हिन्दुस्तान वार्ता।
आगरा: मिर्जा असद उल्लाह खां ग़ालिब की 225 वीं सालगिरह के मौके पर बज्म ए ग़ालिब का आयोजन,ग्रैंड होटल, आगरा में किया गया। मुख्य अतिथि थे मेजर जनरल जग्गी नंदा और विशिष्ट अतिथि थे संपदा विभाग के उच्च अधिकारी श्री कैलाश चंद गुप्ता।
इस मौके पर मिर्जा गालिब का स्मरण करते हुए पूर्व मंत्री श्री रामजी लाल सुमन ने कहा कि दुनिया में किसी बात पर या किसी शख्स पर केवल एक बार रिसर्च होती है लेकिन गालिब की गजलों पर बार-बार रिसर्च हो रही है, और हर बार उनके नए अर्थ सामने आते हैं।
सुधीर नारायण ने मिर्जा गालिब की कुछ गजलों के सस्वर् प्रस्तुत किए। उन्होंने शुरुआत की -की वफा हमसे तो गैर उसको जफा कहते हैं, होती आई है कि अच्छों को बुरा कहते हैं ।श्रेया ने सुनाया नुक्ता चीं है गम ए दिल उसको सुनाए न बने क्या बने बार अगर बात बनाए न बने। देश दीप और रिंकू चौरसिया ने साथ दिया, मैं उन्हें छेड़ू और और कुछ ना कहें चल निकलते जो मय पिये होते। सुधीर जी ने जहां तेरा नक्शे कदम देखते हैं खयांवा़ खयांवां इरम देखते है।
इस मौके पर नगर के मशहूर शायर शाहिद नदीम ने कहा.. तेरी तहरीर को गुल की खुशबू लिखूं तेरी तस्वीर को हुस्ने जादू लिखूं।
संचालन करते हुए सुशील सरित ने कहा जो मीर ने रोशन की शम्मा लौ उसकी बढ़ाई गालिब ने नजमों और ग़ज़ल में खुश्बू ए दिल की रंगत लाई गालिब ने। संयोजक अरुण डंग जी ने कहा गालिब की 200 जयंती पर हमने यह शुरुआत की थी और यह सिलसिला अब तक जारी है। उन्होंने कहा मिर्जा गालिब के शेरों में हमारे आध्यात्मिक षड्दर्शन शामिल है ।
इस मौके पर डॉ अशोक विज ,रक्षा संपदा अधिकारी श्री विद्याधर पवार, मुख्य अधिशासी अधिकारी छावनी परिषद श्री विनीत कुमार, आकाशवाणी श्री कृष्ण ,डॉ आन्शवना सक्सेना ,डॉ अशोक अश्रु,विजया तिवारी ,असीमानंद ,चंद्रशेखर शर्मा ,हर विजयवाहिया , चंद्र प्रकाश राय, अशोक चौबे ,सैयद फैज अली शाह, विनोद महेश्वरी, डॉ रमेश आनंद आदि उपस्थित थे। संगत की राज मेसी, पप्पू खान और राजू पांडे ने। धन्यवाद ज्ञापित किया सुशील सरित ने।
रिपोर्ट-असलम सलीमी।