एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा मॉलेक्यूलर इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी पर व्यावहारिक प्रशिक्षण का शुभारंभ।





आईआईटी दिल्ली के सोनीपत कैंपस में हुआ कार्यक्रम का आयोजन।
हिन्दुस्तान वार्ता। सोनीपत
एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार (डीएसटी) और आईआईटी दिल्ली के सहयोग से डीएसटी - एसटीयूटीआई के अंर्तगत 30 छात्रों, शिक्षकों और शोधार्थियों के लिए एक सप्ताह का मॉलेक्यूलर इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी पर व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन आईआईटी दिल्ली के सोनीपत कैंपस में किया गया है। 
11 से 17 जुलाई तक चलने वाले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार (डीएसटी) की आर एंड डी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रमुख डा प्रतिष्ठा पांडे, एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती, आईआईटी दिल्ली के सीआरएफ प्रमुख और एसएटीएचआई के समन्वयक डा पंकज श्रीवास्तव, एमिटी फांउडेशन फॉर साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन एलायंस के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डा ए च्रकवर्ती, और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एडवांस रिसर्च एंड स्टडीज (एमएंडडी) के प्रो डा वी के जैन द्वारा किया गया।  
इस अवसर पर विभिन्न संस्थानो और उद्योगों से 30 प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लिया है। 
  इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार (डीएसटी) की आर एंड डी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रमुख डा प्रतिष्ठा पांडे ने कहा कि भारत सरकार का विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग सदैव विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा विज्ञान और तकनीकी को प्रोत्साहित करता है। यह एक बहुहित धारक है और इसने विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने और राज्य द्वारा वित्त पोषित विश्वविद्यालयों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाएं प्रारंभ की है। 
आज भारत, अनुसंधान और विकास मामले में विश्व में तीसरा स्थान रखता है और पेटेंट फाइलिंग में 9 वां स्थान है। इस कार्यक्रम के माध्यम से डीएसटी पहले ही 7500 से अधिक शोधकर्ताओं को प्रशिक्षण प्रदान कर चुका है और डीएसटी की 18ण्4 प्रतिशत परियोजनाओं को महिला शोधकर्ताओं को प्रदान किया गया है इसलिए और महिला प्रतिभागियों को आगे आकर अवसरों का लाभ उठाना चाहिए।
 उन्होनें कम संपन्न संस्थानों और सरकारी कॉलेजों के शोधकर्ताओं से आग्रह किया ताकि वे भी नवीनतम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उपकरणों के बारे में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए ऐसे व्यावहारिक कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर प्राप्त कर सकें।
 एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने संबोधित करते हुए कहा कि डीएसटी नई रणनीतियों को तैयार करने और क्षमता निर्माण की दिशा में कार्य कर रहा है और शोधकर्ताओं को नवीनतम उपकरणों का प्रयोग करने का प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है इस तरह देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य कर रहे है। आज भारत विश्व में ज्ञान की महाशक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है और विश्व भी समस्या के निवारण हेतु भारत के वैज्ञानिकों शोधार्थियों यानी की आप की तरफ देख रहा है। 
डा सेल्वामूर्ती ने कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम आपको ना केवल आधुनिक उपकरणों की जानकारी प्रदान करते है बल्कि उन्हे संचालित करके अपने शोध को आगे बढ़ाने का मौका भी दे रहे है। अपनी क्षमता को विकसित करे और इस ज्ञान को अपने संस्थान में अपने सहयोगियों से साझा भी करें। हमें मिलकर शोध, नवाचार के जरीए समाज की समस्या का निराकरण करना है।
इस अवसर पर आईआईटी दिल्ली के सीआरएफ प्रमुख और एसएटीएचआई के समन्वयक डा पंकज श्रीवास्तव ने अतिथियों और प्रतिभागीयों का स्वागत करते हुए कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उददेश्य प्रतिभागियों को विभिन्न अत्याधुनिक ऑप्टिकल माइक्रोस्कोपी और स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीकों के बुनियादी ज्ञान से पूर्ण करना है। प्रतिभागियों को कन्फोकल माइक्रोस्कोपी, सुपर रिजॉल्युशन माइक्रोस्कोपी, लाइट शीट माइक्रोस्कोपी आदि पर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त होगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम के साथ व्याख्यान और परिचर्चा सत्रों का आयोजन भी किया जायेगा। 
 इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में एमिटी फांउडेशन फॉर साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन एलायंस के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डा ए च्रकवर्ती ने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उददेश्य राष्ट्र का विकास है आज की युवा वैज्ञानिक पीढ़ी महत्वपूर्ण मानव संसाधन है जिनका संर्पूण विकास आवश्यक है। एमिटी विश्वविद्यालय के दो मुख्य उददेश्य है प्रथम राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करना और शोधार्थियों को अनुसंधान के लिए प्रोत्साहित करते हुए सुविधाये उपलब्ध कराना।
 इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से हम युवा मस्तिष्कों को उपलब्ध आधुनिक संसाधनों और तकनीकियों की जानकारी देे रहे और उसका उपयोग करने के लिए प्रेरित भी कर रहे है।
एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एडवांस रिसर्च एंड स्टडीज (एमएंडडी) के प्रो डा वी के जैन ने देश की अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को आकार देने में एमिटी के योगदान की जानकारी प्रदान करते हुए भारत में सभी उपकरणों को बनाने पर जोर दिया।  
विदित हो कि एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा परियोजना प्रबंधन इकाई के रूप में ‘वैज्ञानिक और तकनीकी बुनियाद ढांचे का उपयोग करने वाले सिनर्जिस्टिक ट्रेनिंग प्रोग्राम कार्यक्रम से सम्मानित किया गया है। इस डीएसटी - एसटीयूटीआई नामक साप्ताहिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का उददेश्य देश भर  में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अवसंरचना का उपयोग करते हुए देश भर मेे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की पहंुच के माध्यम से मानव संसाधन और ज्ञान क्षमता का निर्माण करना है। शैक्षणिक संस्थानों में शोध एवं विकास संरचना के विस्तार के लिए डीएसटी प्रयोजित विभिन्न परियोजनाओं के पूरक के रूप में एसटीयूटीआई योजना एक व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम और अत्याधुनिक उपकरणों के संवेदीकरण के साथ साथ पारदर्शीता पंहुच सुनिश्चित करते हुए विज्ञान और तकनीकी सुविधाओ को साझा करने की कल्पना करती है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम हब एंड स्पोक मॉडल दृष्टिकोण पर आयोजित किया जायेगा।
इस अवसर पर डीएसटी के एसएटीएचआई प्रमुख डा प्रवाकार मोहंती सहित डा सुचिता लोखंडे, डा अभिशेक पाठक आदि लोग उपस्थित थे।