नेशनल चैम्बर ने केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी से की एक शिष्टाचार भेंट।




आगरा शहर सांस्कृतिक,साहित्यिक एवं आध्यात्मिक केंद्र की तरह पुनः हो विकसित एवं स्थापित।

बनारस की तर्ज़ पर सुबह-ऐ-आगरा के नाम सामूहिक कार्यक्रम में वैदिक मंत्रौच्चारणो के साथ हो यमुना आरती, शास्त्रीय संगीत एवं योग  

प्रेषित किया एक विस्तृत प्रत्यावेदन।

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा:नेशनल चैम्बर ऑफ इण्डस्ट्रीज एण्ड कॉमर्स यू0पी0 आगरा की ओर से श्री राजेश गोयल,अध्यक्ष एवं राहुल जैन को-चेयरमैन संस्कृति एवं पर्यटन विकास  प्रकोष्ठ ने श्रीमती मिनाक्षी लेखी केन्द्रीय संस्कृति राज्यमंत्री से उनके आगरा प्रवास के दौरान शिष्टाचार मुलाक़ात कर, आगरा में यमुना नदी पर नए घाटों का निर्माण / पुराने घाटों का पुनरउद्धार ब्रज वास्तुशैली के अनुसार एवं सुबह एवं संध्या में यमुना आरती का प्रतिदिन नियमित आयोजन, शरद ऋतू में आगरा में सूरदास जी को समर्पित बहु दिवसीय शास्त्रीय संगीत एवं काव्य महोत्सव की शुरुआत एवं नियमित आयोजन एवं आगरा शहर के ग्रामीण आंचल में स्थित प्राचीन चित्रकलाओं , शिल्पकृतियों,कलाकृतियों एवं अवशेषों का संरक्षण करवाने के लिए, करने हेतु सुझाव एवं प्रतिवेदन दिया ।

आगरा में यमुना किनारे स्थित कैलाश महादेव मंदिर से लेकर हाथी घाट तक नए घाटों का निर्माण एवं पुराने घाटों का पुनरउद्धार ब्रज वास्तुशिल्पीय शैली में करवाना चाहिए।

 इसके अत्तिरिक्त आगरा के इन घाटों पर हर प्रातः बनारस की तर्ज़ पर सुबह-ऐ-आगरा के नाम से सामूहिक कार्यक्रम जिसमे वैदिक मंत्रौच्चारणो के साथ यमुना आरती, शास्त्रीय संगीत एवं योग जैसे कार्यक्रम नियमित रूप से प्रतिदिन आयोजित करवाने चाहिए । संध्या में सूर्यास्त के पश्चात इन घाटों पर शंखनाद, घंटी, डमरू के साथ और मां यमुना के जयकारे के बीच यमुना जी की आरती आयोजित होनी चाहिए जिससे अधिक से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक अध्यात्म की खोज में आगरा आवें। 

आगरा की पहचान ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि महात्मा सूरदास जी से है। आगरा शहर सूरदास जी की जन्मस्थली एवं कर्मस्थली रही है । वे भगवान् श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक थे और उनकी रचनाओं में ब्रज की खुशबू बसी हुई है। उनकी लिखीं कृतियां आज भी प्रासंगिक हैं ।

केंद्र सरकार को आगरा में शरद ऋतु में सूरदास जी को समर्पित और उनके द्वारा सृजित कृष्ण-काव्य की विशिष्ट परम्परा को जीवंत रखने के लिए एक बहु दिवसीय शास्त्रीय संगीत एवं काव्य सम्मेलन आयोजित करवाना चाहिए जिसमे देश के विख्यात लोक एवं शास्त्रीय संगीतकार, गायक  एवं वादक, जिन्होंने भारतीय संगीत की विभिन्न परम्पराओं एवं विधाओं को न केवल रचनात्मक रूप से विकसित किया , बल्कि उन्हें सांस्कृतिक रूप से जीवन्त भी बनाया है ,सम्मिलित हो  इसके अतिरिक्त ब्रज भाषा के विख्यात कवि और लेखकों को सम्मिलित कर विभिन्न काव्य सम्मलेन भी आयोजित करवाने चाहिए जिससे ब्रज भाषा एवं उपभाषा का पुनः प्रवर्तन एवं उत्थान हो सके ।

आगरा शहर के ग्रामीण आँचल में अनेको स्थल है जहाँ प्राचीन चित्रकला, शिल्पकृति, कलाकृतिया एवं अवशेष है जो जीर्ण अवस्था में और संरक्षण के आभाव में लुप्त हो जाएगी । 

केंद्र सरकार को इन भारतीय धरोहरों को सहेज इनका संरक्षण कर भारतीय संग्रालयो में प्रदर्शित करनी चाहिए जिससे हमारी वर्तमान और भावी पीढ़ी भारत के गौरवशाली धरोहरों से लाभान्वित हो सके ।