श्रीकृष्ण लीला महोत्सव : कंस कारागार में जन्मे नंदलाल,हरि अवतरित हुए अधर्म का नाश कर निहार.


श्रीकृष्ण लीला मंचन में हुआ अधर्म पर धर्म की विजय का दिव्य चित्रण,रास बिहारी कृपा सेवा ट्रस्ट वृंदावन के स्वामी प्रदीप कृष्ण ठाकुर के निर्देशन में जीवंत हुई द्वापर की झांकी

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा। भक्ति,भाव और आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वातावरण में सोमवार को श्रीकृष्ण लीला महोत्सव समिति द्वारा आयोजित श्रीकृष्ण लीला में मंचित हुआ वसुदेव देवकी विवाह,आकाशवाणी एवं कारागार में श्रीकृष्ण जन्म प्रसंग,जिसने श्रद्धालुओं को द्वापर युग की अद्भुत यात्रा पर पहुँचा दिया।

प्रसिद्ध लीला निर्देशक स्वामी प्रदीप कृष्ण ठाकुर (रास बिहारी कृपा सेवा ट्रस्ट,वृंदावन) के दिव्य निर्देशन में प्रस्तुत इस मंचन में संवाद, संगीत और अभिनय का ऐसा संगम देखने को मिला कि दर्शक भावविभोर हो उठे।

महिला शांति सेना की अध्यक्ष वत्सला प्रभाकर, शीला बहल, श्रुति सिन्हा, रीता कपूर, निधि जैन, मंजू खंडेलवाल द्वारा श्रीकृष्ण स्वरूप की आरती उतारी।

मंचन का शुभारंभ कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष प्रदीप भाटी, व्यापारी नेता रवि प्रकाश अग्रवाल और डॉ.कुंदनिका शर्मा ने दीप प्रज्वलित कर किया।

इस अवसर पर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल, लीला संयोजक शेखर गोयल, पार्षद मुरारी लाल गोयल, गिर्राज बंसल आदि उपस्थित रहे।योगेंद्र सिंघल द्वारा लड्डुओं का भोग अर्पित किया गया। 

लीला का आरंभ हुआ कंस द्वारा वसुदेव और देवकी के विवाह के दृश्य से। जब कंस के रथ पर आकाशवाणी हुई, “अरे कंस, जिसकी तू रक्षा कर रहा है, वही तेरे मृत्यु का कारण बनेगा”, तो वातावरण में सिहरन दौड़ गई।

कंस का क्रोध, देवकी-वसुदेव का कारागार में बंद होना, रोहिणी का ब्रजगमन और बलराम जी का जन्म-सबकुछ अत्यंत भावपूर्ण ढंग से मंचित हुआ।

इसके पश्चात दृश्य परिवर्तित हुआ। गौरूप पृथ्वी माता, देवताओं सहित क्षीरसागर में भगवान विष्णु के पास पहुंचीं। देवताओं की स्तुति और भगवान का यह वचन, “मैं वसुदेव के यहाँ अवतरित होकर अधर्म का नाश करूँगा”, सुनते ही लीलास्थल जयघोषों से भर गया।

नारद आगमन दृश्य में भक्ति और संवाद का अद्भुत संतुलन देखने को मिला। कंस के अत्याचार, देवकी की छह संतानो का वध और मातृत्व के दर्द से भरे संवादों ने दर्शकों की आंखें नम कर दीं।

मंचन का चरम क्षण तब आया जब कारागार में श्रीकृष्ण का प्राकट्य हुआ। बांसुरी की मधुर ध्वनि, मंद प्रकाश और पुष्प वर्षा के बीच शिशु कृष्ण के दर्शन होते ही पूरा प्रांगण “नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की” के उद्घोषों से गूंज उठा।

वसुदेव जी द्वारा शिशु कृष्ण को यमुना पार कर गोकुल ले जाने के दृश्य ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। योगमाया के जन्म, कंस द्वारा कन्या वध का प्रयास और योगमाया का अष्टभुजा रूप में आकाश गमन करते हुए भविष्यवाणी करना, इस लीला ने यह संदेश दिया कि सत्य सदा अजेय रहता है।

अध्यात्म और मानव सेवा की मिसाल श्री कृष्ण लीला :

श्रीकृष्ण लीला महोत्सव समिति के अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि यह मंचन केवल अभिनय नहीं, बल्कि आत्मा को स्पर्श करने वाला धर्म–सत्य का उद्घोष है। जब अधर्म बढ़ता है, तब भगवान अवतार लेकर संतों की रक्षा करते हैं, यही संदेश हर लीला में निहित है।

उन्होंने बताया कि मंगलवार, 28 अक्टूबर को नंदोत्सव, पूतना उद्धार लीला और डांडिया नृत्य संध्या का भव्य आयोजन होगा। दर्शक अगले दिन “गोकुल की उल्लासमयी भक्ति यात्रा” के साक्षी बनेंगे।

29 अक्टूबर को सुबह 10:30 बजे से 1:30 बजे तक पहली श्री कृष्ण लीला महोत्सव के अंतर्गत लीला स्थल पर विशाल रक्तदान शिविर आयोजित किया जाएगा। प्राचीन सीताराम मंदिर वजीरपुरा के महंत अनंत उपाध्याय और पंडित मुकेश शर्मा प्रथम रकदाता होंगे।

ये रहे उपस्थित :

वत्सला प्रभाकर,श्रुति सिन्हा, पार्षद पूजा बंसल, सुजाता अग्रवाल, रेनू गर्ग, प्रीति अग्रवाल, शीला बहल, अध्यक्ष मनीष अग्रवाल,महामंत्री विजय रोहतगी, अशोक गोयल, शेखर गोयल,अनीश अग्रवाल,धर्मेन्द्र कु.चौधरी, मनोज बंसल,गिर्राज बंसल,अनूप गोयल, लक्षमण शर्मा, विनीत अग्रवाल,केके अग्रवाल,तनु गुप्ता आदि उपस्थित रहे।