भक्ति संगीत के सुरों से गूंजा,यमुना तटीय विचित्र वीर हनुमान टीले वाली सरकार का पवित्र स्थल।



- क्षेत्र की पौराणिक मान्यता का अहसास किया,पुस्तकालय की महत्ता स्वीकारी।

- सुहावने मौसम में हनुमान जी और उनके इष्ट श्रीराम के भजनों ने दर्शकों को भाव विभोर किया।

हिन्दुस्तान वार्ता।

आगराः पौराणिक आस्था स्थल विचित्र वीर हनुमान सरकार के परिसर में स्थित पुस्तकालय एवं मंदिर समिति के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार ,14 मार्च को सांस्कृतिक संध्या का आयोजन संपन्न हुआ।  

आयोजन में बडी संख्या में स्थानीय ग्रामीणों एवं शहर से पहुंचे लोगों की सहभागिता रही।

 अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के गजल गायक सुधीर नारायण ने इस अवसर पर भक्ति संगीत मय अनेक रचनाओं की प्रस्तुत कीं। गणेश वंदना "गाइए गणपति " से शुरू कर विघ्नहर्ता हनुमान का वंदन करते हुए "राम का गुणगान करिए, राम आत्मा राम का सम्मान करिए"। कहते हैं जहां राम का गुणगान हो, वहाँ स्वयं हनुमान आकर बैठ जाते हैं। श्री विचित्र वीर हनुमान मंदिर परिसर में ऐसा ही प्रतीति हो रहा था। वनवास काल में गंगा पार करने के लिए राम ने केवट से नाव में पार कराने के प्रसंग को भजन के रूप में प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया।  

 श्री सुधीर नारायण ने कहा कि आगरा उनकी जन्म व कर्म भूमि है,संगीत उनकी जीवन शैली का अभिन्न अंग है। महाकवि सूरदास जी की भक्ति रस पूर्ण रचनाएं उनके लिये हमेशा प्रेरक रही हैं।

 उन्होंने कहा कि सूरदास जी की साधना स्थली एवं स्वामी हरिदास जी के मिलन स्थल ‘सूरकुटी’किसी भी संगीत साधक के लिये खास महत्व रखता है। सूर कुटी पर वह पहले आते रहे हैं जबकि अब उन्हें विचित्र वीर हनुमान मंदिर के प्रांगण में प्रस्तुतियों का अवसर मिला है,उन्होंने कहा कि यह त्रेता युग के घटनाक्रम से जुड़ा परिसर है।

 मर्हिषि जमदग्नि का मंदिर और रेणुका घाट इसकी प्राचीनता के साक्ष्य हैं,इस पवित्र प्रांगण में प्रस्तुति का यह पहला अवसर अवश्य है,लेकिन वह बार बार यहां आते रहना चाहेंगे।

 मंडलायुक्त के पिता श्री लक्ष्मी नारायण गुप्त,जो कि स्वयं में एक स्थापित साहित्यकार हैं,उन्होंने कहा कि जमदग्नि ऋषि मंदिर परिसर में आकर वह अभिभूत हैं। उनके लिए यह सुखद अनुभूति है कि इस पौराणिक महत्व के परिसर में हनुमान टीले वाली सरकार के मंदिर परिसर में एक लाइब्रेरी का संचालन किया जा रहा है जहाँ अन्य साहित्य के साथ ही विभिन्न धर्मों एवं धार्मिक आस्थाओं से जुड़ा साहित्य भी अध्ययन के लिये मौजूद है। यही नहीं लाइब्रेरी आने वालों के लिए अध्ययन करने की समुचित व्यवस्था है।

 सुधीर नारायण की प्रस्तुति के साथ, प्रख्यात गीतकार,लेखक एवं गायक  सुशील सरित द्वारा लिखित हनुमान भजन को सुधीर नारायण ने स्वरबद्ध कर लोकार्पण किया । 

भजन के सुंदर बोल- 

बजरंगबली जय हनुमान।

प्रेम भक्ति की मूरत महान।

संकट मोचन जय हनुमान। 

जय हनुमान जय हनुमान ।

शक्ति दया के तुम हो सागर।

 बुद्धि ज्ञान की तुम हो गागर।

 तुम में है संगीत समाया।

देते अभय का सब को दान।

बजरंगबली जय हनुमान ।

जब लक्ष्मण पर संकट आया।

तुमने पर्वत हाथ उठाया।

किंतु किया ना कुछ अभिमान।

बजरंगबली जय हनुमान ।

तुम सा बली न कोई थल में।

लांघ गए सागर तुम पल में ।

जो ध्यावे पावे वरदान।

बजरंगबली जय हनुमान।

 आयोजन समन्वयक एवं पुस्तकालय प्रबंधन समिति की ओर से श्री अनिल शर्मा ने कहा कि आगरा को द्वापर युग की घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में ज्यादा जाना जाता है,जबकि त्रेता युग के अनेक वृतांत भी यहां की जमीन से जुड़े हुए है।

 श्रीराम कथा के नायक श्रीराम और उनके भाईयों के जन्म का जो अनुष्ठान दशरथ जी ने अयोध्या में करवाया था,उसे करवाने के लिये ऋषि श्रृंगी यहीं के सींगना गांव से ही ले जाये गये थे और उनके अभिमंत्रित प्रसाद का सेवन महाराजा दशरथ की पत्नियों ने किया था।

श्री शर्मा ने कहा कि यमुना तटीय यह रमणीक स्थल सनातन संस्कृति का सबसे महत्वपूर्ण स्थल है 

 सूरदास जी का साधना स्थल सूर कुटी(सूर सरोवर/कीठम), मर्हिषि ऋंग(सींगना गांव ),भगवान राम की बहन शांता(सींगना गांव ) , महर्षि चव्हाण ,महाभारत में हुई हिंसा के बाद महारानी के रूप में द्रौपदी एवं पांडवों का प्रायश्चित स्थल (यमुना तटीय गांव पश्चिमानी) यहीं मौजूद है। वेद व्यास का जन्म स्थान(नगला मच्छेन्दरी/ व्यास पीठ) महाभारत की प्रमुख महिला पात्र सत्यवती (मत्स्यगंधा )का यमुना नदी से प्रकट्य वृतांत यहीं के यमुना तटीय गांव (नगला मच्छेन्दरी/अकबरा) से जुडा हुआ है।

 सिविल सोसायटी ऑफ आगरा  का प्रयास है कि उक्त पौराणिक वृतांतों का सूचीकरण हो तथा आगरा के पर्यटन महत्व के स्थल के रूप में अधिसूचित किया जाये।

 जमदग्नि ऋषि मंदिर के महंत श्री श्री 108 शिवानंद जी महाराज (बालक दास बाबा) ने मंदिर परिसर से जुड़ी परंपराओं एवं वृतांतों की जानकारी देकर अतिथियों का स्वागत किया।

विचित्र वीर हनुमान मंदिर के महंत-सेवक पं.राजेश शर्मा ने आयोजन को सफल बनाने के लिये आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम का संचालन सुशील सरित और भानु सिकरवार ने किया।

 आयोजन में लक्ष्मी नारायण गुप्ता, राजीव सक्सेना, अनिल शर्मा, नारायण सिंह, असलम सलीमी, के पी सिंह,इंजीनियर प्रमोद कुमार, अखय सिंह, एस पी सिंह यादव, विशाल शर्मा, संदीप देवरानी, संजीव जैन, शुभ्र जैन, विनोद यादव, लेखपाल विनोद, अचिंत्य शर्मा, डॉ शिवकुमार शर्मा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

रिपोर्ट-असलम सलीमी।