शाहजहांपुर, स्वच्छता मिशन: गोमती नदी की साफ-सफाई।




हिन्दुस्तान वार्ता।शाहजहांपुर

विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर नदी सफाई के अभियान के तहत आज 4 जून 2022 को गोमती तट पर सफाई का अभियान चलाया गया। शाहजहांपुर के बंडा इलाके में प्रसिद्ध सुनासिरनाथ मंदिर के गोमती नदी के तट पर ये सफाई अभियान चलाया गया। 

ये अभियान CIPL फाउंडेशन की मदद से चलाया गया जिसमें सैंकड़ो ग्रामवासी एवं CIPL फाउंडेशन के युवाओं ने हिस्सा लिया। बंडा में क्षेत्र गौमती नदी की साफ-सफाई एवं नदी की धारा को निर्मल बनाने के लिए CIPL फाउंडेशन ने अभियान चलाकर स्वच्छता मिशन की शुरुआत की है। इस अभियान का नारा अपने जल को एवं अपने कल को सुरक्षित करना है, क्योंकि जल ही जीवन है-ये ऐसे ही नहीं कहा गया बल्कि पूरी पृथ्वी पर 70 प्रतिशत पानी है, ऐसे ही हमारे पूरे शरीर में भी 70 प्रतिशत पानी है। इस अभियान की शुरुआत करने वाले योग गुरु एवं CIPL फाउंडेशन के मैनेजर ब्रजेश शुक्ला के मुताबिक प्रकृति के किसी भी तत्व को अगर हम प्रभावित करते हैं, तो हम कुछ नई समस्याओं को उत्पन्न कर देते हैं, इस प्रकृति ने अपने हर एक के तत्व (अग्नि, जल, वायु, आकाश ,पृथ्वी ) के लिए कुछ सीमाएं, कुछ स्थान तथा इन्हें कुछ प्रतिशत में बांट रखा है।

 अगर इन पाचों तत्व में से कोई भी परिवर्तन होगा तो पूरे प्राकृतिक वातावरण में परिवर्तन आना शुरू हो जाता है। अगर जल की कमी होगी तो किसी अन्य चीज की अधिकता हो जाएगी, अधिकता भी नुकसान देती है और कमी भी नुकसान देती है इसलिए हमें अपने प्राकृतिक वातावरण को सुरक्षित वा संरक्षित रखना है।  कहीं पर भी कूड़ा फेंक देने, खासकर प्लास्टिक कूड़ा जो कि पानी में आसानी से गलनशील नहीं है, शहरों की गंदगी, कूड़ा, पॉलिथीन नालों के माध्यम से नदी में आ कर गिरता है जिसके कारण से नदी के अंदर जो सोत कुंड होते हैं, जिनमें हमेशा पानी बहता रहता है, जिनके माध्यम से ऊपर की ओर पानी आता रहता है वो छोटा होता जाता है।   फलस्वरुप नदी में सोतकुंड, धीरे-धीरे या तो बंद होते जा रहे हैं या छोटे होते जाते हैं। योग गुरु एवं CIPL फाउंडेशन के मैनेजर ब्रजेश शुक्ला के मुताबिक, मानसून आने वाला है जितनी जल्दी हो सके हम सबको अपने नदी, तालाबों की सफाई कर लेनी चाहिए  नहीं तो बरसात के मौसम में बहुत सारी मिट्टी भी कट कर आएगी और जो नदी-तालाब में अभी तक पॉलिथीन पड़ी हुई है  जिसके उपर मिट्टी जम जाएगी और ये पानी को जमीन की गहराई तक नहीं पहुंचने देने में अवरोधक है।

रिपोर्ट- नीरज सिंह।