रास लीला काम की लीला नहीं,अपितु श्याम की लीला हैः नीरज नयन।



अग्रसेन भवन,लोहामंडी में चल रही है श्रीमद् भागवत कथा।नीरज नयन महाराज हैं कथा व्यास। 

 हिन्दुस्तान वार्ता।ब्यूरो

आगरा। महारास,इस शब्द का अर्थ किसी तरह के काम विकार से नहीं है। बल्कि ये तो निरविकार साधना है। 

जिस लीला को देखने के लिए देवलोक के देवता,देवऋषि नारद और यहां तक कि देवों के देव महादेव स्वयं धरती पर आए और गोपी वेश धारण किया, तो उसका आनंद भौतिक हो ही नहीं सकता। रास पंचाध्यायी कथा प्रसंग का बखान करते हुए कथा व्यास नीरज नयन महाराज ने ये बातें कहीं। 

लोहामंडी स्थित अग्रसेन भवन में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में दशम स्कंध में वर्णित रास पंचाध्यायी कथा प्रसंग सहित श्रीकृष्ण का मथुरा गमन, उद्धव− गोपी संवाद और रुक्मणी मंगल प्रसंग हुआ। कथा के जजमान राकेश गर्ग और कुमकुम गर्ग हैं।

 कथा व्यास नीरज नयन महाराज ने कहा कि यदि जीवन से काम विकार की निकासी चाहते हैं, मोह और द्वेष से परे होना चाहते हैं तो रास पंचाध्यायी का पाठ दिनचर्या में अवश्य शामिल करें। उन्होंने कहा कि भगवान की रास लीला, काम की लीला नहीं श्याम की लीला है। भागवत में शुक देव जी कहते हैं जो इसका पाठ करता है उसके विकार नष्ट हो जाते हैं। प्रयाग के एक प्रसिद्ध संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी थे। उन्होंने रास पंचाध्यायी फलाश्रुति के श्लोक को अपने जीवन का आधार बनाया। जिसके कारण उनके जीवन में सात्विकता घटित हुयी। यह पाठ परिवार में प्रेम का वास करवाता है और यदि रोग ग्रस्त हैं तो उससे छुटकारा भी दिलाता है। कथा प्रसंग में जब उद्धव− गोपी संवाद हुआ तो उपस्थित हर श्रद्धालु के नेत्र प्रभु भक्ति भाव के अश्रुओं से भीग गए। रुक्मणी विवाह प्रसंग में महिला श्रद्धालुओं ने बढ़चढ़ कर भाग लेकर उत्साहित हो नृत्य किया। प्रभु के विवाह के अवसर पर प्रसादी का वितरण भी हुआ।

 इस अवसर पर किशन गर्ग, नीरज, मनोज अग्रवाल, विशाल बंसल, उषा बंसल, सतीश चंद्र बंसल, मनीष गर्ग, सौरभ, गौरव, महावीर मंगल, मोहन लाल, अंकुर सीए, दीपक अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।