शेयर्स के अप-डाउन से किसे होता है,फायदा-नुकसान,जानें।✍️आमोद सोलंकी(कंपनी सेक्रेटरी)शेयर मार्केट एनालिस्ट।

 


हिन्दुस्तान वार्ता।आगरा

शेयर बाजार में आज कल ख़बरें सुनने को मिल रही हैं कि कई कम्पनीज के शेयर गिर गए और निवेशकों का इतने हज़ार करोड़ रुपये का नुकसान हो गया। ये होता कैसे हो सकता, इससे किसे फायदा होता है, किसे नुकसान होता है।

पहला नुकसान तो फ्यूचर एण्ड ऑप्शन में ट्रेड करने वाले ट्रेडर्स को होगा ही,आबादी का बड़ा वर्ग आज कल इस फ्यूचर एण्ड ऑप्शन में लॉस ही करता है। इसका पहला कारण तो टेक्निकल समझ का आभाव है। जब बिना सम्पूर्ण जानकारी के लोग ऑप्शन ट्रेड करते हैं तो इसमें लॉस ही होता है।  

दूसरा लॉस रिटेल निवेशक का होता है :-

NSE और BSE स्टॉक एक्सचेंज पे लिस्टेड कम्पनीज का असल शेयर का प्राइस तो एक या दो या दस रुपये ही होगा, लेकिन स्टॉक एक्सचेंज पे बायर्स और सेलर्स के खरीदने और बेचने से डिमांड एण्ड सप्लाई का नियम लागू रहता है, इसलिए शेयर का प्राइस उसके असल प्राइस से ज्यादा ही देखने को मिलता है । 

कंपनी की बैलेंस शीट में सारे एसयूड शेयर्स असल प्राइस पे ही एंट्री होते हैं। मान लीजिये कि किसी कंपनी का 10 रुपये का  शेयर स्टॉक एक्सचेंज में 400 रुपये में ट्रेड हो रहा है,और किसी वजह से कंपनी के कारोबार के बारे में कोई समस्या उत्पन्न हो जाती है,जिससे निवेशकों को लगता है कि कंपनी के कारोबार और प्रॉफिट पर असर पड़ेगा और लोग शेयर बेचना शुरू कर देते हैं। जब स्टॉक एक्सचेंज पर किसी कंपनी के शेयर्स के सेलर्स ज्यादा हो और बायर्स कम हो तो उस कंपनी के शेयर्स का प्राइस नीचे गिरेगा। 

ऐसे केस में नुकसान निवेशकों को होता है क्योंकि उनके खरीदे हुए प्राइस से शेयर लगातार लम्बे समय तक नीचे ट्रेड करता है।

हम यस बैंक का उदाहरण ले सकते हैं। 2018 में यस बैंक का शेयर 350 से अधिक था और आज मात्र 17 रुपये पे ट्रेड कर रहा है। 

कंपनी जो कर्ज बैंक से लेते हैं उसके एवज में लोन की राशि से अधिक की अचल संपत्ति बैंक के पास गिरवी रखते हैं, और सालाना एक फिक्स दर से ब्याज भी देते हैं,लेकिन स्टॉक एक्सचेंज पर सामान्य निवेशकों को जारी शेयर्स से जायदातर कम्पनीज को बिना ब्याज के और बिना कोई सिक्योरिटी के पूँजी जुटाना आसान होता है।  

अगर मान लीजिये कंपनी का कारोबार बंद हो जाये और कंपनी दिवालिया हो जाये तो ऐसे केस में बैंक ने जो लोन कम्पनी को दिए, वह तो सुरक्षित हैं, लेकिन आम निवेशकों केवल फेस वैल्यू का मूल्य ही कम्पनी, वापिस करेगी। वह भी तब, जब सारे सिक्योर्ड लोन चुकाने के बाद कोई राशि बचेगी। 

एक रिटेल निवेशक को सामान्यतः किसी भी सेक्टर की ब्लू चिप कम्पनीज में निवेश करना चाहिए, साथ में निवेश करने से पहले कम्पनी की बैलेंस शीट का भी विश्लेषण कर लेना चाहिए।