उटंगन नदी पर बांध बनाकर,यमुना नदी के उफान को रोका जाये: सिविल सोसायटी ऑफ आगरा।

 


यमुना नदी के लो फ्लड लेवल पर पहुंचते ही विपुल जलराशि संचय को होती है उपलब्ध।                                                 

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा: सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा ने होटल ए स रॉयल होटल सिकंदरा में  पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन कर यथा स्थिति से अवगत कराते हुए कहा कि

जल संकट से जूझते आगरा को राहत के लिये दीर्घकालिक एवं शीघ्रता के साथ हो सकने वाले कार्य करने को कदम उठाये जाना जरूरी है। इनमें से जो कार्य तेजी और जन सद्भावना के साथ जल संचय को दृष्टिगत किये जा सकते हैं, उनमें फतेहाबाद तहसील के यमुना तटीय गांव  रिहौली (Rehauli Village) में उटंगन नदी पर बांध बनाया जाना भी है।

उपरोक्त नया न भी माना जाये किन्तु अब तक इसके बारे में कभी गंभीरता से सोचा नहीं गया। राजस्थान से उ प्र में प्रवेश करने वाली उटंगन नदी दक्षिण पश्चिम छोर पर स्थित किरावली तहसील के सिरौली गांव से प्रवेश करती है और लगभग सौ कि मी के प्रवाह के बाद रिहावली गांव में यमुना नदी में मिलती है।गांव में नदी के एक ओर जहां रिहावली गांव के खेत और आबादी है,वहीं दूसरी ओर बाह तहसील के पिनहाट विकास खंड का रीठे गांव (Rithai Village )है। रिहावली को रीइ से जोडने के लिये एक दगडा नुमा डाबरीकृत सडक है।

नदी पर एक चेक डैम नुमा पुल बना हुआ है,किंतु इसका मुख्य मकसद केवल हल्के वाहनों और किसानों को आवागमन सुविधा सुलभ करवाना मात्र है।

यमुना में सामान्य जलस्तर जैसे ही बढ़ना शुरू होता है, यह मार्ग बंद हो जाता है । पानी को जलाशय के रूप में संग्रहित करके रखने का तो नदी पर बनायी गयी इस संरचना का मकसद ही नहीं था। 

जब सामवार को सिविल सोसायटी आफ आगरा की टीम ने यहां की स्थिति का आकलन किया तो यह संरचना 20 फुट तक पानी में डूबी हुई थी। जब यमुना नदी में पानी उतर जायेगा परिणाम स्वरूप उटंगन बैक मारना बंद कर देगी तब रिहौली और रीठे के बीच इससे होकर आवागमन पुन: शुरू हो जायेगा। इस संरचना को पिढौरा पुल के नाम से भी जाना जाता है। यमुना और उटंगन नदी के बीहड़ क्षेत्र के गांव इस थाने के क्षेत्र में आते हैं ,जिसके लिये पुलिस प्रशासन में इसकी विशिष्ट पहचान हैं।

बांध की जरूरत।

सिविल सोसायटी ऑफ आगरा का मानना है कि जिस स्थान पर यमुना नदी में उटंगन नदी समाती है,उस तटीय स्थल से 200 मीटर बैक में सिंचाई विभाग के मानकों के अनुरूप भरपूर क्षमता का एक डैम बनाया जाए, जिसका मकसद उटंगन नदी में यमुना के उफान से पहुंचे पानी को जलाशय के रूप में होल्ड करके रखना हो ।दरअसल यमुना नदी के आगरा में लो फ्लड लेवल के पहुंचते ही उटंगन रिहावली पर बैक मारने लगती है। रिहावली गांव और अरनौठा पुल के बीच की दूरी लगभग 8 कि मी है।।यमुना में मानसून का उफान बने रहने तक उटंगन नदी में अरनौटा रेलवे पुल तक पानी की भरपूरता रहती है।

अधिकांश स्थानों पर बीहडी क्षेत्रों में भी यह पानी भर जाता है। जैसे ही यमुना नदी में पानी कम होना शुरू होता है उटंगन उतर जाती है।

