ब्रांडो को नकली खबरों, ऑन लाइन ट्रोल आदि में सहायक है,एमिटी के डा.गौरव सूद की किताब।




हिन्दुस्तान वार्ता। नोयडा

एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी स्कूल ऑफ बिजनेस के मार्केटिंग के प्रोफेसर डा गौरव सूद की नवीनतम पुस्तक ‘‘ट्रोल प्रूफ ब्राडिंग इन द एज ऑफ डोपलगैंगर’’ ब्रांड को नकली खबरों, ऑनलाइन ट्रोल से निपटने और अपनी डोपलगैंगर इमेजरी का प्रबंधन करने में सहायता करेगी।

 इस पुस्तक को सेज इंडिया के बिजनेस इंप्रिंट रिस्पॉन्स के तहत प्रकाशित किया गया है। यह पुस्तक ऑनलाइन क्षेत्र में उपभोक्ता और प्रतिस्पर्धी ब्रांडो के मनोवैज्ञानिक और व्यवहारिक पहलुंओं की पड़ताल करती है।  यह राहूल गांधी, फेसबुक, आईपीएल, स्टारबक्स, नाइक और अन्य व्यक्तिगत और कोरपोरट ब्रांडों के वास्तविक जीवन के केस स्टडी का हवाला देकर फेक न्यूज, कल्चरल जैमिंग, ब्रांड हैक्टिविज्म और ट्रोलिंग के तंत्र में गहराई से उतरता है।

 इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने डा गौरव सूद को शुभकामना दीं।

विदित हो कि यह किताब मार्च 2022 में अमेजन वेबसाइट पर बेस्ट सेलर बुक थी, और यह मीडिया स्टडीज के छात्रों के लिए अत्यंत लाभदायक है।

एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी स्कूल ऑफ बिजनेस के मार्केटिंग के प्रोफेसर डा गौरव सूद ने कहा कि यह पुस्तक उपभोक्ता बैकलैश और ब्रांड विरोधी सक्रियता के विभिन्न रूपों का विश्लेषण करती है और कैसे कल्चरल जाम, नकली समाचार, ट्रोलिंग और हैक्टिविज्म, ब्रांड डोपलगैंगर इमेजरी बनाते है और ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनो तरह से ब्रांड की सांस्कृतिक विचारधारा और प्रतिष्ठा को नष्ट करने का प्रयास करते है।

 इसका विश्लेषण भी किया गया है। इस पुस्तक के साथ विपणक, पाठकों और प्रबंधन छात्रों को अंतदृष्टि प्रदान की जा रही है कि कैसे ब्रांड डोपेलगैंगर इमेजरी को विभिन्न उदाहरणों और शीर्ष वैश्विक ब्रांडो के केस स्टडी के माध्यम से सीखकर बनाया, मापा और प्रतिबंधित किया जा सकता है। उन्होनें उदाहरण देते हुए कहा कि कोविड 19 के दौरान और उसके उपरांत ट्रोल और नकली समाचारों के प्रकार सर्वकालिक उच्च स्तर पर है,किंतु सभी ट्रोल और उनके हमले समान नही है। पुस्तक में लगातार बहस ट्रोल, व्याकरण और वर्तनी जांच ट्रोल, हमेशा के लिए नाराज ट्रोल, ब्लैबरमाउथ ट्रोल, अतिश्योक्ति, ऑफ टॉपिक और लालची स्पैमर ट्रोल जैसी श्रेणियॉं में उनका विवरण किया गया है। 

पुस्तक के बारे में - उपभोक्तावाद के युग मेें फेक न्यूज, हैक्टिविज्म, इंटरनेट ट्रोल्स, कल्चर जैमिंग बड़े पैमाने पर घटित हो रहा है। भावनात्मक और सांस्कृतिक ब्रांडिंग जैसी चतुर रणनीतियां केवल आपके ब्रांड को आगे ले जाने में मदद करता है। पलक झपकते ही आपके ब्रांड की छवि उसके गलत डोपेलगैंगर द्वारा खराब की जा सकती है।

 यह पुस्तक गलत डोपेलगैंगर्स की दुनिया और विभिन्न कारणों और स्थितियों पर चर्चा करती है,जो व्यक्तिगत और सार्वजनिक ब्रांडो की नकरात्मक कल्पना पैदा करती है। यह पुस्तक आपके ब्रांड डोपेलगैंगर्स के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए रणनीति विकसित करने में आपकी सहायता करती है। 

लेखक के बारे में - डा गौरव सूद एक ब्रांड इवेंजलिस्ट, शोधकर्ता, शिक्षक, वक्ता, स्तंभकार और लेखक है जिन्हे 2 दशको से अधिक के अभ्यास के साथ ब्रांड तैयार करने का अनुभव है। उन्होनें भारत, यूएसए और जर्मनी में इंजिनियरिंग, आईटी, दूरसंचार, एफएमजीसी, सेवाओं, उपभोक्ताओं, मीडिया मार्केटिंग जैसे क्षेत्रों में वैश्विक ब्रांडो के विपणन, एकीकृत विपणन संचार अभियानो के विकास में महत्वपूर्ण भूमिकायें निभाई है। यह डा गौरव सूद की चौथी किताब है और वर्तमान में वे एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी स्कूल ऑफ बिजनेस में मार्केटिंग प्रोफेसर है।