ज़ोन के जिलों की पुलिस के साथ कार्यशाला करके, बनाएंगे एसिड अटैक महिलाओं के प्रति संवेदनशील : ADG राजीव कृष्ण

 


- हॉलीवुड तक ने स्वीकार किया, एसिड अटैक पीड़िताओं का संघर्ष।

- जो लड़के महिलाओं का उत्पीड़न बार बार समझने के बाद भी करते हैं, उनके इस कृत्य के लिए उनके अभिभावक  भी जिम्मेदार हैं।- एडीजी राजीव कृष्ण।

हिन्दुस्तान वार्ता। आगरा

शीरोज़ हैंगआउट कैफ़े  मे आज सुबह 11 बजे 'सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा' द्वारा आयोजित संवाद मे श्री राजीव कृष्ण, आईपीएस , एडीजी आगरा ज़ोन ने एसिड अटैक सरवाइवर्स और नागरिकों से संवाद करते हुए कहा " वो सलाम करते हैं उन सबका जो कि इतनी पीड़ा के बाद भी अपना हौसला बनाए हुए हैं। " छाँव फ़ाउंडेशन ने इस मुहिम पर  दिल और पूरी मेहनत से कार्य किया है। उन्होने सभी एसिड अटैक सरवाइवर्स से एक-एक कर के बात की  और उनकी समस्या को सुना। सरवाइवर्स  की दास्तां को सुनकर ADG 

राजीव कृष्ण ने कानून के तहत  पूरी मदद करेंगे। इसमें रुकैया और मधु ने FIR ना होने को लेकर अपना दर्द बयान है। 

बिना एफ़आईआर के सरकारी मुआवजा भी नहीं मिलता है । ADG राजीव  कृष्ण ने बताया कि  2013 के बाद से कानून मे बदलाव आने से बहुत फर्क पड़ा है। 

गीता ,मधु,रुकैया ,डॉली,खुशबू ,लक्ष्मी,मौसमी, आदि ने भी अपनी बात और हो रहे उत्पीड़न से अवगत कराया।

इसी साल 9  मई 2022 को माँ रेशमा और बेटी एल्मा  -  शाहगंज निवासियों पर हुए एसिड अटैक पीड़ित भी एडीजी से मिली और उनके साथ हो रहे उत्पीड़न से अवगत कराया। उन्होंने पूरी मदद का आश्वासन भी दिया, साथ ही मथुरा से आयी  एसिड अटैक सरवाइवर  को भी पत्र लिख कर हो रहे  उत्पीड़न के बारे मे उनको बताने को कहा। 

श्री राजीव कृष्ण ने कहा कि वो दिसंबर मे उनके ज़ोन  मे आने वाले सभी  जिलों के संबन्धित पुलिस, प्रशासन , नोडल अफसर , इस क्षेत्र मे कार्य कर रहीं सभी सामाजिक संस्थाओं के साथ एक कार्यशाला करके, एसिड अटैक महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता  के लिए कदम उठाएंगे , इसमें "The Model Poisons  Possession and sales rule, 2013" पर भी चर्चा अपने कार्यालय मे करेंगे। 

 आज के कार्यक्रम में आशीष शुक्ला, वत्सला प्रभाकर, पैनसी थॉमस, डॉ संजना माहेश्वरी , हिरदेश चौधरी, नरेश पारस ,अजय तोमर प्रवक्ता शीरोज़ कैफ़े, सुनीता झा आदि ने अपने सुझाव एडीजी के समक्ष रखे।

थ्री व्हीलर /मयूरी वाले अश्लील  गाने बजाते हैं, जिस से महिला सवारियों को असहजता होती है।

इस विषय पर जो  एनजीओ कांटेक्ट प्रोग्राम्स करती हैं, खासकर शहरी इलाके के बाहर, उनको , थाने स्तर से सहयोग की अपेक्षा की जरूरत है। अब फोकस लड़कों पर है, और सफलता मिल रही है। सड़क पर रहने वाली लड़कियों और महलाओं कि सुरक्षा और सरकारी स्टे होमेस मे व्यवस्था कि जाए। 

एसिड बिकने पर रोक लगाई जाए,और एक सेंट्रल नंबर प्रचारित कर जनता को रिपोर्ट करने को कहा जाए।

