30 फुट गहरे बोरवेल में गिरे सियार को वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस ने बचाया।

 


हिन्दुस्तान वार्ता।

आगरा: फतेहाबाद स्थित परोली सिकरवार गांव में 30 फुट गहरे खुले बोरवेल में फंसी मादा सियार को वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस रैपिड रिस्पांस यूनिट ने बचाया! मेडिकल परिक्षण के बाद सियार को वापस जंगल में छोड़ दिया गया।

हाल ही में,फतेहाबाद के परोली सिकरवार गांव के निवासियों ने 30 फुट गहरे खुले बोरवेल में एक सियार को फंसा देखा। जानवर की सुरक्षा के लिए चिंतित,उन्होंने वन विभाग को इसकी सूचना दी,जिन्होंने वाइल्ड लाइफ एस.ओ.एस रैपिड रिस्पांस यूनिट को उनकी 24×7 आपातकालीन हेल्पलाइन (+91-9917109666) पर सतर्क किया।

वन विभाग की सहायता के लिए एनजीओ की रेस्क्यू टीम आवश्यक बचाव उपकरण और चिकित्सा सहायता के साथ तुरंत रवाना हुई। करीब एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद,वाइल्डलाइफ एस.ओ एस रेस्क्यू टीम ने सियार को बोरवेल से सुरक्षित रूप से बाहर निकाला और चिकित्सकीय परीक्षण के बाद जल्द ही उसे उसके प्राकृतिक आवास में वापस छोड़ दिया।

वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस के सह-संस्थापक और सी.ई.ओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा,“खुले कुएं और बोरवेल न केवल वन्यजीवों के लिए बल्कि लोगों की सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा हैं। इन कुओं और बोरवेल को ढकना बहुत ही जरूरी है, खासतौर पर वे जो मानव आवास के निकट स्थित हैं।”

बैजूराज एम.वी, डायरेक्टर कंजर्वेशन प्रोजेक्ट्स,वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस ने कहा..कि “वर्षों के अनुभव के बावजूद, हमारी रेस्क्यू टीम ऐसे बचाव अभियान चलाते समय हमेशा संभावित जोखिमों और चुनौतियों को ध्यान में रखती हैं। 

हम इस रेस्क्यू को सफल बनाने के लिए वन विभाग के अधिकारियों के आभारी हैं।”

गोल्डन जैकल (सियार) भारतीय उपमहाद्वीप के मूल निवासी हैं और जंगल में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे सर्वाहारी हैं,मतलब वे विभिन्न प्रकार के छोटे स्तनधारी,पक्षी, मछली, खरगोश और यहां तक ​​कि फलों को भी खाते हैं। दुर्भाग्य से, गोल्डन जैकल अक्सर शिकार, वन्यजीव तस्करी, मानव-वन्यजीव संघर्ष और सड़क दुर्घटना आदि के शिकार होते हैं।

 यह प्रजाति वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची के तहत संरक्षित है, और जंगल में इसकी अनुमानित आबादी 80,000 है।