स्वास्थ्य सेवाओं में एम्बुलेंस संचालको ने की सरकारी खजाने की लूट।

 


हिन्दुस्तान वार्ता।आगरा

सरकारी खजाने की लूट का ये एक ज्वलंत उदाहरण है।

सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं की सहजता के लिए एंबुलेंस चलाईं,  मगर संचालकों ने बड़ा घोटाला कर दिया। मरीजों के फर्जी नाम और ब्योरा भरकर लाखों रुपए हड़प लिए।शासन ने फरवरी-मार्च अप्रैल 2022 तक के आंकड़ों पर संशय जताते हुए जांच बैठाई है। जिले में हैदराबाद की जीवीके इएमआरआई कंपनी 108,102 एंबुलेंस का संचालन कर रही है। 108 से मरीज लाने पर करीब 3 हजार,102 एंबुलेंस से घर छोड़ने पर करीब 1 हजार रुपए पर फेरे के हिसाब से दिया जाता है।

हर रोज फेरों की संख्या बढ़ाने के लिए एंबुलेंस संचालकों ने फर्जी नाम, पते, ब्योरा अपने पीसीआर व डीवीआर रजिस्टर में चढ़ाने शुरू कर दिए हैं।जिले में 102 एंबुलेंस फरवरी 2022 में 5058  मार्च 2022 में 5597  और अप्रैल 2022 में 5460 मरीजों के फेरे दर्शाए पिछ्ले 3 माह में इतने मरीजों को घर से लाने व अस्पताल से ले जाने का संशय हुआ तो चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक वेदव्रत सिंह ने जांच बैठा दी। इस संबंध में शासन स्तर से सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के पास पत्र भेज दिया है।

 आगरा जिले में एंबुलेंस के फेरों क़ी अगर सही तरीके से जांच की जाए तो 70% केस फर्जी निकलेंगे।

इन बिंदुओं पर जांच की जाए।

1. पीसीआर पर अंकित बेनेफिशरी के मोबाइल नंबर पर कॉल किया जाए।

2. पीसीआर पर अंकित बेनिफिसरी का आधार कार्ड मिलान किया जाए।

3. पीसीआर पर अंकित बेनेफिशरी को किस अस्पताल में भर्ती कराया उस अस्पताल के रजिस्टर से मिलान किया जाए।

4. सबसे महत्वपूर्ण रेफरल केस में हॉस्पिटल,रजिस्टर जरूर देखा जाए,किस डॉक्टर ने मरीज को रेफर किया है। मरीज को किस अस्पताल के लिए रेफर किया गया है।

विस्तृत जानकारी के लिए सुधी पाठक चिकित्सा महानिदेशक के पत्र का अवलोकन अवश्य करें।👎




रिपोर्ट-विजय सोलंकी।