'विश्व नदियाँ दिवस' पर आगरा से यमुना बचाने का आह्वान


हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा : 28 सितम्बर,हर साल सितम्बर के चौथे रविवार को मनाया जाने वाला 'विश्व नदियाँ दिवस' दुनिया भर में नदियों के महत्व को रेखांकित करता है और नदी संरक्षण के लिए जनभागीदारी को प्रेरित करता है। 100 से अधिक देशों में करोड़ों लोगों की भागीदारी वाला यह आयोजन इस वर्ष अपनी 20वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस बार का विषय है – “हमारे समुदायों में नदियाँ”,जिसका उद्देश्य स्थानीय समाज को नदी संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए सक्रिय करना है।

विश्व नदियाँ दिवस के संस्थापक मार्क एंजेलो ने एक संदेश में कहा कि “हमारी नदियाँ जीवन की धुरी हैं। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि स्वस्थ और जीवंत जलमार्गों की रक्षा करना मानवता की साझा जिम्मेदारी है।”

आगरा में रिवर कनेक्ट कैंपेन के बैनर तले यमुना आरती स्थल पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यकर्ताओं ने शहरवासियों से आह्वान किया कि यमुना केवल जलधारा नहीं, बल्कि आगरा की सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक पहचान है। ताजमहल सहित तमाम धरोहर स्मारकों के अस्तित्व के लिए यमुना का स्वच्छ और प्रवाहित बने रहना आवश्यक है।

रिवर कनेक्ट कैंपेन के संयोजक ब्रज खंडेलवाल ने कहा कि “आज यमुना नदी प्रदूषण,अतिक्रमण और सूखे की कगार पर है। खुले नाले और औद्योगिक कचरे ने इसे सीवर नाले में बदल दिया है। गोकुल बैराज के नीचे जहरीली झाग और प्रदूषित परतें साफ दिखाई देती हैं। नदी किनारे कूड़े और मूर्तियों के विसर्जन ने स्थिति और बिगाड़ दी है।”

पर्यावरणविद् डॉ.देवाशीष भट्टाचार्य ने चेताया कि “यमुना अब जीवित नदी नहीं, बल्कि एक विशाल नाला बन चुकी है। इसकी बदबू और जहरीला पानी आगरा की पहचान को कलंकित कर रहा है।”

ग्रीन एक्टिविस्टों ने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य सरकारों ने यमुना पुनर्जीवन के अपने वादों को पूरा नहीं किया। दीपक राजपूत एडवोकेट ने याद दिलाया “2013 में प्रधानमंत्री मोदी ने यमुना के पुनरुद्धार का आश्वासन दिया था। नितिन गडकरी ने दिल्ली से आगरा तक फेरी सेवा शुरू करने की घोषणा की थी। लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।”

चतुर्भुज तिवारी ने सवाल उठाया “हिंदू संस्कृति और गौरव की दुहाई देने वाली सरकार यदि यमुना जैसी पवित्र नदी की उपेक्षा करे तो यह समझ से परे है।”

धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण रखते हुए पंडित जुगल किशोर ने कहा ! “यमुना श्रीकृष्ण-राधा की लीलाओं से जुड़ी पावन धारा है। संत कवियों ने इसे ‘कालिंदी’ कहकर सराहा। मुगल शासकों ने भी यमुना के तटों पर अपने भव्य स्मारक बनाए। पर आज यही नदी सूखी और प्रदूषित होकर दुनिया के सामने उपेक्षा की कहानी कह रही है।”

गोसाईं नंदन श्रोत्रिय,पुजारी श्री मथुराधीश मंदिर ने कहा !“यमुना सिर्फ नदी नहीं, भक्ति और इतिहास की गवाही है। इसका पुनर्जीवन हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।”

अन्य वक्ताओं ने विभिन्न पहलुओं पर जोर दिया :

रंजन शर्मा – नदियों की सफाई, गाद निकालने और गहराई बढ़ाने (ड्रेजिंग) की मांग

ज्योति विशाल खंडेलवाल – वर्षभर न्यूनतम स्वच्छ जल प्रवाह की गारंटी

डॉ. मुकुल पांड्या – ताजमहल के डाउनस्ट्रीम बैराज निर्माण की आवश्यकता

शशि कांट उपाध्याय – नदी तट विकास, घाट पुनर्निर्माण और अतिक्रमण समाप्ति

पद्मिनी अय्यर – नदी संस्कृति के पुनरुद्धार की ठोस योजना।

अंत में रिवर कनेक्ट कैंपेन के सदस्यों ने वेदना प्रकट करते हुए कहा :

“सुप्रीम कोर्ट और NGT कई बार यमुना में न्यूनतम जल प्रवाह बनाए रखने और प्रदूषण नियंत्रण के आदेश दे चुके हैं। लेकिन हालात जस के तस हैं। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यमुना का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा, और इसके साथ ही ताजमहल तथा ब्रज की सांस्कृतिक धरोहर भी असुरक्षित हो जाएगी।”