आगरा :"व्यक्ति कर्म से नहीं आचरण से बड़ा होता है": संत श्री विजय कौशल जी महाराज।



  • व्यक्त कर्म से नहीं, आचरण से बड़ा होता है।

- भगवान को छल, कपट वाले भक्त नहीं पसंद।

- श्रीराम कथा के दूसरे दिन कोठी मीनाबाजार में उमड़ा भक्ति     का सैलाब।

हिन्दुस्तान वार्ता।

आगरा। विख्यात संत एवं मानस मर्मज्ञ विजय कौशल जी महाराज ने कहा है कि भगवान श्रीराम की दृष्टि में कोई व्यक्ति काम से नहीं, आचरण से बड़ा और छोटा होता है। इसलिए उन्होंने उन लोगों से मित्रता की, जिन्हें लोग अछूत समझते थे। जिन्हें कोई अपनाता नहीं था। भगवान श्रीराम का मानना था कि अपने आचरण को शुद्ध रखो, तभी जीवन में सफलता मिलेगी। जगत का कल्याण होगा। 

कोठी मीना बाजार मैदान में बनाए चित्रकूट धाम में श्रीराम कथा का द्वितीय दिन वाचन करते हुए उन्होंने रैदास, कबीर, केवट की महिमा का गान किया। कहा कि व्यक्ति की दृष्टि उसे महान बनाती है। तुलसीदास जी ने भी रामचरित मानस में लिखा है कि भगवान श्रीराम को छल, कपट वाले लोग पसंद नहीं है। भगवान भी उन्हीं की पुकार सुनते हैं, जिनका मन पवित्र होता है। हृदय में करुणा होती है। भगवान का हृदय मां जैसा है। मां जब सो रही होती है, तब ढोल, ढोलक, नगाड़े कुछ भी बजता रहे, वह नहीं जागती, लेकिन उसका बालक जरा भी कुनकुनाता है, उसकी आंख खुल जाती है। इसी प्रकार भगवान श्रीराम अपने भक्तों की पुकार सुनते हैं। 

 संत रैदास की चर्चा करते हुए महाराज ने कहा कि वे चप्पल, जूते सिलने का काम करते थे। उनके पास एक कठौती रहती थी, जिसमें वे चमड़ा धोते थे, लेकिन वे उसे गंगा की तरह पवित्र मानते थे। तभी तो कहा गया है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा।संत रैदास को स्वयं गंगा मैया ने दर्शन दिए थे। 

केवट का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जब भगवान श्रीराम को वनवास हुआ, तब गंगा पार कराने के लिए प्रभु ने केवट से अनुरोध किया। उन्होंने केवट से कहा, हम तारना तो जानते हैं, तैरना नहीं, इसलिए तुम्हारी नाव की जरूरत है। 

उन्होंने पहले उनके चरण धोए, ताकि उनके चरणों के जल का पान कर सके। तब उन्होंने गंगा पार कराई । भगवान उतराई देने लगे तो उन्होंने श्रीराम से मना कर दिया। कहा कि आप और हम दोनों एक ही बिरादरी के हैं। क्योंकि मैं गंगा पार कराता हूं और आप भवसागर पार कराते हैं। 

महाराज शबरी के प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि नारी का शरीर कोमल होता है, लेकिन आंसुओं में बहुत ताकत होती है। उसकी आंखें ही बोलती हैं। चाहे क्रोध हो, प्रेम और या फिर देवी जैसा रूप, सब उनकी आंखों में दिख जाता है।

संत रैदास के अनुयायी आगरा में:

संत विजय कौशल जी ने कहा कि आगरा में संत रैदास के अनुयायियों की संख्या काफी है। वे उनके संदेशों को अपना रहे है। इसी प्रकार उन्होंने संत गोरखनाथ की चर्चा की और कहा उनमें बहुत बड़ी सिद्धि थी। उनके कल्याण भावना के प्रसंग सुनाते हुए उनसे प्रेरणा लेने की बात कही।

बच्चों को सत्संग में भेजें:

महाराज श्री ने सभी का आह्वान किया कि वे अपने बच्चों को सत्संग में भी लाए। क्योंकि उन्हें अच्छे संतों का सत्संग मिलेगा तो बहुत कुछ सीख सकेंगे। क्योंकि आज कल तरह-तरह के साधु आ रहे है और झाड़ फूंक आदि कराते हैं। इन सबसे बचने की जरूरत है। सत्संग में आने से बच्चों की दृष्टि बदलेगी। क्योंकि दृष्टि गलत होने पर बच्चे माता-पिता में भी दोष निकालने लगते हैं। 

कथा में मौजूद-मुख्य यजमान मुरारी प्रसाद अग्रवाल,पत्नी मीरा अग्रवाल। 

दैनिक यजमान- संजय गुप्ता  संगीता अजय अग्रवाल आशा विश्नू दयाल मधु राकेश अग्रवाल रेनू के अलावा मुख्य अतिथि ह्रदयनाथ सिंह (पूर्व महामंत्री संगठन), मुरारीलाल फतेहपुरिया, आदर्श नन्दन गुप्त रामसरन मित्तल राकेश अग्रवाल महावीर प्रसाद मंगल घनश्याम दास अग्रवाल रूपकिशोर महेश गोयल अग्रवाल लक्ष्मन प्रसाद गोयल विरेन्द्र अग्रवाल मीडिया प्रभारी ऋषि अग्रवाल मुकेश गोयल राजेन्द्र अग्रवाल विनोद गोयल धागे वाले गौरव बंसल अशोक खंदोली ई ओपी उपाध्याय संदीप मित्तल सुमित गर्ग कालीचरन गोयल मुकेश नेचुरल अभिषेक गुप्ता लोकेश पाठक  विजय गोयल सरस्वती विधा मन्दिर नवीन गौतम शगुन बंसल राजेश खुराना रेखा अग्रवाल सुमन मंगल प्रतिभा जिन्दल ममता शर्मा आशा अग्रवाल राधा शर्मा आदि प्रमुख थे।