श्री मनःकामेश्वर मन्दिर में चल रही,श्री राम लीला में श्री राम द्वारा रावण वध का भव्य मंचन।



हिन्दुस्तान वार्ता।आगरा

आज श्री मनःकामेश्वर मन्दिर में चल रही श्री रामलीला में , कुम्भ करण, मेघनाथ वध, अहिरावण वध का लीला के अग्नि बाणों का अद्वितीय प्रयोग का मंचन किया गया।

कुंभकरण वरदान के कारण गहरी निद्रा में सोया हुआ रहता है। रावण कुंभकरण को जगाने के लिए हाथी की चिंघाड़, घोड़ो, ढोल, नगाड़ों को कान के पास बजाकर कुंभकरण को जगाने का प्रयास करते हैं। 

इसके बाद मदिरा, मांस, मिष्ठान्न व अन्य पसंदीदा भोजन की खुशबू से उसको जगाने का प्रयास किया जाता है। 

भोजन के उपरांत कुंभकरण रावण के पास पहुंचता है। रावण ने कुंभकरण को पुत्र अक्षय की मृत्यु, सूर्पनखां की नाक कान काटे जाने के बारे में बताया। 

पहले तो कुंभकर्ण ने रावण को माता सीता को वापस भेज कर संधि करने की बात कही। यह सुनकर रावण क्रोधित हो उठा और कुंभकरण को युद्ध करने का आदेश दे दिया। युद्ध में कुंभकरण श्रीराम के हाथों मारा जाता है। 

 कुंभकरण वध के उपरांत लक्ष्मण और मेघनाथ का भयंकर युद्ध होता है।  

  सुमिरि कोसलाधीस प्रतापा, सर संधान कीन्ह करि दापा। छाड़ा बान माझ उर लागा, मरती बार कपटु सब त्यागा .... अर्थात कोसलपति श्री रामजी के प्रताप का स्मरण करके लक्ष्मणजी ने वीरोचित दर्प करके बाण का संधान किया। बाण छोड़ते ही मेघनाद का सर-धड़ से अलग हो गया। मरते समय उसने सब कपट त्याग दिया। लक्ष्मण मेघनाथ का वध कर देते हैं। 

  रावण मेघनाथ के वध के उपरांत अहिरावण को युद्ध के लिए भेजता है। अहिरावण राम और लक्ष्मण को युद्ध के चलते पाताल ले जाता है। हनुमान जी यहां पहुँच कर अहिरावण का वध कर देते हैं और राम तथा लक्ष्मण को शिविर में ले आते हैं। हर तरफ श्री राम के जयकारे गूंजने लगते हैं।

   कुंभकरण मेघनाथ तथा अहिरावण के वध के उपरांत मंच पर अपने स्थान पर राम युद्ध स्थल पर, अशोक वाटिका में सीता, शयन कक्ष में मंदोदरी व महल की अटारी पर रावण एक ही समय मे मंच पर दिखाई देते हैं।

अगले लीला दृश्य में रावण भगवान शंकर के स्वरूप में विराजमान बाबा मनःकामेश्वरनाथ जी के सम्मुख आशीर्वाद लेकर प्रभु श्रीराम से युद्ध करने को निकलता है। भीषण तीरों की वर्षा और शस्त्रों का प्रयोग दोनों ओर से होने लगता है।साथ ही लीला में आज जलते हुए तीरों का भी प्रयोग हुआ।

युद्ध की भीषणता को देखकर विभीषण प्रभु श्रीराम के पास आकर रावण दशानन की नाभि में अमृत होने की जानकारी प्रदान कर प्रभु को रावण की नाभि पर वार करने को कहते है। नाभि पर वार करते ही रावण घोर कंपन के साथ भूमि पर गिर पड़ता हैं।

अंत में मनःकामेश्वर नाथ के सामने द्वार पर रावण का पुतला दहन होता है।

आज प्रभु श्रीराम व लक्ष्मण जी की आरती के समय विशेष रूप से श्रीमती माधवी अग्रवाल जी कलकत्ता से पूर्व BOG सदस्य नेहरू युवा केन्द्र खेल एवं युवा कार्य मंत्रालय ..वर्तमान स्वतंत्र निदेशक NJMC वस्त्र मंत्रालय उपस्थित हुई।

साथ ही नितेश शर्मा (संपादक, जनसंदेश टाइम्स), ब्रजेश शर्मा (स्वराज्य टाइम्स), निशांत सिकरवार (सहमंत्री विहिप), शकुन बंसल (प्रमुख उद्योगपति), अपूर्व शर्मा (छात्र नेता)आदि जनसमूह के साथ उपस्थित थे ।

🚩 जय सियाराम जयजय सियाराम 🚩

रिपोर्ट-असलम सलीमी।