्वास, मैक्स हेल्थकेयर साकेत के डा निखिल अग्रवाल, ब्राजील के यूनिवर्सिटी ऑफ साउ पाउलों के लैबोरेटरी ऑफ एक्सपेरिमंटल एंड कंपरेटिव लीवर रिसर्च की प्रमुख प्रो बु्रनो कोग्लीटी, मणिपाल अस्पताल द्वारका के गैस्ट्रोइंटरनोलॉजी विभाग के प्रमुख डा कुणाल दास ने अपने विचार व्यक्त किये। इस परिचर्चा सत्र में एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ मॉलेक्युलर मेडिसन एंड स्टेम सेल रिसर्च के चेयरमैन डा बी सी दास ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। 

सम्मेलन के अंर्तगत आयोजित प्रथम सत्र में नीदरलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ द्वेंटे की एसोसिएट प्रोफेसर डा रूचि बंसल ने यकृत शोध में हो रही आधुनिक अनुसंधान के बारे में बताते हुए कहा कि यकृत एक महत्वपूर्ण अंग है जो विषहरण, चयापचय, प्रोटीन को संश्लेषित करने के साथ पाचन के लिए जैव रसायन निर्माण और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विश्व में लिवर रोग की समस्या बढ़ रही है लगभग हर वर्ष 2 मिलियन लोगो की मृत्यु होती है। मोटापे से होने वाले नॉन ऑल्कोहलिक फैटी लिवर रोग से बड़ी संख्या में व्यक्ति ग्रसित है। यकृत रोगों के अंतिम स्तर पर कोई फार्माकोथिरेपी उपलब्ध नही है केवल लिवर का ट्रांसप्लांटेशन ही एक मात्र विकल्प है क्योकी यह एक जटिल रोग तंत्र है। रोग की जानकारी में कमी और थिरेप्यूटीक रिसपांस शिक्षण के लिए मानव मॉडल की कमी है। इस अवसर पर डा बंसल ने लिवर रोग पैथोजेनेसिस, एनएएफएडी - एनएएसएच स्पेक्ट्रम, सहित फंडामेंटल रिसर्च, ड्रग डिस्कवरी, एप्लाइड रिसर्च की रणनितीयों की जानकारी भी प्रदान की। 

एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ मॉलेक्युलर मेडिसन एंड स्टेम सेल रिसर्च के डिप्टी डायरेक्टर डा शुभ्राजीत बिश्वास ने जानकारी देते हुए कहा कि विश्व यकृत दिवस का मुख्य उददेश्य लोगों को लिवर से संबधित रोगों के प्रति जागरूक करना है जिससे वे इनसे बच सकें। यकृत, फेफड़ों के नीचे होता है जो रक्त के लिए फिल्टर का कार्य करता है। यह रक्त में कई रसायनों के स्तर बनाये रखता है। उन्होनें कहा कि लिवर के उतकों में सूजन से थकान, जी मचलाना, जोड़ों में दर्द, आंखो और त्वचा का पीलापन आदि लक्षण दिखते है। डा बिश्वास ने सेंसिंग डीएनए डैमेज - एटीएम और एटीआर और लीवर डिजेनेरेशन एंड रिसोल्यूशन के बारे जानकारी दी।

एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ मॉलेक्युलर मेडिसन एंड स्टेम सेल रिसर्च के चेयरमैन डा बी सी दास ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि मानव शरीर में मस्तिष्क के उपरंात यकृत ही सबसे महत्वपूर्ण अंग है जो शरीर मे कई प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है। एमिटी मे हम छात्रों को इस प्रकार के कार्यक्रमों द्वारा स्वस्थ जीवनशैली से रोगों से बचे रहने के लिए जागरूक करते है और उन्हे शोध के लिए प्रोत्साहित भी करते है। किसी भी देश का विकास बिना शोध के संभव नही है इसलिए छात्रों को समाज के हित के लिए और लोगों को रोगमुक्त करने के लिए शोध हेतु प्रेरित किया जाता है।

सम्मेलन के अंर्तगत आयोजित द्वितीय सत्र में इस अवसर पर मैक्स हेल्थकेयर साकेत के डा निखिल अग्रवाल, ब्राजील के यूनिवर्सिटी ऑफ साउ पाउलों के लैबोरेटरी ऑफ एक्सपेरिमंटल एंड कंपरेटिव लीवर रिसर्च की प्रमुख प्रो बु्रनो कोग्लीटी, मणिपाल अस्पताल द्वारका के गैस्ट्रोइंटरनोलॉजी विभाग के प्रमुख डा कुणाल दास ने छात्रों को जानकारी प्रदान की।