संसद के मॉनसून सत्र की तारीखों का ऐलान हो चुका है । 14 सितंबर से 1 अक्टूबर तक : संकलन "गौसेवक" खोजी बाबा

कोविड-19 के दौर में संसद भी तमाम प्रोटोकॉल के साथ चलेगी ।


सत्र बिना किसी अवकाश के 1 अक्टूबर तक चलेगा। 


हर दिन चार घंटे लोकसभा चलेगी, चार घंटे राज्यसभा।


* दोनों का समय तय है।


14 तारीख़ को लोकसभा सुबह 9 से दोपहर एक बजे, जबकि राज्यसभा दोपहर 3 बजे से शाम 7 बजे तक चलेगी । इसके बाद के दिनों में राज्यसभा 9 से 1 और लोकसभा 3 से 7 बजे तक चलेगी।


सत्र शुरू होने के तीन दिन पहले सभी सांसदों और उनके स्टाफ का कोविड टेस्ट किया जाएगा।


जितने दिन सत्र चलेंगे, उतने दिन भी बीच-बीच में रेंडम टेस्टिंग होती रहेगी । संसद परिसर में प्रवेश के वक्त हर किसी का टेंपरेचर लिया जाएगा । 40 जगहों पर टचलेस सैनिटाइज़र लगाए जाएंगे।


और सबसे बड़ा बदलाव – इस बार संसद सत्र में प्रश्नकाल नहीं रखा जाएगा।


विपक्ष इस बदलाव से सहमत नहीं है। वो कह रहा है कि ये आपदा की आड़ में आवाज़ को, सवालों को दबाने की कोशिश है।


लेकिन ये प्रश्नकाल होता क्या है? नाम से मोटा-मोटी आइडिया तो आपको मिल ही गया होगा। बाकी डिटेल में भी समझ लेते हैं।


क्या होता है प्रश्नकाल ?


संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा में एक-एक घंटे का समय सवालों के लिए तय होता है, जिसमें मंत्री, सरकार के प्रतिनिधि जनहित से जुड़े सवाल लेते हैं । सदन का कोई भी सदस्य उनसे लोगों से जुड़ा, व्यवस्थाओं से जुड़ा सवाल कर सकता है, जिसका उन्हें सदन में जवाब देना होता है । संसद की कार्यवाही में प्रश्‍न पूछना सदस्यों का संसदीय अधिकार माना गया है।

अभी तो कोरोना काल में सदन का समय ही बदल गया है. लेकिन आम दिनों में प्रश्नकाल का समय तय होता है।


लोकसभा में प्रश्नकाल – सुबह 11 से 12 बजे तक


राज्यसभा में प्रश्नकाल – दोपहर 12 से 1 बजे तक



कैसे आया प्रश्नकाल ?


   मई 1952 तक सदन में प्रश्नकाल नहीं होता था। 27-28 मई, 1952 को सदन में पहली बार आधे घंटे का समय प्रश्न पूछने के लिए निर्धारित किया गया. सरकार से सवाल पूछने के लिए इस प्रावधान को लोकतंत्र के लिए ज़रूरी माना गया और फिर इसे बढ़ाकर एक घंटे का कर दिया गया और नियमित कर दिया गया।

2014 तक लोकसभा और राज्यसभा में दिन का पहला घंटा ही प्रश्‍नकाल के लिए तय होता था। लेकिन मंत्रियों के लिए एक ही समय पर दोनों सदनों में उपस्थित होकर जवाब दे पाना संभव नहीं हो पा पाता था । इसलिए फिर लोकसभा में पहला घंटा और राज्यसभा में दूसरा घंटा प्रश्नकाल के लिए तय किया गया।


तीन तरह के होते हैं प्रश्न


तारांकित प्रश्‍न


अगर सवाल पूछने वाला, जवाब देने वाले से मौख़िक उत्तर चाहता है, तो ऐसे सवाल को कहते हैं- तारांकित प्रश्न। तारांकित प्रश्नों पर अनुपूरक प्रश्न (क्रॉस क्वेश्चन) पूछे जा सकते हैं।


अतारांकित प्रशन


 अतारांकित प्रश्न वे होते हैं, जिनका जवाब मौख़िक नहीं मांगा जाता । जवाब के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति को ऐसे प्रश्‍नों का लिखित उत्तर सदन के पटल पर रखना होता है। अतारांकित प्रश्नों पर कोई अनुपूरक प्रश्‍न भी नहीं पूछे जा सकते।


तारांकित और अतारांकित प्रश्नों से जुड़ी एक और शर्त होती है । सवाल कम से कम 10 दिन पहले भेजने होते हैं, ताकि ज़िम्मेदार सदस्य इसके जवाब और ज़रूरी जानकारियां इकट्ठा कर सदन में रख सकें।


अल्प सूचना प्रश्‍न


 वे सवाल, जो एक किस्म से अर्जेंट कैटेगरी के होते हैं । ये सवाल 10 दिन से कम समयसीमा में भी भेजे जा सकते हैं। लेकिन साथ ही ये भी बताना होता है कि सवाल में ऐसी क्या अर्जेंसी है कि इसे इतने शॉर्ट नोटिस पर पूछा जा रहा है । मौखिक उत्तर दिए जा सकते हैं।


कितने सवाल पूछे जा सकते हैं


लोकसभा में एक दिन में कुल 20 तारांकित, जबकि 230 अतारांकित प्रश्न हो सकते हैं। वहीं राज्यसभा में तारांकित प्रश्नों की कोई निश्चित सीमा नहीं होती । जबकि अतारांकित प्रश्न ज्यादा से ज्यादा 200 हो सकते हैं।


इस बार प्रश्नकाल नहीं


देश महामारी के संकट से गुजर रहा है समय कम है। लोकसभा और राज्यसभा, दोनों का सामंजस्य बैठाना है, इसलिए प्रश्नकाल को इस बार रोका गया है। चूंकि अब सवाल सबमिट करने के लिए पर्याप्त समय नहीं बचा है । 14 तारीख़ से सत्र है। इसलिए प्रश्न काल करा पाना संभव नहीं।


                   - "गौसेवक" पं. मदन मोहन रावत

                                 "खोजी बाबा'