− आरएसएस के संपर्क विभाग ने 'पुण्य श्लोक' रानी अहिल्याबाई होल्कर की त्रिशताब्दी जयंती पर आयोजित की संगोष्ठी
− संघ सरकार्यवाह डॉ.कृष्ण गोपाल और पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने संबोधित किया आगरा की 1200 महिलाओं को,उपस्थित रहे संघ के पदाधिकारीगण
−परिवार व्यवस्था का मेरूदंड'भारतीय नारी' विषय पर संगोष्ठी संपन्न्,रानी अहिल्याबाई के व्यक्तित्त्व और कृतित्व पर आधारित नाटिका ने संचारित की ऊर्जा
हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो
आगरा। 17 फरवरी,'पुण्यश्लोक'रानी अहिल्याबाई होल्कर की त्रिशताब्दी जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क विभाग द्वारा खंदारी परिसर स्थित शिवाजी मंडपम में परिवार व्यवस्था का मेरूदंड-भारतीय नारी विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ.कृष्ण गोपाल,पद्मश्री लोकगायिका मालिनी अवस्थी,डॉ.बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो.आशु रानी और विभाग संघ संचालक राजन चौधरी ने रानी अहिल्याबाई,परम पूज्य डॉ. हेडगेवार और गुरू जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
अदम्य साहस,राजधर्म के साथ सनातन धर्म की पुरोधा रानी अहिल्याबाई के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर आधारित नाटिका के मंचन से उपस्थित महिलाओं के जनसमूह को प्रेरित करने का प्रयास किया गया।
शहर की गणमान्य महिलाओं से खचाखच भरे शिवाजी मंडपम हॉल में शक्ति की स्वरूपा रानी अहिल्याबाई को हर कोई नमन करता दिखा। विभाग संपर्क प्रमुख सीए संजीव माहेश्वरी ने विषय प्रवर्तन किया।
सभागार को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ.कृष्ण गोपाल ने कहा कि भारत ने 1100 वर्षाें तक आक्रमण झेला,किंतु हमारी संस्कृति को कोई मिटा नहीं सका,यही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। उन्होंने कहा कि हमारा देश सातवीं शताब्दी से भयंकर संकट में आ गया था।11 वीं सदी से आतंक का काल आरंभ हो गया,कोई मंदिर,कोई स्थान, माताएं- बहनें कोई भी सुरक्षित नहीं रहे। शायद ही कोई देश इस प्रकार 1000 से अधिक वर्षाें तक अपने देश की संस्कृति पर हमले का सामना कर पाया हो।
उन्होंने शिवाजी महाराज का संदर्भ लेते हुए कहा कि आक्रांताओं के काल में एक छोटे से स्थान से एक बालक खड़ा होता है,जिसका नाम था शिवाजी महाराज। बहुत ही बुद्धिमानी से उसने एक छाेटा साम्राज्य स्थापित किया। 1674 में हिंदू पादशाही की स्थापना हुई। 1680 में शिवाजी महाराज की मृत्यु हो गई। इस अल्पकाल में ही उन्होंने जनमानस में गजब की प्रेरणा भर दी। जिसका परिणाम ये रहा कि उनकी मृत्यु के 26 वर्ष बाद तक औरंगजेब उस छोटे से साम्राज्य से लड़ता रहा और अंत में महाराष्ट्र के औरंगाबाद में ही उसकी मृत्यु हो गयी।
डॉ.कृष्ण गोपाल ने पुण्यश्लोक रानी अहिल्याबाई के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर कहा कि इंदौर का 'होलकर' महान हिंदवी स्वराज का एक हिस्सा था,बड़े साम्राज्य को चलाने के लिए कई केंद्र बनाए गए। उन्हीं में से एक था इंदौर। शिवाजी महाराज की भांति ही अहिल्याबाई होल्कर का ध्येय था नष्ट हो चुके राष्ट्र के सम्मान एवं गौरव को स्थापित करना। राज्य सैंकड़ों हो सकते हैं किंतु राष्ट्र एक ही है।भारत राज्य नहीं अपितु भारत एक राष्ट्र है।रानी अहिल्याबाई को समझ में आया कि 1100 वर्षों में राष्ट्र बोध नष्ट हुआ है। स्व की भावना कम हुई है, इसलिए सनातन धर्म का प्रचार और प्रसार अतिआवश्यक है। इस राष्ट्र बोध को पुनः स्थापित करने के लिए उन्होंने अपने निजी कोष से 200 से अधिक स्थानों पर मंदिर,घाट और धार्मिक स्थान आदि का निर्माण कराया। यह राज्य दृष्टि नहीं राष्ट्रीय दृष्टि है। राज्य महान राष्ट्र का हिस्सा है,अतःउन्होंने राष्ट्र के श्रद्धा के स्थानों का पुनः निर्माण किया। इतिहास में बहुत कम ऐसे शासक होते हैं। जिसके बारे में सबके पास प्रशंसा ही होती है। अहिल्याबाई ऐसी ही एक शासक थीं। भारतीय नारी की प्रेरणा हैं जीजाबाई और इस श्रृंखला की अगली कड़ी थी अहिल्याबाई।