सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने सिविल एन्क्लेव के बारे में पूर्व मंत्री राजा अरिदमन सिंह से की भेंट।

                                         


डी पी आर के अनुसार ही शीघ्र बनना शुरू हो सिविल एन्क्लेव।

आगरा की एयरकनैक्टिविटी  पर दीं जन अपेक्षाओं की जानकारी।                                                                                            

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा:आगरा एयरपोर्ट को वायुसेना परिसर से बाहर लाया जाना, महानगर की पर्यटन प्रधान अर्थ व्यवस्था की अहम जरूरत और अवस्थापना सुविधाओं को एक अनिवार्य आवश्यकता है। 

इसके लिये जमीन अधिग्रहण कर एयरपोर्ट अथॉरिटी को सौंपे जाने संबधी औपचारिकता पूरी की जा चुकी है,किंतु इसके बावजूद एयरपोर्ट अथॉरिटी ने निर्माण कार्य शुरू नहीं किया है और इसके स्थान पर 95 एकड़ जमीन और अधिग्रहित कर नयी डी पी आर बनाये जाने के लिये प्रक्रियायें शुरू करवाने में लग गया है,जबकि अब तक स्वीकृत कार्य योजना के अनुरूप काफी कार्य हो जाने चाहिये। उक्त स्थिति के संबंध में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री राजा अरिदमन सिंह को सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के प्रतिनिधि मंडल ने ‘ भदावर हाउस ‘ मुलाकात कर तथ्य पत्र सौंप नागरिकों का पक्ष स्पष्ट करते हुए तथ्यात्मक जानकारियां दी गयीं।

श्री अरिदमन सिंह से मुलाकात करने वालों में राजीव सक्सेना एवं असलम सलीमी भी शामिल थे।

उल्लेखनीय है कि आगरा के मौजूदा और पूर्व जन प्रतिनिधियों में राजा अरिदमन सिंह को ही नागरिक उड्डयन से संबंधित सबसे ज्यादा जानकारियां हैं। वे मानते हैं कि सिविल एन्क्लेव को वायुसेना परिसर से जितना जल्दी हो बाहर ले जाया जाना चाहिये।  

उन्होंने बताया कि सिविल एन्क्लेव को नये स्थान पर ले जाये जाने की योजना में अब शुरू हुई देरी को लेकर नागरिकों में बेहद आक्रोश है,कई अन्य संगठनों की ओर से भी इस संबंध में उनसे अनुरोध किया गया है।                                                                              

पूर्व में औपचारिक चर्चा के दौरान श्री सिंह ने सिविल सोसायटी ऑफ आगरा  के प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि इस संबंध में पार्टी नेतृत्व को जानकारी देंगे, साथ ही नागरिक उड्डयन मंत्रालय के संज्ञान में भी आगरा के लोगों की एविएशन सेक्टर से जुड़ी अपेक्षा लाने का प्रयास करेंगे। 

 सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के जनरल सेक्रेटरी श्री अनिल शर्मा ने कहा कि उन्हें लगता है कि सिविल एन्क्लेव प्रोजेक्ट को लेकर जिस गति से कार्य प्रगति हो रही है,वह भारत सरकार की  हवाई अड्डों के विकास की नीति के अनुरूप नहीं है।स्वीकृत डी पी आर पर कार्य न करवा कर 95 एकड़ जमीन और अधिग्रहित करवा के नयी डीपीआर बनवाने का ताज कार्य अपने आप में और भी कई प्रश्नचिन्ह खडे करने वाला कार्य है।

नागरिकों के समक्ष यह स्पष्ट होना चाहिये कि एविएशन मिनिस्ट्री की क्या योजना है, कब से निर्माण कार्य शुरू करवाया जा रहा है। 

तथ्यात्मक जानकारियों को लेकर उत्सुकता। 

श्री अरिदमन सिंह से यह भी अनुरोध किया गया है कि राज्य सरकार के संज्ञान में सिविल एन्क्लेव संबंधी तथ्यात्मक जानकारियां लाकर वस्तु स्थिति स्पष्ट करने का अनुरोध करें। कम से कम आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति तो जारी की ही जानी चाहिए। वैसे उपयुक्त होगा कि उपमुख्यमंत्रियों में से कोई स्वयं आकर जानकारी उद्घाटित करें।

