नेशनल चैम्बर ने स्टाम्प कमी के वाद निवारण एवं सम्पत्ति कर,आदि के उठाए कई मुद्दे।

  


- विभिन्न न्यायालयों में लाखों की संख्या में लंबित हैं स्टाम्प कमी के वाद

- योजना से बढ़ेगा प्रदेश सरकार का राजस्व एवं रीयल एस्टेट कारोबार पर भी होगा सकारात्मक प्रभाव।

- सम्पति कर नियमावली 2014 में स्वकर प्रणाली है लागू 

- निगम जारी नहीं कर सकता सम्पति कर के नोटिस 

- सेटेलाइट के माध्यम से जारी सम्पत्ति कर के नोटिसों में हैं कई प्रकार की कमियां 

- सम्पति कर के बिल किये जाएँ निरस्त 

- संजय प्लेस व्यापारियों पर लगे मुकदमे हों वापस 

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा: 19 दिसम्बर,चैम्बर भवन में अध्यक्ष राजेश गोयल की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गयी,जिसमें उद्योग एवं व्यापार के विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर चिंता व्यक्त की गयी।बैठक में रीयल एस्टेट कारोबारियों से सम्बन्धित कई मुद्दों पर चैम्बर अध्यक्ष राजेश गोयल ने कहा कि प्रदेश में स्टाम्प कमी के लाखों वाद विभिन्न न्यायालयों में साल दर साल से लंबित हैं। जिनके कारण रीयल एस्टेट कारोबारियों में अनिश्चिता का माहौल बना हुआ है। इससे एक ओर तो रीयल एस्टेट व्यापार प्रभावित हो रहा है वहीं दूसरी ओर सरकार को राजस्व की उचित प्राप्ति भी नहीं हो पा रही है। 

इस प्रकरण के निराकरण हेतु मुख्यमंत्री जी को एक पत्र के माध्यम से मांग की गई है कि एक सीमित समयावधि के लिए स्टाम्प वादों के निपटान हेतु एक मुश्त समाधान योजना (ओटीएस) सम्पूर्ण प्रदेश में लागू की जाये।

रीयल एस्टेट प्रकोष्ठ के समन्वयक राहुल जैन ने कहा कि इस ओटीएस योजना में करदाता द्वारा सरकार को देय स्टाम्प कमी की मूल धनराशि जमा कराने पर स्टाम्प अधिनियम में प्रभावी चार गुना पैनल्टी एवं डेढ़ प्रतिशत मासिक ब्याज की राशि की शत प्रतिशत पूर्ण रूप से माफी प्रदान करने की व्यवस्था होनी चाहिए। ऐसी योजना से प्रदेश के राजस्व में वृद्धि, प्रदेश के कर प्रशासन प्रणाली पर बोझ कम होगा,समय और लागत दक्षता,करदाताओं का आर्थिक प्रोत्साहन एवं सरकार और करदाताओं के बीच विश्वास और सकारात्मक सम्बन्ध बढ़ाने आदि अनेकों लाभ होंगे।

नगर निगम प्रकोष्ठ के समन्वयक विनय मित्तल ने कहा कि नगर निगम द्वारा सम्पत्तिकर के अप्रासंगिक बिल भेजकर करदाताओं को परेशान किया जा रहा है। अतः हमारी मांग है कि सम्पत्तिकर के जारी बिलों को फिलहाल में निरस्त किया जाये। क्योंकि यह बिल सम्पत्ति कर नियमावली 2014 के प्रावधानों के खिलाफ हैं। सम्पत्ति कर नियमावली 2014 के अनुसार स्वकर प्रणाली लागू है। जिसका सत्यापन निगम द्वारा किया जा सकता है किन्तु बिल जारी नहीं किये जा सकते। सैटेलाइट के माध्यम से जो बिल जारी किये गये थे उनमें विभिन्न प्रकार की कमियां हैं। यह भी मांग की गई की संजय प्लेस में व्यापारियों पर लगे मुकदमों को वापस लिया जाये। ये मुकदमा नगर निगम द्वारा 2020 में पार्किंग के विरोध प्रदर्शन में लगाये थे। मा.मेयर महोदया द्वारा गत बैठक में मुकदमें वापस लेने का आश्वासन दिया था।

बैठक में अध्यक्ष राजेश गोयल,उपाध्यक्ष मनोज बंसल,कोषाध्यक्ष योगेश जिंदल, रियल एस्टेट प्रकोष्ठ के समन्वयक राहुल जैन, नगर निगम प्रकोष्ठ के समन्वयक विनय मित्तल,पूर्व अध्यक्ष सीता राम अग्रवाल,शलभ शर्मा,मनोज कुमार गुप्ता, मयंक मित्तल आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।