− ताज महोत्सव के अंतर्गत आगरा विरासत फाउंडेशन ने हमारी धरोहर हमारी विरासत में बयां की जरदोजी कला की जादूगरी
− ऋग्वेद में जिस कला का है उल्लेख, सीमित कालखंड से बाहर निकाल विश्व मंच पर पहचान दिलाना है उद्देश्य : डॉ.रंजना बंसल
− 14 से अधिक डिजायनर्स ने प्रस्तुत किये जरदोजी के अतुल्य डिजायन, सम्मानित किये गए कला को समर्पित लोग
- पद्मश्री शेख शमशुद्दीन के पुत्र रईस उद्दीन शम्स को अपनी अद्वितीय कला साधना के कारण लाइफटाइम अचीवमेंट से सम्मानित किया गया
हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो
आगरा। सोने के धागे से बुना गया तानाबाना जब आकार लेता है तो वो संसार का सर्वश्रेष्ठ नूमना जरदोजी ही कहलाता है। ऋग्वेद की ऋचाओं में जिस कला का उल्लेख है,देवता जिस कला से सजे वस्त्र धारण करते थे उस जरदोजी यानि सोने के धागे की कढ़ाई को पुनः विश्व पटल पर स्थापित और प्रसिद्ध करने के ध्येय के साथ ताज महोत्सव के अंतर्गत आगरा विरासत फाउंडेशन ने जरदोजी हमारी धरोहर हमारी विरासत समारोह का आयोजन किया।
बुधवार को सूरसदन प्रेक्षागृह में आयोजित भव्य और दिव्य समारोह का शुभारंभ केंद्र राज्य मंत्री प्रो एसपी सिंह बघेल, राज्य महिला आयोग अध्यक्ष डॉ बबिता चौहान,जिलाधिकारी अरविंद मल्लपा बंगारी,मेयर हेमलता दिवाकर, एडीजी जोन अनुपम कुलश्रेष्ठ,अपर पुलिस आयुक्त संजीव त्यागी,अभिनव मौर्या, मधु बघेल,आगरा विरासत फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ.रंजना बंसल ने किया। दीप ज्योति प्रज्वलन के साथ राशि गर्ग ने शिव तांडव की प्रस्तुति दी। इसके बाद आरंभ हुआ जरदोजी का इतिहास,वर्तमान और भविष्य की संभावना पर आधारित जरदोजी हमारी धरोहर हमारी विरासत समारोह।
समारोह में जरदोजी कढ़ाई की आत्मकथा बयां करते हुए कला के नमूने लिए परिधानों की श्रृंखला प्रस्तुत की गई।
रनवे सीक्वेंस में डॉ.रंजना बंसल द्वारा डिजाइन लहंगा, साड़ी,अग्रज जैन वूमन वियर और कंटेम्प्रेरी, फैजानउद्दीन जरदोजी उत्पाद,अलर्क लाल, कीर्ति खंडेलवाल वुमन वियर, सुकीर्ति मित्तल वुमन वियर,आयुषी और फैजान रोजमर्रा परिधान और रेणुका डांग सेकंड चांस, पूजन सचदेवा विरासत की कहानी परिधानों को प्रस्तुत किया गया। रेशम और रत्नों की कारीगरी भी जरदोजी की कहानी का हिस्सा रही।
केंद्र राज्य मंत्री प्रो.एसपी सिंह बघेल ने कहा कि वर्तमान में जरदोजी कला का यदि नाम आता है तो इस कला को अपनी विरासत बनाने वाला एक ही वर्ग स्मृति पटल पर उभरता है,जबकि बहुत कम लोग जानते हैं कि जरदोजी कला देव कला है। ऋग्वेद की ऋचाओं में इस कला का उल्लेख है। देव कला को सूरसदन के मंच से विश्व मंच तक फैलाने का कार्य आगरा विरासत फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है।
फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ रंजना बंसल ने कहा कि आगरा में सैंकड़ों परिवार आज भी इस कला को समर्पित हैं और आर्थिक निर्भर भी। सनातन काल से निकली इस कला को सिर्फ खाड़ी देशाें तक सीमित नहीं अपितु विश्व के हर देश तक पहचान बनाने के लिए संकल्पित हैं। आगरा के 15000 शिल्पकारों को विश्वभर में प्रसिद्धि दिलाने के साथ ही ताज से परे की पहचान भी स्थापित करनी है। इसे जादुई कढ़ाई इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि हजारों वर्ष पुरानी होने के बाद भी यह आज भी उन शाही कपड़ों की रौनक बढ़ा रही है।
