एमिटी विश्वविद्यालय में साइबर क्राइम इन्वे.&डिजि.फॉरेसिंक एवं साइबर सिक्योरिटी, सर्टिफिकेट पाठयक्रम का शुभारंभ।





हिन्दुस्तान वार्ता। नोयडा

एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ फॉरेसिक सांइसेस और एमिटी एकेडमिक स्टाफ कॉलेज द्वारा छात्रो, शोधार्थियों, फॉरेसिक विशेषज्ञों, विज्ञान शिक्षकों और फॉरेसिक प्रोफेशनलों के लिए साइबर क्राइम इन्वेस्टीगेशन, डिजिटल फॉरेसिक और साइबर सिक्योरिटी पर, एक माह का ऑनलाइन सर्टिफिकेट पाठयक्रम का आयोजन किया गया है। 

इस ऑनलाइन सर्टिफिकेट पाठयक्रम का शुभारंभ, गोवा के फॉरेसिक सांइस लैबोरेटरी के निदेशक डा एन पी वाघमारे, एमिटी विश्वविद्यालय की फैकल्टी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की डीन डा सुनिता रतन और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ फॉरेसिक सांइसेस के एस्सीटेंट प्रोफेसर एवं प्रोग्राम निदेशक डा.अमरनाथ मिश्रा द्वारा किया गया। 

इस ऑनलाइन सर्टिफिकेट पाठयक्रम का शुभारंभ करते हुए गोवा के फॉरेसिक सांइस लैबोरेटरी के निदेशक डा एन पी वाघमारे ने कहा कि जैसे जैसे हर क्षेत्र मेे हम तकनीकी के उपयोग को बढ़ा रहे है जहां एक ओर जीवन आसान हुआ है वही दूसरी तरह साइबर क्राइम भी बढ़ा है। साइबर अपराधी हमें आर्थिक, समाजिक और व्यवसायिक हानि पहुंचा रहे है, चाहे फिजिकल विश्व हो या वर्चुअल विश्व दोनो स्थानो पर साइबर हमले का खतरा बढ़ा है और इसी के कारण साइबर क्राइम इन्वेस्टीगेशन, डिजिटल फॉरेसिक और साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में लोगो की मांग बढ़ी है। उन्होनें फॉरेसिक सि़द्धांतो के बारे में बताते हुए कहा कि डिजिटल और इलेक्ट्रानिक साक्ष्य बेहद अस्थिर होते है और अगर साक्ष्य दूषित हो गये तो पुनः प्राप्त करना मुश्किल होता है। अदालत की स्वीकृति सर्वोत्तम साक्ष्य सिद्धांत पर आधारित है। कंप्यूटर डाटा का सुरक्षित संग्रह, संदेहित डाटा की पहचान, संदेहपूर्ण डाटा की जांच जैसे उसके कटेंट और स्त्रोत का पता लगाना, कंप्यूटर आधारित सूचना का न्यायालय में प्रस्तुतीकरण आदि साइबर फॉरेसिक गतिविधी के मुख्य भाग है। उन्होनें साइबर क्राइम इन्वेस्टीगेशन, डिजिटल फॉरेसिक और साइबर सिक्योरिटी मे हो रही आधुनिक प्रगति की जानकारी प्रदान की। 

एमिटी विश्वविद्यालय की फैकल्टी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की डीन डा सुनीता रतन ने कहा कि वर्तमान समय में बढ़ रही साइबर क्राइम में क्राइम इन्वेस्टीगेशन कोई आसान कार्य नही रह गया है। साइबर अपराध से निपटने के लिए नई तकनीकों, उपकरणों की जानकारी होना आवश्यक है। डा रतन ने कहा कि यह ऑनलाइन सर्टिफिकेट पाठयक्रम सभी लोगों के लिए लाभदायक होगा।

  एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ फॉरेसिक सांइसेस के एस्सीटेट प्रोफेसर एवं प्रोग्राम निदेशक डा अमरनाथ मिश्रा ने जानकारी देते हुए कहा कि 15 जून से 14 जुलाई तक चलने वाले इस सर्टिफिकेट पाठयक्रम से प्रतिभागी वास्तविक समय की चुनौतियों को समझने में सक्षम होगें। इस पाठयक्रम के तहत साइबर अपराधों के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी प्रदान करने के लिए विशेषज्ञों जैसे उत्तरप्रदेश पुलिस के एसपी साइबर क्राइम डा त्रिवेणी सिंह, नई दिल्ली के रिस्क एंड कंप्लायंस के एस्सीटेंट वाइस प्रेसीडेंट प्रो सुधीर थडानी, फॉरेसिक विशेषज्ञ इंस्पेक्टर जॉर्ज विलियम आदि व्याख्यान देगें।

इस अवसर पर एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ फॉरेसिक सांइसेस की एस्सीटेंट प्रोफेसर डा ज्योती सिंह और रिसर्च स्कॉलर श्री सौरभ कुमार सिंह भी उपस्थित थे।