जो दुख जीजाबाई के मन में था वही अहिल्याबाई के मन में था। जो संकल्प शिवाजी महाराज के मन में था,वही अहिल्याबाई के मन में था।उन्होंने आज की नारी के संदर्भ में कहा कि 11 वीं शताब्दी के बाद का दौर पतन का रहा। जिस देश में शास्त्रार्थ करने वाली बुद्धिजीवी महिलाएं थीं उन्हें पर्दे और बाल विवाह जैसी कुरीति में कैद कर दिया। किन्तु आज दौर बदला है। महिलाएं घर संभालते हुए आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। फाइटर प्लेन उड़ा रही हैं, किंतु घर भी संभाल रही हैं। आज आवश्यकता है बेटों को परिवार की जिम्मेदारी बांटने की सीख दें।
पद्मश्री मालिनी अवस्थी लोक गायिका पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित मालिनी अवस्थी ने कहा कि आज हमारा भारतीय समाज हम दो हमारे दो के दुर्भाग्यपूर्ण सिद्धांत पर चल रहा है। अगर यही हाल रहा तो आने वाले समय में हमारे बच्चे कई रिश्तों को खो चुके होंगे। आने वाले बच्चों के पास ना तो मौसी होगी ना बुआ होगी, ना चाचा होंगे और ना चाची होंगे,ताऊ होंगे ना ताई होंगी। इस तरह से हमारा समाज विघटन की ओर जाएगा और परिवार में भी विघटन की दृष्टि दिखाई देगी। मालिनी अवस्थी ने कहा कि परिवार में बच्चों की पहली पाठशाला मां होती है। मां संस्कार के रूप में बच्चों के हृदय में ऐसा बीज बोती है। जो आगे चलकर बच्चों के लिए मान सम्मान और स्वाभिमान का परिचायक बनता है।
विश्व प्रसिद्ध लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने अपने गीत के माध्यम से नारी शक्ति को एहसास दिलाया कि हमारे देश में नारियों ने स्वाधीनता संग्राम से लेकर हर वह लड़ाई कंधे से कंधा मिलाकर लड़ी है जो समाज और राष्ट्रहित में थी। उन्होंने एक ब्रज का लोकगीत रसिया गाते हुए कहा ! प्रीतम चलूं तुम्हारे संग जंग में पकडूँगी तलवार....
इसी तरह उन्होंने विदेशी समान पर प्रहार करते हुए बताया कि आजादी की लड़ाई में उस समय की माताएं बहनों ने विदेशी कपड़े से बनने वाली चुनरी लाने के लिए अपने प्रीतम से मना करते हुए कहा था, मत लइयो चुनरिया हमार ओ बालमा....
शोध पर आधारित प्रदर्शनी ने किया प्रेरित :
आयोजन स्थल परिसर में रानी अहिल्याबाई होल्कर जी की जीवनी पर आधारित शोध परक प्रदर्शनी भी रखी गई। प्रदर्शनी के बारे में मनीष अग्रवाल रावी और डॉ.अनुराधा ने बताया कि इतिहास की पुस्तकों पर आधारित रानी अहिल्याबाई होल्कर जी के जीवन को प्रदर्शनी के माध्यम से दर्शाया गया,साथ ही उनके प्रेरणात्मक वचनों को भी प्रदर्शनी में उतारा गया।
नाटिका में इनका रहा सहयोग :
पुण्य श्लोक रानी अहिल्याबाई होल्कर के जीवन पर आधारित नाटिका का मंचन दीपक जैन के निर्देशन में किया गया। उनके साथ राहुल गुप्ता, चंद्रशेखर, डॉ.राजेंद्र मिलन, रोहित चौहान, निशि राज, माही, करण,दिव्यांशी, दिव्यता,सोनम, ध्वनि, रिद्धि, हार्दिक, संकल्प, ओम, राहुल, राजकुमार, हरवीर आदि का सहयोग रहा।
कार्यक्रम में ये रहे उपस्थित :
उ.प्र.लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष राकेश गर्ग,मेयर हेमलता दिवाकर,क्षेत्र कार्यवाहक डॉ.प्रमोद शर्मा,क्षेत्र सह संपर्क प्रमुख डॉ.हरीश रौतेला,प्रांत प्रचारक धर्मेंद्र जी,प्रांत प्रचार प्रमुख केशव जी,विभाग प्रचारक आनंद जी, प्रांत सह शारीरिक प्रमुख संतोष जी, विभाग प्रचार प्रमुख मनमोहन निरंकारी,नगर संघचालक प्रो. (डॉ.)कैलाश सारस्वत,नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.संजीव वर्मा,वरिष्ठ पत्रकार डॉ.बचन सिंह सिकरवार,'हिन्दुस्तान वार्ता'स्टेट हैड-धर्मेन्द्र कु.चौधरी, देवेंद्र त्यागी,विनीत शर्मा,गौरव वार्ष्णेय,पूर्व राज्य महिला आयोग सदस्य निर्मला दीक्षित,अनुराधा गुप्ता,मनीष अग्रवाल रावी,बबिता पाठक,बृजेश रावत,रेणुका डांग,दीपिका गुप्ता,आकांक्षा शर्मा,चंचल गुप्ता आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापित देवेंद्र त्यागी ने किया।