विपुल जलराशि को रोका जाये।

सिविल सोसायटी ऑफ आगरा  का मानना है कि उटंगन नदी में बैक मारने से पहुंचे पानी को पुन: यमुना में जाने से रोका जाये और डैम बना कर इस साल भर जरूरतों के हिसाब से उपयोग में लाया जाये। आठ कि मी लम्बाई वाला उटंगन जलाशय फतेहाबाद ,फतेहाबाद तहसील के कई गांवों और पिनहाट के बहुत से गांवों के लिये मीठे पानी के जल स्रोत के रूप में उपयोगी साबित होगा। सालभर नदी में पानी की भरपूरता से बाह और फतेहाबाद तहसील के बहुत सारे गांवों भूजल रिचार्ज को यह उपयोगी साबित होगा। जैसा कि सर्वविदित है कि बाह और फतेहाबाद तहसीलों के ब्लाक अति दोहित श्रेणी के है फलस्वरूप साल भर जलसंचय वाला उटंगन नदी जलाशय उपरोक्त को दृष्टिगत भी उपयोगी है। वैसे पार्वती नदी (धौलपुर) के आंगई डैम की तर्ज पर इस जलाशय के पानी के अन्य उपयोग भी तय किये जा सकते है। 

अन्य उपयोगों के अलावा प्रशासन के संज्ञान में यह भी लाना चाहेंगे कि उटंगन नदी के इस जलाशय की फतेहाबाद रोड स्थित आगरा के होटल  व कमर्शियल कॉम्प्लेक्स से दूरी लगभग 35 कि मी ही है।आवश्यक्ता होने पर  पाइप लाइन डाल कर जलाशय के इस मीठे पानी को उपयोग जल संस्थान के तृतीय जोन में भी किया जा सकता है।

पवित्र बटेश्वर के लिए भी उपयोगी।

पवित्र बटेश्वर मंदिर और घाट रिहावली के लगभग 22 कि मी  डाउन में है, कार्तिक पूर्णिमा सहित शैव मतालंवी साल में कई पर्व आयोजित होते हैं।

इन सभी अवसरों पर यमुना स्नान की परंपरा है। सामान्यतः घाटों पर यमुना जल अत्यंत कम और प्रदूषण की भरपूरता वाला होता है। उटंगन डैम अगर बन जाता है तो उससे डिस्चार्ज  कर भोले बाबा के भक्तों की सेवा भी संभव है। 

उटंगन डैम में पानी के अन्य स्रोत।

जब बांध बनाये जाने के साथ ही उसके पानी  व्यापक उपयोग के बारे में बता रहे हैं तो एक सवाल सामने आना स्वाभाविक है कि क्या डैम में इतना पानी होगा भी कि नहीं। इसके प्रत्युत्तर में फिलहाल केवल इतना ही कहा जा सकता है कि अगर डैम बन गया तो इसमें पानी की कोई भी कमी नहीं रहेगी। यमुना के उफान  से बैक मारने वाले पानी के अलावा उटंगन नदी का अरनौटा के अपस्ट्रीम आने वाला पानी भी तो जलाशय को अपना योगदान देगा। यह भी स्मरण करवाना चाहेंगे कि जनपद की सबसे बडी नहर टर्मिनल राजवाह की टेल का पानी भी उटंगन में ही नगला बिहारी के पास योगदान देता है। नहर का रख रखाव स्तरीय नहीं है,फलस्वरूप पूरी क्षमता से इसे शायद ही कभी चलाया जाता हो लेकिन इसके बावजूद इसकी टेल से भी उटंगन में पानी पहुंचता रहता है। खास कर नान रोस्टर वाले दिवसों में । 

सिविल सोसायटी आगरा को उम्मीद है कि उटंगन नदी पर फतेहाबाद तहसील के यमुना तटीय गांव रिहावली में मानसून कालीन यमुना नदी के उफान को संचालित  करने के लिए बहुउद्देशीय ‘ बांध संरचना’ को बनाए जाने संबधित हमारे अनुरोध पर जनप्रतिनिधि , प्रशासन और उ प्र सिंचाई विभाग विचार करेंगे।  

