भूगर्भ शास्त्र विभाग के छात्रों ने किया रनेह फॉल का शैक्षिक भ्रमण



छात्रों ने वाटर फॉल बनने की प्रक्रिया की ली जानकारी

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

छतरपुर। महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय,छतरपुर की भूगर्भशास्त्र अध्ययन शाला का एक दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण रनेह फाॅल के लिए कुलगुरु प्रो.शुभा तिवारी एवं कुलसचिव श्री यशवंत सिंह पटेल के नेतृत्व में आयोजित किया गया। शैक्षणिक भ्रमण में भूगर्भशास्त्र अध्ययन शाला की एम.एस.सी. द्वितीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर के विद्यार्थी शामिल रहे।

 विभागाध्यक्ष प्रो.पी.के.जैन ने विद्यार्थियों को बताया कि रनेह फाॅल 30 मीटर ऊंचा है। इस स्थान पर केन नदी 5 किलोमीटर लंबे कैनियन में से बहती है ,उसके आगे गाॅर्ज का निर्माण केन नदी करती है। रनेह फाल क्षेत्र में पिंक ग्रेनाइट शैलें मुख्यतः पाई जाती हैं। इस ग्रेनाइट में पाए जाने वाली संधियों/दुर्बल तल में मैग्मा के अंतर्वेधन मुख्य रूप से डोलोमाइट डाइक का हुआ है। इसके साथ ही रेड ब्लैक येलो जैस्पर भी पाए जाते है। जो विंध्ययन महासंघ की कांग्लोमेरेट के अपरदन तथा अपक्षय से निर्मित हुए हैं। बारिश के मौसम में केन नदी पर रनेह फाॅल में कई वाटरफाॅल निर्मित हो जाते है, गर्मी के मौसम में पूरी चट्टानें दिखाई  देती है, जिनका विस्तृत अध्ययन किया जाना आवश्यक है। पिंक ग्रेनाइट में कई स्थानों पर पाॅट होल्स (जल गर्तिकाओं) का निर्माण वर्षा जल के भूवैज्ञानिक कार्यों द्वारा हुआ है। नदी की तलहटी की चट्टानों में जल भंवर के कारण पाॅट होल्स का निर्माण होता है। 

  प्रो.जैन ने विद्यार्थियों को केन नदी के किनारे लगभग 2 कि.मी.तक भ्रमण करवाकर विभिन्न संरचनाओं तथा शैलों की जानकारी से अवगत करवाया। भ्रमण से वापिस आते समय खजुराहो के चन्देल कालीन शिवसागर तालाब का अवलोकन भी विद्यार्थियों को परियोजना कार्य की दृष्टि से करवाया गया। जिला वेटलेन्ड समिति के अध्यक्ष कलेक्टर श्री संदीप जी.आर. की अनुशंसा के अनुसार छतरपुर के प्रतापसागर, किशोरसागर,  मऊसानिया के जगतसागर तथा खजुराहो के शिवसागर तालाब का अध्ययन,जल संरक्षण, जल गुणवत्ता, जल प्रबंधन आदि पर एम.ए-.सी.चतुर्थ सेमेस्टर के विद्यार्थी प्रो. जैन के निर्देशन में परियोजना कार्य कर रहे हैं,

जिसकी रिपोर्ट जिला वैटलैंड समिति को उपलब्ध करवाई जाएगी। शैक्षणिक भ्रमण में भूगर्भशास्त्र अध्ययन शाला के सभी विद्यार्थी,अतिथि विद्वान शामिल रहे।