आगरे का ऐतिहासिक फूलों का ताजि़या रस्मों-रिवाज़ के साथ रखा गया

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा : 3 जुलाई,चाँद की 7 तारीख को रस्मों रिवाज़ से ऐतिहासिक फूलों का ताजिया रखा गया,जिसके बाद शहर भर के घरो में ताजिए रखे गए।

आस्था,विश्वास एवं सद‌भाव भाइचारे का प्रतीक 335 वर्ष प्राचीन फूलों का ताजिया आस्ताना हुसैनी इमाम बाडा़ पाय चौकी कटरा दबकैयान पर चौधरी हाजी सरफराज़ की सरपरस्ती में रखा गया।

हजारो अकीदतमंद फूलो के ताजिए पर अपनी मुरादे लेकर पहुंचे और फूल व केवडा़ ताजिए पर चढा़या। यह सिलसिला चाँद की 10 तारीख तक चलता रहेगा।

इस अवसर पर हाजी चौधरी सरफराज़ खान, चौ. जुऐब खान, हाजी बुन्दन मियाँ, अला उद्‌दीन, एम .ऐ .काज़मी ,नवेद शालू आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।

मोहर्रम की 7 ता० को बेगम ड्योढी में हुसैन की याद में एक स‌बील लगाई गई, जिसमे चाँद के दो टुकडे़ हुए का मनज़र दर्शाया गया व रोज़ा मुबारक के पीछे से उगता हुआ सूरज दिखाया गया। सबील में इलेक्ट्रिक यंत्रों द्वारा प्रर्दशन किया गया । इस सबील को बनाने में दूर दराज़ से आये लोगो ने अपनी कला का प्रर्दशन किया। यह सबील कई वर्षों से बराबर लगाई जा रही है। इस सबील को लगाने वालों में हाजी बुन्दन मियाँ , मो० जाहिद, मो० मुबीन ,मो. जावेद ,मो. मोहसिन ,मौ. अयान , मौ. शयान, हाजी मो. शाहिद मुख्य रूप से शमिल थे।

रिपोर्ट - असलम सलीमी