मानव-कल्पनाशीलता वरदान या अभिशाप !

 


हिन्दुस्तान वार्ता।

प्रकृति के समस्त प्राणियों में मानव अत्याधिक कल्पना शील प्राणी है I मानव अपनी कल्पना शीलता के दम पर, राई को पहाड़ और पहाड़ को राई बना देता है I 

आज हर असंभव सा दिखने वाला कार्य मानव अपनी मुट्ठियों में समेटे जा रहा,परंतु इसी कल्पनाशीलता के चलते एक अनजानी,अनचाही,  प्रतियोगितात्मक एक दूसरे से बड़ा दिखाने की होड़ शुरू हो गई है I एक अंधी दौड़ में शामिल हर इंसान अपनी मानवता, इंसानियत छोड़ बस हर सजीव, निर्जीव पर स्वामित्व की मुहर लगा कर एकत्रित करने में लगा हुआ है I जीवन के उत्तरार्द्ध में जाकर धीरे धीरे जब ज्ञान चक्षु खुलना शुरू होता है, तो कुछ कुछ भ्रम टूटता है और...

 1. चालीस साल की अवस्था में "उच्च शिक्षित" और "अल्प शिक्षित" एक जैसे ही  होने लगते हैं। (क्योंकि अब कहीं कोई इंटरव्यू नहीं देना, डिग्री नहीं दिखानी)।

2. पचास साल की अवस्था में "रूप" और "कुरूप" एक जैसे ही होते हैं। (आप कितने ही सुन्दर क्यों न हों झुर्रियां, आँखों के नीचे के डार्क सर्कल छुपाये नहीं छुपते)।

3. साठ साल की अवस्था में "उच्च पद" और "निम्न पद" एक जैसे ही होते हैं। (चपरासी भी अधिकारी के सेवा निवृत्त होने के बाद उनकी तरफ़ देखने से कतराता है)।

4. सत्तर साल की अवस्था में "बड़ा घर" और "छोटा घर" एक जैसे ही होते हैं। (बीमारियाँ और खालीपन आपको एक जगह बैठे रहने पर मजबूर कर देता है, और आप छोटी जगह में भी गुज़ारा करना शुरू कर देते हैं)।

5. अस्सी साल की अवस्था में आपके पास धन का "कम होना" या "ज्यादा होना" एक जैसे ही होते हैं। (अगर आप खर्च करना भी चाहें, तो आपको नहीं पता कि कहाँ खर्च करना है)।

6. नब्बे साल की अवस्था में "सोना" और "जागना" एक जैसे ही होते हैं। (जागने के बावजूद भी आपको नहीं पता कि क्या करना है)।

जीवन को सामान्य रुप में ही लें क्योंकि जीवन में रहस्य नहीं हैं जिन्हें आप सुलझाते फिरें।

आगे चल कर एक दिन सब की यही स्थिति होनी है, यही जीवन की सच्चाई है..।

चैन से जीने के लिए चार रोटी और दो कपड़े काफ़ी हैं.. पर ,बेचैनी से जीने के लिए चार गाड़ी, दो बंगले और तीन प्लॉट भी कम हैं !!

अंत समय में स्पष्ट दिखता है, इस मृत्यु लोक की कोई भी बस्तू,मृत्यु पाश्चात साथ नहीं जाती और जो मृत्यु पाश्चात् इस जगत मे रहती है, उसे तो कभी इकठ्ठा किया ही नहीं I 

एक समय बाद सभी फ्यूज बल्ब एक ही टोकरी में रख दिए जाते हैं, कोई पलट कर नहीं देखता कि कौन कितने वाट का है।

स्वस्थ रहें, व्यस्त रहें और व्यस्त रहेंगे तभी तो मस्त रहेंगे I 

✍️आर के सिन्हा 

   पूर्व महाप्रबंधक 

    कोल इंडिया।

संपर्क 84778 77770