डॉक्टर अमित टंडन ने दिया घर का चिराग
हिन्दुस्तान वार्ता।ब्यूरो
आगरा, 25 सितंबर,कमलेश टंडन हॉस्पिटल एंड टेस्ट ट्यूब सेण्टर आगरा में डॉ.अमित टंडन ने एक अद्वितीय और चुनौतीपूर्ण चिकित्सा केस को सफलता पूर्वक पूरा किया है,जहां फटी हुई बच्चेदानी के बाद हर्निया झिल्ली तकनीक का उपयोग करके बच्चेदानी को मजबूत किया गया और महिला ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।
कहानी कुसुम की :
कुसुम (बदला हुआ नाम),एक 27 वर्षीय विवाहित महिला,जब सुरक्षित गर्भ के लिए अस्पतालों के चक्कर काट-काट थक गई,तब उसके पति को किसी ने डॉक्टर कमलेश टंडन हॉस्पिटल जाने की सलाह दी। पति-पत्नी तुरंत डॉ.अमित टंडन से मिले। हर डॉक्टर ने ढाई महीने के गर्भ को गर्भपात कराने की सलाह दी थी क्योंकि महिला की पहली गर्भावस्था के समय गर्भाशय की पीछे की दीवार फट चुकी थी,जिससे जीवित शिशु का जन्म नहीं हो पाया था। इसके अलावा, महिला का पहले बच्चेदानी की गांठ निकालने का ऑपरेशन भी हो चुका था।
चिकित्सा का चमत्कार :
डॉ.अमित टंडन ने लैप्रोस्कोपिक सुद्रण विधि का उपयोग किया,जो पूरे देश में एक बहुत जटिल सर्जरी मानी जाती है। उन्होंने बच्चेदानी को हार्निया झिल्ली से मजबूत किया। यह उत्तर भारत का पहला ऐसा मामला है जहां इस तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया।
प्रक्रिया और परिणाम :
- ऑपरेशन : 9 अप्रैल 2025 को डॉ. टंडन ने लैप्रोस्कोपिक सुद्रण विधि से हर्निया की झिल्ली का उपयोग करके बच्चेदानी को मजबूत किया।
- गर्भावस्था : यह उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था थी क्योंकि महिला को जेस्टेशनल डायबिटीज मेलिटस भी था।
- निगरानी और परिणाम : डॉ.अमित टंडन ने सबसे पहले लैप्रोस्कोपिक सर्जरी कर पहले से फटी हुई बच्चेदानी को हर्निया झिल्ली से मजबूत किया। जिससे बच्चेदानी आठ महीने तक शिशु का बोझ संभाल पाए। उसके बाद मरीज को आठ महीनों तक सख्त एंटीनैटल मॉनिटरिंग के बाद 25 सितंबर 2025 को सफल सीज़ेरियन सेक्शन हुआ और महिला ने एक स्वस्थ पुत्र को जन्म दिया।
डॉ.अमित टंडन के विचार :
डॉ.टंडन ने कहा,"यह केस दिखाता है कि नई तकनीक,सही योजना और सतत निगरानी से असंभव लगने वाली परिस्थितियों में भी सुरक्षित मातृत्व संभव है। यह विज्ञान और विश्वास की जीत है।"
अपील :
डॉ.अमित टंडन ने बताया कि यह प्रक्रिया देश में मात्र दो बार ही कि गयी है,जो चिकित्सा जगत में विचाराधीन (अण्डर रिसर्च) है। डाॅ.टंडन ने लोगों से अपील की है कि गर्भपात या बच्चे न हो पाने वाली अवस्था में कुछ भी निर्णय लेने से पहले उनसे संपर्क जरूर कर लें। यह सफलता न केवल चिकित्सा जगत में एक मिसाल है,बल्कि उन महिलाओं के लिए भी आशा की किरण है जो इसी तरह के जोखिमों का सामना करती हैं।