हिन्दुस्तान वार्ता । डॉ.गोपाल चतुर्वेदी
वृन्दावन : रुक्मिणी विहार रोड़ (निकट केशव धाम) स्थित भागवत पीठ आश्रम में सत्य सनातन सेवार्थ संस्थान (रजि.)द्वारा ब्रज विभूति परिव्राजकाचार्य स्वामी ब्रजरमणाचार्य महाराज व विद्वत शिरोमणि भागवत भूषण आचार्य पीठाधिपति स्वामी किशोरीरमणाचार्य महाराज की पावन स्मृति में चल रहा सप्त दिवसीय 48 वां श्रीमद्भागवत जयंती एवं श्रीराधाष्टमी महोत्सव विभिन्न धार्मिक एवं आध्यात्मिक कार्यक्रमों के साथ संपन्न हुआ। जिसके अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों में अतुल्यनीय योगदान देने वाली प्रतिष्ठित विभूतियों को सत्य सनातन सेवार्थ संस्थान (रजि.) द्वारा सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर धर्म के क्षेत्र में साध्वी ऋतम्भरा "दीदीमां",साहित्य के क्षेत्र में डॉ.गोपाल चतुर्वेदी, शिक्षा के क्षेत्र में डॉ.ओमजी,संगीत कला के क्षेत्र में प्रख्यात भजन गायक जे.एस.आर. मधुकर,समाजसेवा के क्षेत्र में पंडित योगेश द्विवेदी आदि को "ब्रज रत्न" की उपाधि से अलंकृत किया गया। तत्पश्चात् प्रवचन प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह आदि प्रदान कर पुरुस्कृत किया गया।
आयोजित विराट संत सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए पूज्य साध्वी ऋतम्भरा "दीदीमां" ने कहा कि वर्तमान में सनातन धर्म पर जो कुठाराघात किया जा रहा है, उसके लिए हम सभी को एकत्र होकर आगे आना होगा।यदि हम जातियों ने बंटे रहे,तो एक दिन भारत से ही विलोप हो जायेंगे।भारत देश सनातनियों का देश है और हमें हर हाल में इसकी रक्षा करनी होगी।
श्रीमज्जगद्गुरु स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज एवं महामंडलेश्वर स्वामी गोविंदानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि महर्षि वेदव्यास महाराज द्वारा रचित श्रीमद्भागवत महापुराण कोई साधारण ग्रन्थ नही है, बल्कि स्वयं अखिल कोटि ब्रह्माण्ड नायक परब्रह्म परमेश्वर भगवान श्रीकृष्ण का वांग्मय स्वरूप है।इसका आश्रय लेने वाले व्यक्ति के तीनों तापों का नाश हो जाता है।साथ ही उसे प्रभु की दुर्लभ भक्ति प्राप्त होती है।
आचार्य/भागवत पीठाधीश्वर भागवत प्रभाकर मारुति नंदनाचार्य "वागीश" महाराज ने कहा कि आचार्य/भागवत पीठ धर्म व अध्यात्म का प्रमुख केंद्र है।यहां पर सत्य सनातन सेवार्थ संस्थान (रजि.) के द्वारा वर्ष में तीन आयोजन (फाग महोत्सव, झूलन महोत्सव एवं श्रीमद्भागवत जयंती/श्रीराधाष्टमी महोत्सव) अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ प्रख्यात संतों, विद्वानों एवं धर्माचार्यों की उपस्थिति में मनाए जाते हैं।
वागीश जी महाराज ने कहा सनातन धर्म हमें जोड़ता है तोड़ता नहीं, हमें वर्तमान में जातिवाद आदि स्वार्थ नीति से ऊपर उठकर एकजुट होकर अखंड भारत बनाना है। श्री वागीश जी ने समागत सभी संत विद्वानों का आभार व्यक्त किया। महोत्सव के व्यवस्थापक युवराज श्री धराचार्य ने कहा राधा कृष्ण अलग तत्व नहीं है एक ही तत्व है इसलिए श्रीमद्भागवत से राधा को अलग नहीं किया जा सकता।
इस अवसर पर संस्थान की ओर से उत्तरीय वस्त्र,भेंट आदि के द्वारा सभी संत विद्वानों का सम्मान किया। संत-विद्वत सम्मेलन में श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज ,महंत सुंदरदास महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी कृष्णानन्द महाराज, प्रख्यात साहित्यकार डॉ.गोपाल चतुर्वेदी, पूर्व प्राचार्य डॉ.राम सुदर्शन मिश्रा, भागवताचार्य मृदुलकांत शास्त्री, वैष्णवाचार्य दिव्यांशु गोस्वामी, आचार्य रविशंकर पाराशर (बवेलेजी), डॉ.रमेश चंद्राचार्य विधिशास्त्री महाराज,प्रख्यात चित्रकार द्वारका आनन्द,आचार्य यशोदा नंदन शास्त्री (लालजी महाराज),आचार्य नेत्रपाल शास्त्री,साध्वी मीरा रामानुज दासी, पण्डित अशोक शास्त्री,आचार्य ऋषि कुमार तिवारी,आचार्य बद्रीश महाराज, स्वामी मधुसूदनाचार्य महाराज, डॉ. रामदत्त मिश्र, आचार्य अच्युत कृष्ण महाराज, डॉ.राधाकांत शर्मा,आचार्य प्रथमेश लाल गोस्वामी, आचार्य भरत शास्त्री, डॉ.आनंद त्रिपाठी,पंडित ब्रजेश चौबे, आचार्य देवेंद्र शास्त्री,आचार्य विष्णुकांत, पंडित संतोष पाराशर, श्रीमती ललिता आचार्य आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
संचालन पंडित बिहारीलाल शास्त्री ने किया। श्री राकेश शर्मा एवं जेएसके मधुकर ने श्री राधा रानी की बधाई सुनाकर सभी को आनंद विभोर कर दिया। महोत्सव का समापन संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारे के साथ हुआ।