 सिविल एयरपोर्ट अथॉरिटी जितनी और जमीन उ प्र सरकार से खरिदवाना चाहती है, उसे खरीदने के लिये राज्य सरकार चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में सामर्थ्य है भी या नहीं।क्योंकि इस निवेश से सरकार को कोई प्रत्यक्ष लाभ नहीं मिलना है। अनुमान है कि लगभग ढाई अरब रुपया इस खरीद फरोख्त पर खर्च आयेगा और इसके साथ ही बहुत बडी संख्या में लोगों को उनकी आवासीय जरूरत के लिए अन्य स्थानों पर शिफ्ट करना होगा। बिना किसी ठोस योजना के तहसील स्टाफ के द्वारा की गयी नपाई भर से किसानों में अनिश्चय की स्थिति है । 

फिर से लेनी पड़ सकती हैं अनुमतियां।

एयरपोर्ट अथॉरिटी ने इस तथ्य तक को नजरअंदाज कर दिया है कि अगर कार्य शुरू होने में अधिक विलंब हुआ तो पर्यावरण एवं नागरिक अवस्थापना संबधी कई अनिवार्य औपचारिकताओं की अनुमति कालातीत हो जाएगी और फिर से उनके लिए औपचारिकतायें करनी होंगी। सुप्रीम कोर्ट से अनुमति भी इनमें शामिल है।

 2012 से एयरपोर्ट का वायुसेना परिसर से बाहर लाने की कोशिशें शुरू हुई है,लेकिन अनुमति अब जाकर मिल सकी है। सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलना तो अपने आप में ही एक मुश्किल भरा कार्य था ।अब मौजूदा अनुमति के अनुसार कार्य शुरू करने के स्थान पर किसी भावी विस्तार योजना के आधार पर इसे लटकाना आगरा के नागरिक हितों एवं वायुसेना परिसर की सुरक्षा को दृष्टिगत एक प्रतिकूल कार्य है। 

 आगरा के लोगों की समझ से परे है कि निर्माण कार्य शुरू कयों नहीं करवाया जा रहा है, अगर कोई विस्तार या अधिक जमीन की जरूरत वाली योजना थी तो एयरपोर्ट अथॉरिटी अब तक उसे फाइल बंद क्यों किये रही। सिविल सोसायटी का मानना है कि एयरपोर्ट अथॉरिटी को इस संबंध में आधिकारिक रूप से जानकारी रखनी चाहिये।

 जन प्रतिनिधियों और आगरा एयरपोर्ट एडवाइजरी कमेटी के गणमान्य सदस्यों के माध्यम जो जानकारियां उद्घाटित न केवल अपूर्ण है तथा प्रोजेक्ट को एक बार फिर से लम्बे समय तक के लिये लटकाने वाली हैं।

भरपूर स्कोप।

हवाई यात्री और एयर कार्गो संबधित कारोबार को दृष्टिगत एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। विलम्ब का जो भी कारण रहे किन्तु इसका प्रत्यक्ष लाभ दिल्ली एन सी आर के ट्रैवल इंडस्ट्रीज को ही मिल रहा है। जो कि अपने आप में एक ऐसी ‘अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस ‘ है ,जिसके लिये आगरा एयर फोर्स जैसे राष्ट्रीय महत्व के रक्षा प्रतिष्ठान के सुरक्षा से जुड़े पक्ष को भी अनदेखा कर दिया गया है।     

कृषि क्षेत्र के लिये लाभकारी:नागरिक उड्डयन संबधी भारत सरकार की नीति में कृषि उत्पादों को टांसपोर्टशन भी शामिल है, आगरा का सिविल एन्क्लेव तो इसके लिए बाकायदा इसके लिये अधिसूचित है। कृषि ,खास कर बागवानी उत्पादों की मांग बेहद बढी है, मैट्रोपुलेटिन सिटी में इनका दाम अधिक मिलता है। सब्जियों के एयरलिफ्ट की इस सुविधा को अधिक व्यावहारिक बनाया जा सकता है,लेकिन इस पर पहले किसानों को मंडियों के माध्यम से या विकास खंडों कार्यालयों के माध्यम से जोड़ने का कार्य तो हो।

रिपोर्ट-असलम सलीमी।