ताज हेरिटेज के फैजानउद्दीन ने बताया कि जरदोजी कढाई आज भी शाही घरानों की पहली पसंद है। यदि किसी को रॉयल लुक चाहिए तो सोने के धागों की ये कारीगरी सर्वश्रेष्ठ विकल्प है।
जरदोजी कला को समर्पित कलाकारों और कारीगरों सहित उभरते डिजायनर्स को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम स्थल पर लगी जरदोजी आधारित वस्त्र परिधान प्रदर्शनी ने सभी को आकर्षित किया।
डिजायनर कीर्ति खंडेलवाल ने बताया कि साधारण वस्त्र पर जब जर के धागे से कारीगरी उकेरी जाती है तो वो वस्त्र साड़ी, लहंगा, कुर्ता, शेरवानी स्वतः ही कीमती हो जाता है। इसलिए ही खाड़ी देशाें से लेकर पश्चिमी देशाें के लिए ये कला नायाब रही है।
कार्यक्रम की समन्वयक मीनाक्षी किशाेर और आयुषी चौबे ने बताया कि आगरा ताज महल से इतर भी अपनी पहचान रखता है। बस इसी पहचान का पुर्नजागरण करना ही कार्यक्रम का उद्देश्य है। औरंगजेब के शासनकाल में इस कला को सर्वाधिक नरजअंदाज किया गया जबकि आज ये कला तमाम देशाें में पसंद की जाती है किंतु अपने देश की माटी में इस कला के कद्रदान बेहद कम हैं।
समारोह स्थल में अलर्क लाल (गणेशी लाल एंपोरियम), अंकिता माथुर और रुचिरा माथुर(कोहिनूर ज्वेलर्स), फैजान उद्दीन (शम्स एंब्रॉयडरी)और कीर्ति खंडेलवाल (मॉडलीजेंट)ने जरदोजी कारीगरी से बने परिधान बैग, पर्स आदि उत्पादों की बेहतरीन प्रदर्शनी लगायी। कार्यक्रम का संचालन श्रुति सिन्हा ने किया और साथ ही जरदोजी की कहानी को अपने शब्दों से सजाकर बयां किया।
जरदोजी कला के इन साधकों का हुआ सम्मान :
समारोह में जरदोजी कला साधक पद्मश्री शेख शमशुद्दीन के पुत्र रईसउद्दीन को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। रईसुद्दीन ने कला की दुनिया में तीन लेयर डायमेंशन जरदोजी की कढ़ाई प्रदान की है।
इसके अलावा अग्रज, अलर्क लाल,फैजान उद्दीन,घनश्याम गोपाल माथुर को उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में जरदोजी कला को समर्पित अन्य कारीगरों का भी सम्मान प्रदान किया गया।
बरसों की साधना से बनता है नायब नमूना :
जरदोजी हमारी धरोहर हमारी विरासत कार्यक्रम में लगाई गई प्रदर्शनी में ऐसे ऐसे उत्पादों को दर्शाया गया जो कि अपने आप में एक अद्वितीय थे। शम्स क्रिएशन का रेशम और सोने के धागों से बना हाथी समूह का एक हैंडीक्राफ्ट पीस 5 वर्षों में तैयार किया गया था। वहीं जरदोजी की कढ़ाई का एक विशाल मास्टरपीस था जो की 10 वर्षों की अथक साधना का परिणाम था। प्रदर्शनी स्थल पर शहर के कारीगर अपनी कारीगरी का सजीव प्रदर्शन भी कर रहे थे जिसे देखकर शहर के गणमान्य लोग हतप्रभ हुए।
इनकी रही विशेष उपस्थिति :
आयोजन में रुचिरा माथुर, अलर्क लाल, अग्रज जैन, डॉ. रेणुका डंग, पूनम सचदेवा,राखी कौशिक,हिमानी शरण, शिवानी मिश्रा, अशु मित्तल, घनश्याम गोपाल माथुर,डीजीसी रेवेन्यू अशोक चौबे,अंकिता माथुर,राशि गर्ग, तूलिका कपूर, अशु मित्तल, दिव्या गुप्ता, सुकृति मित्तल,साक्षी सहगल,रेणुका डांग आदि उपस्थित रहीं।
रिपोर्ट -असलम सलीमी।