वसीयत वैधता की चुनौती के आधार और बचाव के उपाय

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो 

संपत्ति का मालिक और परिवार का मुखिया ही आमतौर पर प्रोपर्टी की वसीयत तैयार करता है। प्रोपर्टी को लेकर लिखी गई वसीयत अनुसार भविष्य में प्रोपर्टी का बंटवारा होता है।

वसीयत से प्रोपर्टी के सभी हकदार संतुष्ट हों ऐसा हर बार आवश्यक नहीं होता। ऐसे में मामला विवादास्पद हो जाता है और फिर से कोर्ट कचहरी के चक्कर लगने शुरू हो जाते हैं। अगर कोई वसीयत से असंतुष्ट है तो उसे इसके खिलाफ कोर्ट में मजबूत आधार पेश करना होता है। इसके साथ ही असंतुष्ट होने का और वसीयत को गलत तरीके से लिखे जाने का आधार ठोस और जायज होना जरूरी है। इसे लेकर कानून में विशेष प्रावधान किया गया है।

वसीयत को चुनौती के लिए होना चाहिए उचित आधार :

वसीयत के खिलाफ जाना तो आसान है पर इसे बदलवा पाना आसान नहीं है। लेकिन फिर भी कानूनी प्रावधान कहता है कि आपके पास वसीयत से असंतुष्टि के उचित सुबूत और आधार हैं तो वसीयत की खिलाफत करते हुए इसे बदलवाया जा सकता है। वैसे तो वसीयत लिखे जाने से विवाद कम ही देखने में आते हैं लेकिन कोई प्रोपर्टी का वारिस या हकदार वसीयत से असंतुष्ट हो और असंतुष्ट होने का आधार जायज हो तो वह कोर्ट में वसीयत की खिलाफत कर सकता है। वसीयत से असंतुष्ट होने की स्थिति में ठोस आधार और इसके सुबूत होने जरूरी हैं। इससे आपका पक्ष कोर्ट में मजबूती के साथ रखा जा सकता है। बिना किसी उचित आधार के वसीयत की खिलाफत करने से आप कमजोर ही पड़ेंगे। आइये जानते हैं वसीयत के खिलाफ जाने के लिए क्या-क्या आधार हो सकते हैं।

इन आधारों पर वसीयत के विरुद्ध जा सकते हैं कोर्ट :

अगर आपको पता है और आपके पास ठोस आधार व सुबूत भी हैं कि वसीयत लिखे जाने के समय कागजी कार्यों में गड़बड़ी हुई है और कानूनी रूप से भी उल्लंघन हुआ है तो आप कोर्ट में इसे चुनौती दे सकते हैं। 

कई बार किसी अन्य के दबाव में आकर संपत्ति मालिक वसीयत लिख देता है तो आपको इसका आधार सुबूत के साथ पेश करना होगा। ऐसे मामले में यह साबित करना होता है कि प्रोपर्टी मालिक की इच्छा के बिना वसीयत तैयार हुई है। इस स्थिति में भी आप कोर्ट में वसीयत के खिलाफ जा सकते हैं।

 वैसे तो वसीयत लिखने के दौरान वसीयत लिखने वाले की मानसिक स्थिति को जांचे जाने की बात आती है लेकिन कई बार यह वसीयत मानसिक स्थिति खराब होने पर भी लिखी जाती है। ऐसे में आपको यह साबित करना होगा कि जब वसीयत लिखी गई तो वसीयत लेखक की मानसिक स्थिति सही नहीं थी। यानी वह सही और गलत में फर्क जानने के पूरी तरह से योग्य नहीं था। ऐसे में यह आपके पास वसीयत के खिलाफ जाने का पुख्ता आधार है। इसके लिए भी आपके पास सुबूत होने चाहिए। दूसरे के दबाव, मजबूरी या नशे की स्थिति में लिखी गई वसीयत के लिए भी आपके पास ठोस आधार और सुबूत होने चाहिए।

 आप वसीयत से असंतुष्ट हैं और जानते हैं कि इसे धोखे से, फर्जीवाड़े से या लालच देकर लिखवाया गया है तो आप सुबूत लेकर कोर्ट जा सकते हैं। किसी अन्य अवैध तरीके से लिखी वसीयत की भी आप खिलाफत कर सकते हैं। कोर्ट में सुबूत पेश करके वसीयत को चुनौती दी जा सकती है।

 वसीयत से असंतुष्ट व्यक्ति को लगता है कि संपत्ति का बंटवारा सही तरीके से नहीं किया गया है और उसमें भेदभाव किया गया है तो आप न्याय के लिए गलत बंटवारे को आधार बनाकर कोर्ट जा सकते हैं। इसके लिए भी आपके पास सुबूत होंगे तो आपका पक्ष मजबूत रहेगा।

 वसीयत को चुनौती देना इतना आसान काम नहीं है, कानून भी इसे बदलने से पहले कई प्रावधानों को ध्यान में रखता है। इसे आप अपने बेस पर तो बिल्कुल चुनौती नहीं दे पाएंगे, इसलिए इसके लिए कानून विशेषज्ञ यानी वकील से परामर्श जरूर लें।

✍️ डॉ.राव प्रताप सिंह सुवाणा एडवोकेट