एडीजी ने आश्वासन दिया कि वो सभी सुझावों पर नागरिकों के साथ चर्चा कर कार्यवाही करेंगे। उन्होने कहा के वो खुद कई स्कूल में छात्रों के साथ संवाद कर चुके हैं और आगे भी करेंगे। 

सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा का मानना है,कि महिला उत्पीड़न की रोकथाम अधिक प्रभावी होगी पुलिस कमिश्‍नरेट सिस्‍टम से सिविल सोसायटी ऑफ आगरा एसिड अटैक पीडित लडकियों के संघर्ष को महिला सम्मान,सुरक्षा  को समर्पित एक प्रेरक प्रसंग मानती है।

 सिविल सोसायटी ऑफ आगरा  का मानना है कि महिला उत्पीड़न की  दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से प्रभावितों के लिए उनका संघर्ष एवं आत्मनिर्भर भाव जाग्रत करने के लिये मार्गदर्शी है। योन शोषण,विवाह उपरांत महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा,बच्‍चों के साथ योन शोषण की घटनाओ के खिलाफ समाज में हमेशा माहौल रहा है, किन्तु संगठित, परिणाम मूलक प्रयास कम ही रहे हैं।सुखद है कि शीरोज हैंगआउट ( Sheroes Hangout ) ने एक दम फर्क अंदाज में आवाज उठायी ।उनके अंदाज को बॉलीवुड ने राष्‍ट्रीय महत्‍व का समझा और बडी स्‍टार कास्‍ट की दीपिका पादुकोण सहित कई बड़े कलाकारों को लेकर एक फिल्‍म(छपाक) ही बना डाली। द गीता (www.geetafilm.com) डाक्यूमेंट्री ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न से एमा macy  स्टॉर्च ने बनायीं, उसको भी १० अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार फिल्म फेस्टिवल्स में मिल चुके हैं।  इसमें अमेरिका से social जस्टिस इम्पैक्ट अवार्ड है। 

संघर्ष की यादों को फिर ताजगी :

एडीजी राजीव कृष्ण जी की 'शीरोज हैंगआउट' पर सिविल सोसायटी ऑफ आगरा  के द्वारा आयोजित संवाद (the samwad ) में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्‍थिति और  प्रेरक विचारों से' एसिड अटैक पीड़ितों'  के संघर्ष को एक बार फिर ताजगी मिलेगी।

सिविल सोसायटी ऑफ आगरा  का मानना है कि महिला उत्पीड़न की घटनाओं को पुलिस ने हमेशा दायित्वों में प्राथमिकता दी है किन्तु अब वह और भी अधिक प्रभावी भूमिका में होगी।  पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू हो जाने से पुलिस का दायित्व व सरोकार बढ गये है। जिन्हें हमारे द्वारा शीघ्र ही महसूस किया जाना शुरू हो जायेगा । विविधता के अलावा विषमता भी हमरे शासन और प्रशासन के लिये चुनौतीपूर्ण स्‍थितियां हैं। पुलिस की सक्रियता से ही आम नागरिकों में सामाजिक समरसता और न्‍याय भाव संभव है।

 काउंसलिंग के साथ कड़ी कार्यवाही भी जरूरी।समाज के बदलते स्वरूप और मूल्यों के कारण अपराध की स्थितियों में भी बदलाव आया है,एक व्यक्ति के द्वारा अपनी महिला मित्र के शरीर के 35  तुकडे कर दिया जाने जैसे जघन्य कृत्य.कर डालने जैसी घटना ने नागरिक को झकझोर के रख दिया है।समाज शास्‍त्रियों ,मनो चिकित्‍सकों ,शिक्षकों की सक्रियता से इस प्रकार के कुकृत्‍यों से दूर रखने को जागरूकता लाने के  प्रयास अपनी जगह महत्‍वपूर्ण  हैं।  इसका कारण वह स्थापित सत्य है कि समझाने की भूमिका के साथ ही कानूनी कार्रवाई करने में भी पुलिस सक्षम है।

 वैसे सिविल सोसायटी ऑफ आगरा  का मानना है कि अगर जागरूकता और परमर्ष (Awareness and Counseling )के योजनाबद्ध प्रयास हों तो विकृत मनोवृत्ति और सामाजिक असहिष्णुता के कारण होने वाले अपराधों में काफी कमी लायी जा सकती है।

