सालाना जलसा जशनें ग़ौस ए आज़म।

 


हिन्दुस्तान वार्ता। आगरा

दरगाह हज़रत सय्यदना शाह अमीर अबुल उला (रह.) में सालाना जलसा जशनें ग़ौस ए आज़म का आयोजन दरग़ाह प्रांगण में 17 नवंबर दिन गुरुवार को मौरूसी सज्जादा नशीन सय्यद मोहतशिम अली अबुल उलाई और नायब सज्जादगान सय्यद विरासत अली अबुल उलाई, सय्यद ईशाअत अली अबुल उलाई व सय्यद कैफ़ अली अबुल उलाई व सय्यद आसिम अली की मौजूदगी में किया गया, इसमें महफिल ए समां से शुरूवात होकर, कुरान शरीफ का पाठ दरगाह मस्जिद के इमाम अब्दुल वहाब साहब द्वारा किया गया और इस कार्यक्रम में खिताबत मुफ्ती मुदस्सिर खान कादरी, सैयद शाह मोहम्मद रय्यान अबुल उलाई   (दानापुर), शायर रिज़वान अहमद नियाजी करार,  शायर हसन इकबाल रामपुरी, नातखां सैफ रजा कादरी ने अपने कलाम पेश किए, निज़ामत अरशद रजवी (फ़िरोज़ाबाद) ने की। इस मौके पर अल्लाह के वली हज़रत अब्दुल कादिर जिलानी रह. ग़ौस ए आज़म की आला सीरत पर बात की गई, उनकी करामातों पर प्रकाश डाला गया और उनके नातिया कलाम पड़े गए व दरबार ए सय्यदना सरकार में मुल्क की तरक्की, अमन चैन एकता व भाईचारे की दुआएं भी की गई। सय्यद सलीम उज़ ज़मा, सैय्यद इकबाल अली, सैय्यद अरीब अली, सैय्यद शहाब अली, सैय्यद अज़हर अली, सूफी दिलकश जालौनवी, सूफी हज़रात व जायरीनों की शिरकत ने जलसे में चार चांद लगाएं।

ग़ौस ए आज़म रह. की एक करामात।

एक दफा दरियाए दजला में सैलाब आ गया ! लोग घबराये हुए हुजूर ग़ौस ए आज़म रह. के पास आकर आपसे इस्तिग़ासा करने लगे और मदद चाहने लगे ।

हुजूर ग़ौस ए आज़म ने अपना असाए (लाठी) मुबारक लिया और दरिया की तरफ़ चल पडे, दरिया के किनारे पर पहुंचकर आपने पानी की असल हद तक वह असा गाड़ दिया और फ़रमाया:

"ऐ पानी ! बस यहीं तक !" इतना फ़रमाना था, कि पानी ने घटना शुरू कर दिया और उस असाए मुबारक तक आ गया ।

सबक : अल्लाह वालों की हुकूमत दरियाओं पर भी जारी रहती है।