भारतीय शिक्षा मंडल ब्रज प्रांत के सहयोग से भारत की भारतीय अवधारणा पर संगोष्ठी



हिन्दुस्तान वार्ता।ब्यूरो

आगरा : शारदा विश्वविद्यालय आगरा मे भारतीय शिक्षा मंडल ब्रज प्रांत के सहयोग से भारत की भारतीय अवधारणा पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

संगोष्ठी का शुभारंभ

 विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) जयंती रंजन,मुख्य वक्ता

 डॉ.मनमोहन वैद्य'अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य आरएसएस और विशिष्ट अतिथि अध्यक्ष ब्रज प्रांत भारतीय शिक्षा मंडल पूनम सिंह ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके किया।

 कुलपति ने सेमिनार में आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत और अभिनंदन करते हुए कहा कि भारतीय एकता, अखंडता और संस्कृति को मजबूत करने के लिए  मूल्यों  को अपनाना जरूरी है। भारत की विविधता में एकता, सर्वे भवंतु सुखिनः तथा धर्मो रक्षति रक्षित: जैसी व्यापक एवं विवेकपूर्ण संस्कृति का लक्ष्य समझाते हुए बताया गया है कि धर्म का अर्थ रिलीजन नहीं बल्कि समाज की धारणा करने वाली जीवन पद्धति है और समाज की स्वतंत्रता समाज में ही निहित है, जिसे पुनः पहचानने की जरूरत है। मुख्य अतिथि डॉ.मनमोहन वैद्य ने सभी का धन्यवाद देते हुए कहा कि भारत विश्व गुरु है। इसकी एकता,अखंडता,सुरक्षा, शिक्षा,संस्कृति और धर्म को मजबूत करने के लिए हमें निम्न बिंदुओं को ध्यान में रखना होगा।

1. भारत की सांस्कृतिक धरोहर को समझना : भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर की खोज करना, जिसमें इसका इतिहास, दर्शन और परंपराएं शामिल हैं।

2. वैश्विक ज्ञान में भारत का योगदान: विभिन्न क्षेत्रों में भारत के योगदान पर चर्चा करना जैसे कि गणित, खगोल विज्ञान,चिकित्सा और दर्शन।

3. वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा : प्राचीन भारतीय अवधारणा वसुधैव कुटुम्बकम को समझाना, जो सभी जीवित प्राणियों के बीच जुड़ाव पर जोर देती है।

4. भारत की आध्यात्मिक और दार्शनिक परंपराएं : भारत की आध्यात्मिक और दार्शनिक परंपराओं में गहराई से जाना, जिनमें हिंदू धर्म,बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म शामिल हैं।

5. वैश्विक मामलों में भारत की भूमिका : वैश्विक मामलों में भारत की भूमिका का विश्लेषण करना, जिसमें इसके राजनयिक संबंध, आर्थिक साझेदारी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान शामिल हैं।

मुख्य विषय :

1. सांस्कृतिक विविधता और बहुलवाद : भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और बहुलवाद को उजागर करना।

2. प्राचीन ज्ञान और आधुनिक प्रासंगिकता : प्राचीन भारतीय ज्ञान की आधुनिक समय में प्रासंगिकता की खोज करना।

3. वैश्विक नागरिकता और जिम्मेदारी : वैश्विक नागरिकता और जिम्मेदारी के महत्व पर चर्चा करना, भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव के संदर्भ में।

संभावित दर्शक :

1. छात्र : विश्वविद्यालय के छात्र जो भारतीय संस्कृति, इतिहास और दर्शन में रुचि रखते हैं।

2. शिक्षाविद : विद्वान और शोधकर्ता जो भारतीय अध्ययन, सांस्कृतिक अध्ययन और वैश्विक मामलों में रुचि रखते हैं।

3. सामान्य जनता : कोई भी व्यक्ति जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और इसकी आधुनिक समय में प्रासंगिकता के बारे में जानने में रुचि रखता है। 

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनेकों कार्यकर्ताओं सहित शारदा यूनिवर्सिटी आगरा के समस्त डीन, डायरेक्टर्स, विभागाध्यक्ष, टीचर्स और स्टूडेंट उपस्थित रहे।

इस उपलब्धि पर शारदा विश्वविद्यालय आगरा के कुलाधिपति श्री पीके गुप्ता और उप कुलाधिपति  श्री वाई के गुप्ता ने बधाई और शुभकामनाएं प्रेषित कीं।