थमेगा आगरा का होने के साथ ही जलस्तर।

जनपद में सबसे अधिक लम्बी दूरी तक प्रवाह होने वाली उटंगन नदी का जनपद के जल संकट की समस्या के समाधान में महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। इस पर जगनेर विकासखंड के अंतर्गत किबाड नदी के उटंगन नदी  में मिलने के डाउन स्ट्रीम, खारी  नदी के के उटंगन में मिलने के डाउन में फतेहाबाद तहसील के मोतीपुरा गांव में उटंगन में समाने के डाउन तथा रेहवली गांव (फतेहाबाद तहसील) में उटंगन नदी के यमुना नदी में  सहित तीन बांध बनाये जा सकते हैं। सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के द्वारा उपरोक्त जलसंचय संभावनाओं के संबध जिला सिंचाई बंधु अध्यक्ष श्रीमती डॉ मंजू भदौरिया के समक्ष तथ्य पत्र प्रस्तुत किया था। जिस पर चर्चा के लिये अध्यक्ष महोदया ने 19 मई, 2023  को आयोजित जिला सिंचाई बंधु की बैठक में विभाग के संबंधित अभियाताओं से चर्चा करने का अवसर प्रदान किया और अपने स्तर से भी तथ्य पत्र पर  रिपोर्ट भी मांगी थी। 

उटंगन नदी पर तीन बांध बनाए जाने की संभावनाओं के संबंध में  प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री राजा अरिदमन सिंह सिंह और फतेहपुर सीकरी लोकसभा क्षेत्र के सांसद राजकुमार चाहर को भी उपयुक्त जानकारियां देकर सोसायटी अपने ष्टिकोण से अवगत करवा के अनुरोध कर चुकी है कि आधिकारिक स्थलीय एवं भौगोलिक जानकारियों के आधार पर बांधों को बनवाने के लिये शासन से अनुरोध करे।

सोसायटी का मानना है कि उटंगन नदी में मानसून काल में भरपूर पानी होता है,जबकि शीतकाल में पश्चिमी विक्षेह (वेस्टर्न डिस्टेंस ) के फलस्वरूप होने वाली वर्षा के दौरान नदी के कैचमेंट एरिया की बडी जलराशि नदी में पहुंचती है।

निवेदन।

सिविल सोसायटी ऑफ आगरा का उ प्र शासन से अनुरोध है कि उटंगन नदी (राजस्थान में गंभीर नदी) में राजस्थान से होने वाले डिस्चार्ज की अनिवार्यता सुनिश्चित करवाये,साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि राजस्थान को उ. प्र. में आने वाली नदियों का कितना पानी होल्ड (संग्रहित) करने का हक है। दरअसल भरतपुर ,धौलपुर और आगरा की सामान्य समस्या पानी की कमी है,आगरा की किरावली,खेरागढ और फतेहाबाद तहसीले रियासत काल से ही राजस्थान के पानी की सहभागी हैं। अधिक वर्षा, राजस्थान के सीमांत जनपदों प्रबंधन में खामी का सबसे ज्यादा खामियाजा आगरा को ही उठाना पड़ता है।ज्यादातर नदिया करौली की विंध्या  पहाड़ियों से शुरू होकर आगरा होते हुए यमुना नदी में समाहित होती है। इन नदियों में से अधिकांश जलग्राही क्षेत्र (वाटर कैचमेंट एरिया) में आगरा की किरावली,खेरागढ़, फतेहाबाद तथा गोवर्धन तहसीले भी शामिल हैं। दरअसल धरातलीय बनावट जलवृष्टि और जल प्रवाह को तय करते हैं,प्रशासनिक इकाइयां केवल प्रबंधन को माध्यम हैं।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिरोमणि सिंह, राजीव सक्सेना, अनिल शर्मा, असलम सलीमी,केएन अग्नोत्री ,ग्रुप कैप्टन जयपाल सिंह चौहान,एडवोकेट अनिल गोयल आदि उपस्थित थे।

रिपोर्ट-असलम सलीमी।