अभिभावक शोषण में विद्यालयों को शिक्षा विभाग का संरक्षण - मनोज शर्मा।
हिन्दुस्तान वार्ता।
आगरा :प्रोग्रेशिव एसोसिएशन ऑफ पेरेन्ट्स टीम पापा के तीन सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने अभिभावकों की मूलभूत समस्यायों को लेकर जिलाधिकारी महोदय आगरा को सम्बोधित सात महत्वपूर्ण माँगों का एक ज्ञापन दिवस अधिकारी ए0 सी0 एम0 तृतीय को सौंपा।
संस्था के संस्थापक संरक्षक मनोज शर्मा के साथ संस्था संस्थापक सदस्य अमर सिंह सेंगर व शोभित जेटली ने सँयुक्त रूप से अभिभाभको के हित मे शिक्षा विभाग की लगाम कसने की बात कही है, उनका कहना है कि कुछ निजी विद्यालय लगातार मनमानी करते है पर शिक्षा विभाग मौन रहकर उन्हें संरक्षण प्रदान करता है, लगातार नियमों की अनदेखी व शासनादेशो का उलंघन करने वाले विद्यालयों पर कार्यवाही नही की जाती है ,
मात्र नोटिस नोटिस खेल कर खानापूर्ति की जाती है, जो अत्यंत शर्मनाक है , आज संस्था सात माँगो को लेकर यह ज्ञापित कराती है कि यह मांगे अभिभावक हित मे अत्यंत आवश्यक हैं व सभी वह माँगें है जो नियम सरकार ने बनाये है अथवा माननीय उच्च न्यायलय के आदेश से सबन्ध रखती है,
अभिभावकों के हितों की रक्षा के लिये इन्हें तत्काल पूरा किया जाना अतिआवश्यक है अन्यथा संस्था को आंदोलनात्मक कार्यवायी के लिये बाध्य होना पड़ेगा।
👉 सात माँगो के बिंदु।
1- आगरा के अभिभावकों के हित में हमारी पापा संस्था की जनहित याचिका संख्या 1196/20 पर माननीय उच्च न्यायलय, प्रयागराज के आदेशानुसार पालन करवाया जाना सुनिश्चित किया जाए।
2 - शैक्षिक सत्र वर्ष 2022-23 के वे प्राइवेट विद्यालय जिन्होंने राईट टू एजुकेशन के दाखिले में रुचि नही दिखाई व सरासर शिक्षा के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन किया, उन विद्यालयो के खिलाफ क्या कार्यवाही की गयी?
यदि नहीं तो क्यों नही की गयी? सार्वजनिक किया जाये।
3 - प्राईवेट विद्यालयो में किस कक्षा के कितने सेक्शन है तथा प्रत्येक सेक्शन में कितने बच्चें पड़ते है,
नाम, प्रवेशांक व रोल नम्बर सहित व उसमें राईट टू एजुकेशन के अंतर्गत कितने बच्चें पढ़ रहे है? उसकी सूचना बेसिक शिक्षा विभाग व जिला विद्यालय निरीक्षक से प्राप्त करते हुए जनहित में अभिभावक संस्था को भी उसकी कॉपी उपलब्ध करवाने की कृपा करें।
4- शिक्षण सत्र 2023/24 के लिये तत्काल उत्तर प्रदेश शिक्षा नीति- 2018 के अनुसार शिक्षा विभाग की तरफ से यह आदेश जन हित मे प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रकाशित करबाया जाये कि कोई भी विद्यालय किताबों, यूनिफॉर्म व जूते-मौजे
आदि के लिये एक दुकान को चयनित बताकर खरीदारी के लिये मजबूर नही करेगा, ना ही ऐसी किताबें व कपड़ो का चयन करेगा, जिसे निर्देशित विशेष दुकानों से बाज़ार मूल्य से कई गुणा अधिक धनराशि देकर खरीदने की अभिभावकों की मजबूरी बने।
सभी अभिभावक अनावश्यक जबरन आर्थिक शोषण का शिकार होने से बच सकें।
जिससे निजी विद्यालयों की कमीशन खोरी पर लगाम लग सके।
4- ऐसे अल्पसंख्यक विद्यालयो के खिलाफ जाँच कर कार्यवाही की जाये जो अपनी मान्यता नियमावली के विपरीत निर्धारित कोटे से अधिक अन्य समुदाय के बच्चों को पढ़ा कर तगड़ा आर्थिक मुनाफा कमा रहें हैं व धार्मिक शिक्षा से अलग CBSE बोर्ड / ICSC बोर्ड से संचालित कर राईट टू एजुकेसन से चयनित बच्चों को पढ़ाने से इंकार कर अपनी मनमानी पर उतारू है।
6 - हमारी पापा संस्था आगरा में प्रथम अभिभावक संस्था है, अतः जिला शुल्क नियामक समिति में नियम अनुसार संस्था को भागीदारी दी जाये ।
7 - आगरा में श्रीमान डी0 आई0 ओ0 एस0 महोदय व श्रीमान बी0 एस0 ए0 महोदय जी के संयुक्त निर्देशन में संस्था की भागीदारी के साथ एक टास्क फोर्स का गठन किया जाये। टीम प्राईवेट विद्यालयो में औचक निरीक्षण से यह जानकारी करें , विद्यालयो की कक्षाओं में निर्धारित मानक से अधिक विद्यार्थी तो नही पढ़ रहे है।
नियमानुसार कक्षा तक 1 से 5 तक एक सेक्सन में 35 बच्चों से अधिक व कक्षा 6 से 12 तक 40 बच्चों से अधिक तो नही पढ़ रहें हैं,) जिससे प्राईवेट विद्यालयों में पढ़ाई के स्तर में सुधार हो व महँगी शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी बच्चों के ट्यूशन खर्च से अभिभावकों राहत प्रदान हो सके।