पर्यावरण के लिए अहम है सूर सरोवर का संरक्षण:मनीष अग्रवाल 'पू.अध्यक्ष-नेशनल चैंबर।

 

हिन्दुस्तान वार्ता। 

आगरा। शहर में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सूर सरोवर पक्षी अभ्‍यारण्‍य अहम भूमिका निभा सकता है। पर्यटक तो दूर की बात है, यदि स्थानीय लोग ही इस अभ्यारण्य से जुड़ने लगे तो परिवर्तन की बयार दिखने लगेगी। आगरा को उसके हिस्से की हरियाली से वंचित नहीं होना पड़ेगा। शुक्रवार को इस विषय के पत्र को लेकर नेशनल चैंबर के पूर्व अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने सांसद राजकुमार चाहर से चर्चा की। सांसद ने इस विषय को प्रदेश के मुख्यमंत्री तक पहुंचाने के लिए आश्वस्त किया।  

मनीष जी के पत्र के अनुसार इस स्थान को लोकप्रिय बनाने के लिए आमजन तक जरूरी सूचनाएं साझा की जाएं। यहां आने वाले हेडेड गूज, फ्लेमिंगों, पेलिकन, स्पून बिल, कूट, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, ग्रे क्रेस्टेड्र ग्रेब, ब्लैक टेल्ड गोविट, शावलर, ग्रे लेग गूज, कामन ग्रीन शेंक, कारमोरेंट, कामन सैंडपाइपर, स्पट बिल्ड डक, कांगो डक, व्हिसलिंग टील, ब्लैक नेक्ड स्टार्क ,फलेमिंगो के बारे में लोगों को जानकारी दी जाए तो वे जरूर आकर्षित होंगे। 

यह स्थल धार्मिक पर्यटन से भी जोड़ा जा सकता है। यमुना तट के गऊघाट पर सूरदास की कुटी (सूर कुटी एवं प्रख्‍यात संगीताचार्य स्‍वामी हरिदास के साथ हुई उनकी पहली बैठक यहां की खासियत हैं। निंबार्क सखी संप्रदाय के संस्थापक एवं तानसेन के द्वारा गुरूवत सम्‍मान प्राप्‍त इस महान संगीताचार्य से हुई मुलाकात की स्‍मृति में एक चबूतरा भी सूरकुटी प्रांगण में है। सांस्‍कृतिक धरोहर सूर कुटी और गऊघाट वाकायदा डिस्‍ट्रक्‍ट गजेटियर 1965 में उल्‍लेखित हैं।

इस स्थल को लोकप्रिय बनाने को सूर सरोवर के शांता घाट से नौकायन साल भर सुचारू रखा जाये। नावों की सवारी का दाम यथासंभव कम रखने की कोशिश हो। नौकायन का रुट बहुत ही छोटा है, इसे बड़ा किया जा सकता है। यहां से लोकल ट्रांसपोर्ट मुहैया हो।