साइबर क्राइम के प्रति जागरूकता:

पुलिस और सामान्य नागरिक भी इस समय सबसे बड़ी चुनौती साइबर क्राइम को ही मानते हैं। सिविल सोसायटी ऑफ आगरा चाहती है कि सोशल मीडिया, डिजिटल मीडिया पर घटने वाली इन घटनाओं को अंजाम देने वालों के प्रति तो सख्ती बरती ही जाए साथ ही लोगों को इन अपराधों के प्रति जागरूक भी किया जाये और पुलिस के द्वारा अपने अनुभवों के आधार पर तय सुरक्षा और सावधानी के उपायों को जनता के बीच प्रचारित भी किया जाये। अगर पुलिस प्रशासन चाहेगा तो सिविल सोसायटी ऑफ आगरा अपने स्तर से पूरा सहयोग करेगी।

आगरा पुलिस को प्रशासनिक इकाई के रूप में जो भूमिका मिली है,कमोवेश पुलिस तंत्र के लिए वह कोई नई नहीं हैं किन्तु इसके बावजूद अब पुलिस आयुक्त प्रशासन की नागरिक हितों के प्रति अधिक सक्रियता अपेक्षित रहेगी।खासकर टूरिज्म को लेकर । चूंकि आगरा एक इंटरनेशनल टूरिस्ट सिटी है और यहां ताजमहल भी है,इसलिये यहां आने वालों में सामान्‍य टुरिस्टओं  के अलावा बडी संख्‍या में वे भी होते हैं जो कि मानसिक द्वन्द और सही मार्गदर्शन के अभाव में  दिशा हीनता की स्थिति के भी होते हैं।वे आदतन अपराधी नहीं होते उनमें से कई कड़ी सजा के स्‍थान पर आचरण में सुधार के अवसर की पात्रता रखते हैं।सिविल सोसायटी ऑफ आगरा  चाहेगी कि पुलिस अपराधियों को दंडित करे किन्तु जो सुधार कर समाज की मुख्यधारा से जुडने की ललक रखते हों उनके प्रति अपनी विवेचनाओं में उपरोक्‍त का भी  समावेश भी करे। इस संबंध में पुलिस की भूमिका को असरदार बनाने में सिविल सोसायटी ऑफ आगरा भी मददगार हो सकती है। खासकर सोशल काउंसलिंग के मामलों में  अपेक्षा है पुलिस की सकारात्मक भूमिका रहेगी। 

आगरा अब प्रशासनिक रूप से पुलिस कमिश्नरेट इकाई के रूप में संचालित होगा। नागरिक प्रशासन के प्रति पुलिस का दायित्व जहां अब अधिक व्यापक हो गया है,वहीं नागरिकों के लिये भी यह अपने आप में एक नया अनुभव है। सिविल सोसायटी ऑफ आगरा,शासन के इस कदम को सामायिक जरूरत मानती है और महसूस करती है कि इसके बारे में  एडवोकेट, डॉक्टरों, व्यापारियों, उद्यमों के संचालकों,आदि समाज के प्रमुख सक्रिय समूहों के साथ थाना और सर्किल स्तरीय  संवाद आयोजित किये जायें जिनमें पुलिस अधिकारियों के द्वारा नयी प्रशासनिक व्यवस्था के प्रति सटीक जानकारियां दी जायें तथा संशयों को दूर किये जा सकें।

एडीजी का आभार :

शीरोज हैंगआउट कैफ़े  की  एसिड अटैक सरवाइवर्स   ने एडीजी राजीव कृष्ण  का स्वागत किया जबकि सिविल सोसायटी आगरा के जनरल सेक्रेटरी अनिल शर्मा ने कार्यक्रम का संचालन किया ।  कार्यक्रम के सहभागियों में आशीष शुक्ल - डाइरेक्टर छाँव फ़ाउंडेशन, अजय तोमर पीआरओ छाँव फ़ाउंडेशन, डॉ मधु भारद्वाज,वत्सला प्रभाकर, महेश शर्मा ,संजय चोपड़ा, डॉ एस के चन्द्र आदि सहभागी रहे।

रिपोर्ट-असलम सलीमी।