उ.प्र.लेखिका मंच द्वारा अयोजित संगोष्ठी में साहित्यकार मुँशी प्रेमचंद का किया,स्मरण।


प्रेमचंद का साहित्य समकालीन भारत का प्रतिबिंब है।

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

 आगरा:उ.प्र.लेखिका मंच द्वारा एक संगोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी में  साहित्यकार मुँशी प्रेमचंद के व्यक्तित्व व कृतित्व पर विस्तृत चर्चा हुई।

वक्ताओं ने प्रेमचंदजी को भारत के जनसाधारण की परिस्थितियों और आकांक्षाओं को समझने वाले साहित्य के कुशल चितेरे के रूप में वर्णित किया। 

उनकी कृतियों में समकालीन भारतीय समाज की झांकी मिलती है। वक्ताओं ने उनके कथा साहित्य का मार्मिक विश्लेषण किया।

प्रारंभ में डॉ. गीता यादवेंदु एवं सोनम खिरवार ने मुंशी प्रेमचंद के जीवन पर प्रकाश डाला। 

डॉ.दीपा रावत ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य इसलिए प्रासंगिक है क्योंकि वह सामाजिक आर्थिक यथार्थ का विवरण देता है। प्रेमचंद ने मूल मानवीय संवेदनाओं को ध्यान में रखा। आभासी दुनिया में उनके साहित्य का प्रचार होना चाहिए।

डॉ.सीमा सिंह ने नवनिवेशवाद और सांस्कृतिक साम्राज्यवाद के दौर में मुंशी प्रेमचंद द्वारा प्रतिपादित नैतिक व मानवीय मूल्यों को आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य भारत की ज़मीन से जनमन को जोड़ता है। 

शशि मल्होत्रा ने प्रेमचंद को ज़मीन से जुड़ा हुआ तथा फंतासी से अलग हट कर लिखने वाला प्रथम उपन्यासकार बताया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रेमचंद अपनी कथाओं में समस्याओं की ओर इंगित कर थे परंतु अपार समाधान पाठकों पर छोड़ दिया करते थे। 

ज्योत्सना सिंह ने प्रेमचंद की कहानियों में सामाजिक कुरीतियाँ और आडंबरों के विरोध का वर्णन किया। 

नम्रता कुलश्रेष्ठ ने औपनिवेशिक काल  में प्रेमचंद के साहित्य को भारतीय स्वत्व को जगाने वाला बताया।

डॉ.अपर्णा पोद्दार ने प्रेमचंद की दो कहानियों बड़े भइया व नशा का विश्लेषण करते हुए पारिवारिक संबंधों की प्रगाढ़ता का वर्णन किया।

सुजाता सिंह ने कहानी बंद दरवाज़ा, करुणा सिंह ने कफ़न, ममता गुप्ता ने बड़े घर की बेटी, गीता शर्मा ने घासवाली ,  विनोद वोहरा ने ईदगाह का मार्मिक विश्लेषण किया। 

राजश्री यादव, ज्योति शर्मा व दलजीत ग्रेवाल ने काव्यपाठ किया। 

अध्यक्षता करते हुए प्रीति आनंद ने प्रेमचंद द्वारा मिल मज़दूर नामक फ़िल्म के लिए स्क्रिप्ट लिखने का वर्णन किया परंतु उस फ़िल्म को तत्कालीन सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था। उन्होंने कहा कि अपने जीवन काल में प्रेमचंद निर्धन रहे किन्तु बाद में उनकी कथाओं पर दर्जनों फ़िल्म व सीरियल बने जो बेहद लोकप्रिय हुए। 

संगोष्ठी का संचालन डॉ. गीता यादवेंदु ने और धन्यवाद ज्ञापित शशि मल्होत्रा ने किया। 

संगोष्ठी में अपर्णा पोद्दार, दीपा रावत, प्रीति आनंद, गीता यादवेंदु, सीमा सिंह, नम्रता कुलश्रेष्ठ, शशि मल्होत्रा, सोनम खिरवार, दलजीत ग्रेवाल, राजश्री यादव, ज्योत्सना सिंह, विनोद वोहरा, नम्रता कुलश्रेष्ठ, ममता गुप्ता, ज्योति शर्मा, सुजाता सिंह, करुणा सिंह, गीता शर्मा, आदि उपस्थित रहे।

रिपोर्ट-असलम सलीमी।